मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) मेंस 2023 को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में 14 नवंबर (गुरुवार) को अहम सुनवाई मात्र दो मिनट ही चली। लेकिन इसमें एक अहम बात पीएससी की ओर से एजी प्रशांत सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों ने मेंस दे दी है और वह रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं, हम इसे पब्लिश करने जा रहे हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने भी रिजल्ट की बात उठाई
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने भी शार्ट में मुद्दा ब्रीफ किया। इस पर जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय शराफ की बैंच ने पूछा कि इस मैटर में क्या अर्जेंसी है, क्योंकि आज बहुत केस लिस्ट हैं, दो सप्ताह बाद इसे करें। इस पर अधिवक्ता तिवारी ने कहा कि अर्जेंसी केवल यही है कि पीएससी रिजल्ट जारी नहीं कर रहा है। इस पर बेंच ने कहा कि वह कह रहे हैं कि वह रिजल्ट की प्रोसेस में हैं। इसके बाद मामले को दो दिसंबर को लिस्ट कर दिया गया है।
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एक अन्य मुद्दा पीएससी 2024 का भी साथ में लिंक
इसके साथ ही एक मुद्दा राज्य सेवा परीक्षा 2024 की प्री को लेकर भी इसी कोर्ट में लिस्ट था। याचिकाकर्ता रेखा साहू ने सिंगल बेंच द्वारा प्री 2024 के गलत सवालों को लेकर उम्मीदवारों की गई याचिका खारिज के विरुद्ध यह अपील दायर की है। इसे भी साथ में लिंक कर दिया गया है और अगली सुनवाई पर सुना जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्री 2024 के भी कई सवालों पर आपत्ति लगी थी लेकिन सिंगल बैंच ने कहा कि आंसर की पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं और याचिका खारिज कर दी थी, इसी को लेकर याचिका लगी है।
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इसलिए अहम थी 2023 को लेकर सुनवाई
इस केस पर ही राज्य सेवा 2023 की मेंस का रिजल्ट टिका हुआ था। कोर्ट में केस के चलते ही पीएससी इसका रिजल्ट जारी नहीं कर रहा था। दरअसल प्री 2023 के दो सवाल को हाईकोर्ट सिंगल बैंच ने मई 2024 के आदेश में गलत बताया और कहा था कि इस आधार पर राज्य वन सेवा 2023 के प्री का रिजल्ट रिवाइज किया जाए। लेकिन पीएससी रिट अपील 1232/24 में गया और स्टे मिल गया। इसके बाद से ही इस केस में सुनवाई चल रही है। हालांकि पीएससी ने राज्य वन सेवा मेंस का रिजल्ट भी जारी किया और इंटरव्यू शेड्यूल भी तय किया, लेकिन इसके उलट राज्य सेवा 2023 की मेंस का रिजल्ट रोक दिया।
बीती सुनवाई में भी उठा था अर्जेंसी वाला मुद्दा
इससे पहले 24 सितंबर को सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस की बैंच में करीब तीन मिनट तक सुनवाई चली और इसके बाद तय हुआ कि इसमें अभी अत्यंत आवश्यक वाला मुद्दा नहीं है, इसलिए इसकी सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी जाएगी।
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यह है पूरा मामला
राज्य सेवा परीक्षा प्री 2023 दिसंबर में हुई थी और फिर जनवरी 2024 में रिजल्ट आकर मात्र 50 दिनों में ही इसकी मेंस भी मार्च में आयोजित कराई गई। प्री के रिजल्ट के बाद 150 से ज्यादा उम्मीदवारों ने आंसर की को लेकर सवाल उठाए जो करीब सात सवालों पर थे। हालांकि बेंच ने केवल दो सवालों को संज्ञान में लिया और उन पर पीएससी के आंसर को गलत बताया। इसमें सभी याचिकाकर्ता जिन्होंने आपत्ति लगाई थी उन्हें सशर्त मेंस में बैठने के आदेश हुए, लेकिन डिटेल आर्डर जारी नहीं किया। बाद में राज्य सेवा मेंस होने के बाद 16 मई को डिटेल आर्डर आया। दो सवालों को गलत बताया और साथ ही कहा कि नए जवाब के आधार पर राज्य वन सेवा 2023 प्री का रिजल्ट रिवाइज किया जाए और मेंस कराई जाए, क्योंकि तब तक राज्य सेवा की तो मेंस हो गई लेकिन वन सेवा की बाकी थी। इस फैसले के खिलाफ आयोग तत्काल अपील में चला गया और स्टे ले आया। तभी से यह केस चल रहा है।
यह दो सवालों को लेकर था फैसला
प्रेस की स्वतंत्रता वाले विलियम बैंटिक के सवाल को हाईकोर्ट ने गलत माना था और इसी तरह कबड्डी संघ के मुख्यालय के सवाल पर भी पीएससी के जवाब को गलत माना और नया आंसर दूसरा बताया। इन दो सवालों के आधार पर जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा कि इन दो सवालों का लाभ केवल हाईकोर्ट आने वालों को नहीं बल्कि सभी प्रभावित उम्मीदवार को मिलेगा। यानि यह सभी उम्मदीवार जो इन दो सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वह सभी इसका लाभ लेने वालों में आ सकते हैं। इसी आधार पर जस्टिस ने कहा कि वन सेवा क्योंकि नहीं हुई तो इसका प्री का रिजल्ट संशोधित किया जाए और इसी आधार पर मेंस हो। लेकिन राज्य सेवा मेंस 2023 हो चुकी है इसलिए इसके लिए अलग से आदेश नहीं हो सकते हैं। लेकिन इन सवालों का लाभ लेन के सभी पात्र है जो एक पर लागू वह सभी पर भी होगा। इसके बाद आयोग ने अपील दायर की और स्टे लिया।
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