एमपी में रोडवेज के पुर्नजन्म की सुगबुगाहट के बीच मजबूत होगी बस कनेक्टिविटी

प्राइवेट ऑपरेटर ग्रामीण और आदिवासी अंचल के रूटों पर बस चलाने आगे आएं इसके लिए सरकार उन्हें विशेष रियायत देने जा रही है। चिन्हित रूटों पर घाटे के आंकलन के अनुरूप परिवहन कंपनी ऑपरेटरों को परमिट-फिटनेस टैक्स में छूट देगी।

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Sanjay Sharma
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Bus connectivity strengthened
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BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार अब अंचल में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को फिर मजबूत करने जा रही है। इसके लिए नई लोक परिवहन नीति पर मंथन तेज हो गया है। विभाग पहले चरण में ग्रामीण और आदिवासी अंचल के 500 रूटों को नीलाम कर यहां ऑपरेटर्स के जरिए बस संचालन करने जा रहा है। व्यवस्था की देखरेख के लिए सरकार परिवहन कंपनी भी बना रही है। जिसके अधीन निजी ऑपरेटरों और ट्रेवल्स कंपनियां बसों का संचालन करेंगी। लोक परिवहन को एक बार फिर  सुगम बनाने सरकार ने 80 करोड़ अनुमानित बजट भी रखा है। घाटे की वजह से ऑपरेटरों की दिलचस्पी से बाहर रहने वाले रूटों पर सरकार की कंपनी बस चलाएगी।  

सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा

प्रदेश में 2005 में नुकसान की स्थिति को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम को समेट लिया था। निगम के बाद एमपीएसआरटीसी अस्तित्व में आया था। इसके माध्यम से प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को बस चलाने रूट दिए गए। घाटे वाले रूटों पर कुछ ही महीनों में प्राइवेट ऑपरेटरों का मोह भी भंग हो गया और धीरे-धीरे इन मार्गों से बस गायब होती चली गईं। प्रदेश में अब ऐसे हजारों रूट हैं जहां या तो बस ही नहीं चलती या दिन भर में एक बस ही चक्कर लगाती है। प्राइवेट ऑपरेटरों की अरुचि के कारण सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा चुकी है। 

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घाटे की वजह से दो दशक से कई रूट बेबस

बसों का संचालन बंद होने से ग्रामीण और आदिवासी अंचल के लोगों को सबसे ज्यादा मुश्किल उठानी पड़ रही हैं। बस नहीं चलने से हजारों ग्रामीणों को कई-कई किमी पैदल चलना पड़ रहा है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी या तो लोग पैदल चलने या दूसरों से मदद मांगने विवश हैं। प्राइवेट ऑपरेटरों को होने वाले घाटे और ग्रामीणों पर उसके असर को देखते हुए सरकार बीते कई महीनों से परिवहन निगम को फिर अस्तित्व में लाने पर मंथन कर रही है। जानकारी है सरकार अब अपनी परिवहन कंपनी बना रही है। ये कंपनी बस संचालन के लिए सड़क मार्गों की नीलामी करेगी। यानी ऑपरेटर नीलामी में मिले रूटों पर सरकार से हुए अनुबंध के आधार पर बस चला सकेंगे। 

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आदिवासी अंचल में बस चलाने पर विशेष रियायत 

प्राइवेट ऑपरेटर ग्रामीण और आदिवासी अंचल के रूटों पर बस चलाने आगे आएं इसके लिए सरकार उन्हें विशेष रियायत देने जा रही है। चिन्हित रूटों पर घाटे के आंकलन के अनुरूप परिवहन कंपनी ऑपरेटरों को परमिट-फिटनेस टैक्स में छूट देगी। जिससे उसके घाटे की पूर्ति हो सके। जिन रूटों पर बस चलाने कोई आगे नहीं आएगा वहां परिवहन कंपनी खुद कमान संभालेगी।  कुछ रूटों पर नुकसान की पूर्ति के लिए कनेक्टिंग बस सेवा भी शुरू होगी। परिवहन कंपनी प्रदेश भर में लावारिस पड़ी सपनि की जमीन, बस स्टैंड, बस डिपो, ऑफिस और पुराने वाहनों को संभालेगी। परिवहन कंपनी के सहयोग के लिए सरकार आठ सहायक कंपनियां भी बनाने जा रही है। ये कंपनियां संभागीय स्तर पर व्यवस्था संभालेंगी। 

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मोबाइल एप पर होगी बुकिंग-ट्रैकिंग की सुविधा 

परिवहन कंपनी प्रदेश में लोक परिवहन व्यवस्था को सुचारू-सुगम बनाने के लिए नए माध्यमों का उपयोग भी करेगी। बताया जा रहा  है कि बसों की जानकारी और बुकिंग के लिए मोबाइल एप्लिकेशन भी तैयार कराया जा रहा है। यात्री इसके जरिए अंचल के रूटों पर बसों के आने-जाने के समय का पता लगा सकेंगे। वहीं इस पर ही उन्हें बसों के टिकट बुक कराने और बस को ट्रैक करने की भी सुविधा उपलब्ध होगी। नियमित सफर करने वाले यात्रियों को रियायती स्मार्ट कार्ड भी जारी किए जाएंगे। दो दशक बाद लोक परिवहन व्यवस्था पर सरकार की चिंता से दूरस्थ अंचल के लोग राहत महसूस कर रहे हैं।

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