मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की मनमानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं और हजारों उम्मीदवार परेशान हैं। साल 2019 की राज्य सेवा परीक्षा से लेकर अभी तक की किसी भी परीक्षा की उत्तर पुस्तिका नहीं दिखाई गई है और ना ही अंक बताए जा रहे हैं। अब इसे लेकर उम्मीदवार 25 नवंबर से RTI लगाओ अभियान शुरू करने की बात कह रहे हैं।
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क्या है इस अभियान की वजह
मप्र में जबसे 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का मुद्दा हुआ है, तभी से विवाद जारी है। सारे रिजल्ट रुकते देख सामान्य प्रशासन विभाग यानी जीएडी ने सितंबर 2022 में 87-13 फीसदी का फॉर्मूला ईजाद किया, इसके तहत 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण देते हुए 87 फीसदी की मूल रिजल्ट और 13 फीसदी पदों का प्रोविजनल रिजल्ट तैयार होना शुरू किया गया। यह 13 फीसदी पद अंतिम भर्ती में होल्ड है, इन्हें ना मेरिट पता है और ना अंक, वहीं 87 फीसदी में ही केवल उन्हीं के अंक बताए जा रहे हैं जो अंतिम चयनित हुए या वेटिंग में हैं। बाकी उनके भी अंक नहीं बताए जा रहे हैं। उधर पीएससी में उत्तर पुस्तिका देखने का भी नियम है, एक शुल्क भरकर उम्मीदवार यह देख सकते हैं, लेकिन इस 87-13 फार्मूले और 27 फीसदी आरक्षण विवाद के बाद वह भी बंद कर दिया गया है।
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क्यों है जरूरी उत्तरपुस्तिका देखना
उम्मीदवार लगातार परीक्षाएं दे रहे हैं, उत्तर पुस्तिका नहीं देखने से उन्हें अपनी गलती समझ नहीं आ रही है कि आखिर चयन में वह कहां पर चूक कर रहे हैं और इसमें क्या सुधार करना चाहिए। अंक तो बहुत दूर की बात है, वह तो उन्हें पता ही नहीं है कि कहां और कितने अंक से चयन से अटक गए हैं।
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सबसे बड़ी बात कोर्ट से नहीं लगी कोई रोक
सबसे अहम बात यह है कि यह हिटलरशाही वाला फैसला खुद आयोग का है, ना इसमें जीएडी ने कोई आदेश दिया और ना ही कोर्ट से उत्तरपुस्तिका दिखाने या अंक बताने पर कोई रोक लगी है। आयोग केवल इस बात के कारण यह नहीं दिखा रहा है कि यदि उम्मीदवार को अंक पता चले, उत्तरपुस्तिका देखी तो फिर उम्मीदवार नए तरह के केस लगाएंगे। इससे लिटीगेशन का एक और मोर्चा खुल जाएगा। यानी आयोग ने केवल अपने हित के बारे में ही सोचा हुआ है, उसे हजारों उम्मीदवारों से कोई ताल्लुक नहीं है कि उनके लिए यह उत्तर पुस्तिका देखना क्यों जरूरी है।
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आरटीआई में उम्मीदवार को हक
अब उम्मीदवारों ने 25 नवंबर से लोक सेवा आयोग के दफ्तर में सुबह 11 बजे जाकर उत्तरपुस्तिका दिखाने के लिए आरटीआई लगाओ अभियान शुरू करने का आह्वान किया है। साथ ही कहा है कि नंबर नहीं बताने के पीछे एक वजह भ्रष्टाचार भी हो सकता है। परीक्षा में गड़बड़ी की भी हमें आशंका है। उम्मीदवारों ने कहा है कि अब हमारे पांच साल की पीड़ा खत्म होना चाहिए। इसलिए हमारी मांग है कि...
- अभी तक हुई सभी परीक्षाओं के अंक बताए जाएं, चाहे वह पास हो या फेल, कॉपियां भी दिखाई जाएं।
- विवादित 87-13 फार्मूले को खत्म किया जाए।
- वैसे भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश है परीक्षा के बीच में नियम नहीं बदले जा सकते तो फिर 87-13 को लागू रखने का मतलब नहीं है। सौ फीसदी पर पूरे रिजल्ट जारी हो।
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