सस्ता इलाज: पेट की बीमारियों के इलाज में एंडोस्कॉपी की जगह अब ये कैप्सूल दूर करेगी दर्द

भोपाल में हुई गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस में पेट और आंत की बीमारियों के लिए सस्ते इलाज की दिशा में नई पहल पर चर्चा हुई। अब पेट की जांच के लिए एंडोस्कॉपी की जगह रिमोट कंट्रोल कैप्सूल का उपयोग होगा।

author-image
Sandeep Kumar
New Update
capsule-endoscopy-replaces
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

MP NEWS: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस दौरान पेट और आंत की बीमारियों के इलाज में एक नई तकनीक की जानकारी दी गई। डॉ. संजय कुमार ने बताया कि अब पेट और आंतों की बीमारियों का इलाज एंडोस्कॉपी ट्यूब की जगह पिल बोट एंडोस्कोपी से किया जाएगा। यह एक खास कैमरा युक्त और रिमोट कंट्रोल कैप्सूल है, जिसे मरीज को निगलना होता है। यह कैप्सूल पेट से लेकर मल मार्ग तक वीडियोग्राफी कर सकता है और मर्ज का पता लगा सकता है।

इस पिल बोट एंडोस्कोपी की कीमत फिलहाल लगभग 50 हजार रुपए है, लेकिन भविष्य में इसे और सस्ता किया जा सकता है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए एक बड़ी राहत होगी, जिन्हें पहले एंडोस्कोपी जैसे जटिल और महंगे परीक्षणों से गुजरना पड़ता था।

ये खबर भी पढ़िए... पीएम मोदी का देश के नाम संबोधन, बोले- झुकेंगे नहीं, हम अपनी शर्तों पर देंगे जवाब

कैसे होगी ये कैप्सूल

पिल बोट एंडोस्कोपी में एक छोटा माइक्रो कैमरा, बैटरी और वायरलेस सिस्टम होता है। यह कैप्सूल लगभग 12 घंटे तक पेट के अंदर सक्रिय रहता है और 22 फीट लंबी छोटी आंत की पूरी जांच कर सकता है। इसके द्वारा पेट के अल्सर, गैस्ट्रिक कैंसर, आंतों में ब्लीडिंग, पोलीप्स, थ्रोम्बोसिस (खून के थक्के) और बायोप्सी की जांच भी की जा सकती है। यह तकनीक मरीज के लिए कम दर्दनाक और अधिक सुविधाजनक साबित हो सकती है।

ये खबर भी पढ़िए... बेटा पूरे परिवार को खत्म कर देगा, तांत्रिक के बहकावे में आकर मां ने बेटे को नहर में फेंका

गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में नई खोज

कॉन्फ्रेंस में डॉ. एसपी मिश्रा ने गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि अब खून के थक्के जमने से संबंधित समस्याओं के लिए भी नई जांच और इलाज की प्रक्रिया विकसित की जा रही है। साथ ही, डॉ. आचार्य ने कहा कि पेट के रोगों से जुड़ी गलत धारणाओं को भी दूर किया जा रहा है, जैसे 'नाभी का हटना' या 'गैस का सिर में चढ़ना', जो वैज्ञानिक रूप से सही नहीं हैं।

ये खबर भी पढ़िए... जबलपुर की सड़कों पर यमराज की एंट्री! ट्रैफिक सुधार के लिए कलाकार ने उठाया ब्रश

ऑर्गन ट्रांसप्लांट क्षेत्र में सफलता

डॉ. एसके आचार्य ने भारत के मेडिकल क्षेत्र में उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत ऑर्गन ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे सफल देश है। यहां 75-80 प्रतिशत ट्रांसप्लांट मरीज 10-15 वर्षों तक स्वस्थ जीवन जीते हैं।

ये खबर भी पढ़िए... एमपी में पुलिस भर्ती को मिली मंजूरी, 8500 पदों के लिए मिली स्वीकृति, डीजीपी ने दी जानकारी

बच्चों के स्वास्थ्य पर पाचन तंत्र का प्रभाव

इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि पाचन तंत्र की समस्याओं का बच्चों की शारीरिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सही समय पर इलाज और आंतों से जुड़ी समस्याओं का निदान बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।

 

MP News भारत भोपाल मध्य प्रदेश पिल बोट एंडोस्कोपी गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी