मप्र: मुफ्त की जमीन पर भी मेडिकल कॉलेज खोलने से कतरा रहे पूंजीपति

मध्य प्रदेश में महज ₹1 टोकन मनी पर 25 एकड़ जमीन देने के बावजूद मेडिकल कॉलेज योजना परवान नहीं चढ़ी, 12 में से सिर्फ 4 जिलों में ही निवेशक मिले। सरकार फिर टेंडर बुलाएगी।

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Ravi Awasthi
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रवि अवस्थी, भोपाल।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के मुताबिक हर लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का लक्ष्य फिलहाल मध्य प्रदेश में अधर में लटका है। सरकार ने निवेशकों को रिझाने के लिए 25 एकड़ जमीन महज एक रुपए टोकन मनी पर देने का फैसला किया, लेकिन निवेशकों ने रुचि नहीं दिखाई।

राज्य के 12 प्रस्तावित जिलों में से सिर्फ 4 (धार, पन्ना, कटनी और बैतूल) के लिए ही प्रस्ताव आए। धार और पन्ना में विवेकानंद बोधि ज्ञान फाउंडेशन, जबकि कटनी और बैतूल में स्वामी विवेकानंद शिक्षा दान फाउंडेशन ने पहल दिखाई।

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8 जिलों में अटका पीपीपी मॉडल

बालाघाट, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना, अशोकनगर, सीधी, खरगोन और गुना में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना अब तक अटकी पड़ी है। शाजापुर भी प्रस्तावित जिलों की सूची में है। दो बार निविदा बुलाने के बाद भी कोई बड़ा निवेशक इन जिलों के लिए आगे नहीं आया।

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नियम बदले, फिर भी नहीं बढ़ा रुझान

राज्य सरकार ने निवेशकों के लिए नियमों में ढील दी, जमीन सस्ती कर दी, अस्पताल की सुविधा जोड़ी-लेकिन परिणाम वही रहा। सूत्रों के अनुसार,मप्र की नीति देश में सबसे उदार है। बावजूद इसके निवेशक और रियायत चाहते हैं। सरकार अब तीसरी बार टेंडर निकालने की तैयारी है।

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ग्रांट और बिस्तरों पर अड़ गए निवेशक

बताया जाता है  निवेशकों की मुख्य मांग है कि जिला अस्पताल को 600 बिस्तरों वाला बनाया जाए,जबकि फिलहाल अधिकतर अस्पताल 300 बिस्तरों के हैं। इसके अलावा कुछ ने भवन निर्माण व अधोसंरचना के लिए सरकारी ग्रांट भी मांगी, जिसे राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी ने खारिज कर दिया।

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फीस, आरक्षण और गरीबों का इलाज

पीपीपी मोड पर खुलने वाले कॉलेजों की फीस मप्र फीस रेगुलेटरी कमेटी तय करेगी। यहां 75% बिस्तर गरीब मरीजों और आयुष्मान कार्डधारकों के लिए आरक्षित होंगे। शेष 25% बेड निजी संस्था के उपयोग में रहेंगे।

अन्य राज्यों में भी यही हाल

मध्य प्रदेश में फिलहाल 19 सरकारी और 10 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। जबकि तमिलनाडु में 72, कर्नाटक में 70 और उत्तरप्रदेश में 68 कॉलेज संचालित हैं।

सूत्रों के मुताबिक,पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की गति उत्तरप्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी बेहद धीमी है।

मप्र में परियोजना के उप संचालक डॉ रितेश तंवर कहते हैं-कॉलेज खोलने को लेकर काफी उदारता बरती जा रही है। नियमों को भी पारदर्शी बनाया गया है। जिन जिलों के लिए प्रस्ताव नहीं आए,वहां फिर से निविदा बुलाएंगे।  

आयुष्मान कार्ड मप्र सीधी बालाघाट अस्पताल
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