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Photograph: (the sootr)
जयपुर नगर निगम को वापस एक करने के सरकार के 27 मार्च के आदेश के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर राजस्थान सरकार ने जवाब पेश कर दिया है। महाधिवक्ता की ओर से पेश जवाब में कहा है कि याचिकाकर्ता आरआर तिवाड़ी कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष और सक्रिय राजनीतिज्ञ हैं। वे 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे हैं।
ऐसे में जयपुर के दो नगर निगमों को पुन: एक करने में कोई जनहित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत राजनीतिक हित हैं। सरकार के फैसले से याचिकाकर्ता के संवैधानिक और कानूनी अधिकार का हनन नहीं हो रहा। कानूनी तौर पर स्थानीय निकायों का एरिया घटाना या बढ़ाना और मिलाना सरकार का प्रशासनिक काम नहीं है, बल्कि यह विधायी कार्य है। इसलिए कोर्ट के पास न्यायिक समीक्षा का सीमित दायरा है।
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याचिका में राजनीतिक हित
विधायी कार्य होने से इस मामले में सुनवाई का अवसर देने का औचित्य नहीं है और ना ही 2009 के नगर पालिका कानून की धारा-3 के तहत नोटिफिकेशन जारी करने से पहले आपत्ति मांगने का प्रावधान है। दोनों नगर निगमों को एक करने का फैसला जनहित में है। याचिकाकर्ता ने अपना ज्ञापन कांग्रेस के लैटरहेड पर दिया है। इससे साबित है कि याचिका राजनीतिक हितों और सरकार के प्रशासनिक कार्यों में बाधा पहुंचाने के लिए है।
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दो निगम बनाने का फायदा नहीं हुआ
पिछली कांग्रेस सरकार ने कई ​कारणों से दो जयपुर में दो नगर निगम बनाने का फैसला किया था, लेकिन यह फैसला गहन अध्ययन के आधार पर नहीं लिया था। दोनों नगर निगम के लिए न तो समुचित आधारभूत ढांचागत व्यवस्था की थी और ना ही संसाधन दिए। इस कारण दोनों ही नगर निगम अपना काम सही प्रकार से नहीं कर पा रहे हैं। दो निगम बनने से कर्मचारियों और संसाधनों के बंटवारे में अराजकता की स्थिति हो गई। इससे काम करने की क्षमता प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुई और दोनों निगमों के बीच जवाबदेही, सामंजस्य बनाने की परेशानी के साथ ही अनावश्यक रुप से वित्तीय भार भी बढ़ गया।
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...तो एक निगम से कैसे होंगे काम
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के एडवोकेट प्रेमचंद देवंदा ने कहा कि पूर्व में दो नगर निगम बनाने को भी चुनौती दी गई थी, लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार के दो निगम बनाने के आदेश को सही ठहराया था। दो निगम बनाना सही है, क्योंकि जयपुर की आबादी 45 लाख से ज्यादा हो रही है। दो निगम होने के बावजूद अभी भी न तो अतिक्रमण रुक रहे हैं, ना सफाई हो रही है, ना अवैध निर्माण पर काबू है और ना ही सीवर लाइनों को ढंग से मैनेज कर पा रहे हैं।
जयपुर का एरिया बढ़ा रही सरकार
सरकार लगातार जयपुर का एरिया बढ़ा रही है। अभी सरकार ने ही जयपुर विकास प्राधिकरण के एरिया में 80 गांव शामिल किए हैं। ऐसे में इतने बड़े एरिया को एक निगम के भरोसे कैसे मैनेज किया जा सकेगा। इसलिए भविष्य में प्रशासनिक दृष्टिकोण से दो निगमों को एक करना उचित नहीं है। संविधान ही प्रशासन को विकेंद्रीकृत करने को कहता है, जबकि सरकार केंद्रीकृत करने पर उतारू है।
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30 अक्टूबर को फाइनल सुनवाई
दोनों पक्ष की सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ ​जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की बेंच ने याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब पर अपना जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए फाइनल सुनवाई 30 अक्टूबर को तय की है।