जबलपुर की सड़कों पर यमराज की एंट्री! ट्रैफिक सुधार के लिए कलाकार ने उठाया ब्रश

अभिषेक द्वारा बनाई गई पेंटिंग में यमराज को भैंसे पर बैठे हुए दर्शाया गया है। उनके चारों ओर चार प्रभावशाली चेहरे सीएम मोहन यादव, विधायक अभिलाष, कलेक्टर दीपक कुमार और एसपी संपत उपाध्याय दिखाया गया हैं।

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Neel Tiwari
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MP NEWS: जब व्यवस्थाएं बेबस हों और प्रशासन आंख मूंद ले, तब कभी-कभी एक कलाकार का ब्रश वह आवाज़ बन जाता है जो पूरे शहर को झकझोर देता है। जबलपुर में रानीताल चौराहे पर कुछ ऐसा ही हुआ, जब यमराज की सवारी के साथ मुख्यमंत्री, विधायक, कलेक्टर और एसपी की तस्वीरों वाली पेंटिंग सामने आई। यह कोई व्यंग्य नहीं, बल्कि एक सशक्त संदेश है कि सड़क पर सिर्फ वाहन नहीं, ज़िंदगियां चलती हैं। रानीताल निवासी चित्रकार अभिषेक गुप्ता ने शहर की बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पेंटिंग के माध्यम से जन-जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया है। 

सोमवार को रानीताल फ्लाईओवर के नीचे सड़क के किनारे पेंटिंग बनाकर इस अभियान की शुरुआत की, जिसमें उनका साथ दिया दो अन्य कलाकारों सचिन विश्वकर्मा ने दिया। इस अभियान का मकसद न केवल लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति सजग करना है, बल्कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी उनके कर्तव्यों की याद दिलाना है।

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यमराज के साथ चार चेहरे, जिम्मेदारों से सीधी अपील

अभिषेक द्वारा बनाई गई इस अनोखी पेंटिंग की विशेषता यह है कि इसमें काल के देवता यमराज को भैंसे पर बैठे हुए दर्शाया गया है। उनके चारों ओर चार प्रभावशाली चेहरे सीएम मोहन यादव, विधायक अभिलाष पांडे, कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना और एसपी संपत उपाध्याय पेंटिंग किए गए हैं। 

यह चित्रकारी एक प्रतीकात्मक संदेश देती है कि जब ट्रैफिक अव्यवस्था के कारण मौतें हो रही हैं, तब इन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग ही जनता की उम्मीद हैं, जिनसे यह समस्या सुलझाने की अपेक्षा की जा रही है। यमराज की मौजूदगी उस डर को दर्शाती है, जो हर रोज सड़कों पर चलने वाला व्यक्ति महसूस करता है।

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नियमों की धज्जियां और खामोश ट्रैफिक सिस्टम

जबलपुर की सड़कों पर ट्रैफिक नियमों की हालत किसी से छिपी नहीं है। वाहन चालक सिग्नल की परवाह किए बिना सड़क पार करते हैं, हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग घटता जा रहा है, और ट्रैफिक पुलिस की भूमिका अक्सर केवल चालान काटने तक ही सीमित नजर आती है।

चित्रकार अभिषेक गुप्ता का कहना है कि वे प्रतिदिन देखते हैं कि किस तरह की लापरवाही से दुर्घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। ऐसे में उन्होंने पेंटिंग को माध्यम बनाकर एक गंभीर सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया है कि सड़कें कानून से नहीं, समझदारी और व्यवस्था से सुरक्षित होती हैं।

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चित्रकार की पहल को लोगों ने सराहा 

पेंटिंग बनते समय वहां मौजूद राहगीरों में से कई लोगों ने रुककर इसे देखा और सराहना की। एक राहगीर ने साफ शब्दों में कहा कि यह काम ट्रैफिक पुलिस का है, जो सड़कों पर व्यवस्था बनाने के बजाय केवल जुर्माना वसूलने में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि एक कलाकार अपनी कला के जरिए जो संदेश दे रहा है, वह असल में एक चेतावनी है  कि यदि अब भी व्यवस्था नहीं सुधरी, तो हालात और खराब होंगे।

ऐसे जागरूक नागरिकों का मानना है कि जब तक प्रशासन और जनता दोनों मिलकर ट्रैफिक सुधार के लिए प्रयास नहीं करेंगे, दुर्घटनाएं रुकना नामुमकिन है।आपको बता दें कि रानीताल चौराहा, जबलपुर का एक प्रमुख जंक्शन है जो नौ अलग-अलग रास्तों को जोड़ता है। यहां दिनभर वाहनों का तेज़ बहाव बना रहता है, लेकिन शाम होते-होते हालात भयावह हो जाते हैं।

चित्रकार अभिषेक गुप्ता का कहना है कि महिलाओं और स्कूली बच्चियों को इस चौराहे को पार करते समय भय होता है। बेतरतीब गाड़ियों की आवाजाही और कोई तय दिशा-निर्देश न होने की वजह से आम लोग विशेषकर बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस पेंटिंग के माध्यम से प्रशासन को सचेत किया है कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

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पेंटिंग के जरिए ट्रैफिक सुधार की मांग

स्थानीय नागरिकों ने इस पहल के समर्थन में अपनी बात रखते हुए प्रशासन से यह भी मांग की है कि सिर्फ रानीताल ही नहीं, बल्कि शास्त्री ब्रिज और घमापुर मालवीय चौक जैसे अन्य प्रमुख ट्रैफिक प्वाइंट्स पर भी ट्रैफिक पुलिस की पर्याप्त तैनाती की जाए।

इन इलाकों में भी सड़क पर जाम और दुर्घटनाओं की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण ट्रैफिक कर्मियों की अनुपस्थिति और अनुशासनहीन वाहन चालकों की बढ़ती संख्या है। लोगों ने कहा कि अगर पुलिसकर्मी चौराहों पर स्थायी रूप से तैनात रहेंगे और ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करेंगे, तो दुर्घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी।

ब्रश से उठी आवाज, क्या सुनेंगे जिम्मेदार?

अभिषेक गुप्ता की यह पेंटिंग कोई साधारण चित्र नहीं है, यह शहर की उस खामोश चीख को स्वर दे रही है जो हर रोज़ सड़कों पर दुर्घटनाओं में तब्दील हो रही है। यह सिर्फ एक कलाकृति नहीं, बल्कि सवाल है व्यवस्था से, शासन से और जिम्मेदारों से। क्या प्रशासन इस कलात्मक चेतावनी को गंभीरता से लेगा? क्या सीएम, विधायक, कलेक्टर और एसपी जैसे चेहरे, जिन्हें इस पेंटिंग में शामिल किया गया है, अब इस मौन अपील पर कोई ठोस निर्णय लेंगे? जवाब भविष्य में छुपा है, लेकिन इतना तय है कि जब तक समाज में ऐसे कलाकार और नागरिक हैं, तब तक उम्मीद जिंदा है।

 एमपी हिंदी न्यूज | मध्य प्रदेश

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