मध्य प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों को यातायात के नियमों की शिक्षा देने का निर्णय लिया है। आगामी शैक्षणिक सत्र (2025-26) से कक्षा 5वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए यह पाठ्यक्रम लागू होगा। पुलिस मुख्यालय द्वारा 87 लाख पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिन्हें विद्यार्थियों में वितरित किया जाएगा।
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पाठ्यक्रम का स्वरूप
पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर के अनुसार तैयार किया गया है। कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम में आठ अध्याय होंगे, जिनमें वाहन चलाने के नियम, रोटरी का उपयोग, प्रदूषण मानदंड, वाहन प्रकार, और लाइसेंस के प्रकार की जानकारी दी जाएगी। उच्च कक्षाओं में इसके स्तर को और उन्नत किया जाएगा। पाठ्यक्रम में सामग्री का दोहराव न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
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जरूरत क्यों पड़ी?
प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। कोरोना काल को छोड़कर, हर साल दुर्घटनाओं और मृतकों की संख्या में इजाफा हुआ है। यातायात नियम तोड़ने वालों पर सख्ती के बावजूद जागरूकता की कमी एक बड़ा कारण है। इस समस्या के समाधान के लिए स्कूली स्तर पर शिक्षा को एक प्रभावी उपाय माना जा रहा है।
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पुलिस क्या सोचती है
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) संजीव शमी के अनुसार, पाठ्यक्रम समिति ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसे औपचारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा या नहीं, यह तय होना बाकी है। इसके बावजूद, ये पुस्तकें विद्यार्थियों को पढ़ाई जाएंगी।
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सोच में बदलाव पर जोर
दरअसल पुलिस मुख्यालय का मानना है कि नियमों की सख्ती के साथ सोच में बदलाव भी जरूरी है। यह बदलाव स्कूली विद्यार्थियों से शुरू करना सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है।
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