जयपुर का मास्टर प्लान : क्या यह कदम शहर की बेहतरी के बजाय चहेतों को फायदा पहुंचाने की चाल है?

राजस्थान की राजधानी जयपुर का विकास मास्टर प्लान के तहत कई सवाल खड़े कर रहा है। जेडीए द्वारा शहर के विस्तार को लेकर उठाए गए कदम को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।

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Amit Baijnath Garg
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राजस्थान की राजधानी जयपुर में हाल ही में जारी किए गए विकास के मास्टर प्लान ने शहर की दिशा और दशा पर कई सवाल खड़े किए हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) का कहना है कि यह कदम शहर के विकास को बढ़ावा देगा, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे शहर के भविष्य के लिए खतरनाक मान रहे हैं। उनका कहना है कि इस विस्तार से केवल बिल्डर लॉबी को फायदा होगा, जबकि शहर के नागरिकों को यातायात जाम, जल संकट और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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अलवर की स्थिति से जयपुर की तुलना

जयपुर का जेडीए देश के सबसे बड़े लैंड बैंक में से एक है। पुणे, हैदराबाद और मुंबई के बाद जयपुर का स्थान इस संदर्भ में चौथे नंबर पर है। जयपुर में इस तरह के बड़े स्तर पर विकास की योजना अन्य शहरों से अलग है। दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में जहां जमीन के विस्तार पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, वहीं जयपुर में यह प्रक्रिया जारी है।

बढ़ती आबादी और इसके प्रभाव

राजस्थान में जयपुर एकमात्र ऐसा शहर है, जहां आबादी लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में जयपुर में करीब तीन फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर देखी जा रही है, जो शहर को और विकसित करने की आवश्यकता को बढ़ाती है। ऐसे में जेडीए का तर्क है कि जयपुर आने वाले वर्षों में बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद जैसे शहरों के स्तर तक पहुंच जाएगा।

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क्या बेतहाशा फैलाव की ओर बढ़ेगा?

हालांकि इस विचार के पीछे एक मजबूत तर्क है कि जयपुर का भौगोलिक स्थान दिल्ली के पास होने के कारण यह शहर अधिक विकास की दिशा में बढ़ेगा, लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के बेतहाशा विस्तार से शहर की आधारभूत संरचना पर दबाव पड़ेगा। बुनियादी सुविधाओं और सड़कों की कमी से विकास का यह मंसूबा खतरनाक हो सकता है। जयपुर के बाहरी इलाकों में अभी तक मूलभूत सुविधाएं ठीक से विकसित नहीं हो पाई हैं और अब इन्हें और बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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क्यों उठ रहे हैं सवाल?

सड़क नेटवर्क : शहर के कुछ क्षेत्र अभी भी अधूरे हैं और यहां सड़कों का नेटवर्क पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाया है।
भूमि और हरियाली का नुकसान : अगर विकास इसी गति से चलता रहा, तो शहर के पास पर्याप्त कृषि भूमि नहीं बचेगी और हरियाली का स्थान कंक्रीट के जंगलों से भर जाएगा।
आधिकारिक तर्क : जेडीए अधिकारियों का कहना है कि यह शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए आवश्यक कदम है, लेकिन बिना सही तरीके से शोध और साइंटिफिक स्टडी के यह फैसला सही नहीं हो सकता।

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जयपुर का मास्टर प्लान

जयपुर का मास्टर प्लान 2027 से 2047 तक का है, जिसमें शहर के क्षेत्रफल को 6000 वर्ग किमी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। हालांकि शहर के विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बड़ा विस्तार बिना किसी विस्तृत योजना और सर्वे के लागू करना सही नहीं है। इस मास्टर प्लान में गांवों की संख्या 693 हो जाएगी और क्षेत्रफल 6000 वर्ग किमी तक बढ़ जाएगा। वहीं अनुमानित आबादी 11.5 मिलियन तक पहुंच जाएगी। जेडीए का तर्क है कि पारंपरिक क्षेत्रफल पर ध्यान नहीं है। जेडीए ने पहले से ही कुछ क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया था, लेकिन यह तेजी से बढ़ते शहर को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त नहीं था।

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बड़े कदम, लेकिन बड़ी समस्याएं

एक्सपर्ट का कहना है कि जयपुर का मास्टर प्लान निश्चित रूप से शहर के विकास के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है, लेकिन यह कदम बेतहाशा विस्तार की ओर बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप यातायात जाम, जल संकट और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ सकती हैं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि जेडीए अपने विकास के फैसले को सटीकता और विज्ञान आधारित दृष्टिकोण से लागू करे।

FAQ

1. जयपुर का मास्टर प्लान किस दिशा में जा रहा है?
जयपुर का मास्टर प्लान शहर के क्षेत्रफल को 6000 वर्ग किमी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है, जिसमें कई गांवों को भी जोड़ा जाएगा।
2. क्या जेडीए का यह विस्तार शहर के लिए फायदेमंद होगा?
यह विस्तार शहर की बुनियादी संरचना को चुनौती दे सकता है और बढ़ते हुए यातायात जाम और जल संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
3. जेडीए के अधिकारियों का तर्क क्या है?
जेडीए अधिकारी मानते हैं कि जयपुर की बढ़ती आबादी के कारण शहर का विस्तार आवश्यक है, लेकिन यह बिना किसी साइंटिफिक अध्ययन के किया जा रहा है, जो समस्या पैदा कर सकता है।

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