बेटा पूरे परिवार को खत्म कर देगा, तांत्रिक के बहकावे में आकर मां ने बेटे को नहर में फेंका

अंधविश्वास की हद... फरीदाबाद में तांत्रिक ने कह दिया कि बच्चा सफेद जिन्न है। बस इतना सुनते ही मां अपने दो साल के बेटे को नहर में फेंक आई। तांत्रिक ने कहा था कि बच्चा ‘सफेद जिन्न’ है और पूरे परिवार के लिए खतरा बन सकता है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला ने अपने दो साल के बेटे को आगरा नहर में सिर्फ इसलिए फेंक दिया क्योंकि एक तांत्रिक ने उसे बताया था कि उसका बेटा 'सफेद जिन्न' (White Jinn) है और पूरे परिवार के लिए खतरा बन सकता है।

यह मामला न सिर्फ अंधविश्वास की भयावहता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज के आधुनिक युग में भी तांत्रिकों और झूठे विश्वासों की जड़ें समाज में कितनी गहरी हैं।

पूरा मामला क्या है?

फरीदाबाद के सैनिक कॉलोनी निवासी कपिल लुकरा ने पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी मेघा अक्सर बेटे को लेकर तांत्रिक मिता भाटिया के पास जाती रहती थी। वहीं से इस त्रासदी की शुरुआत हुई। तांत्रिक ने बताया कि बेटा ‘सफेद जिन्न’ है और यह पूरे परिवार को खत्म कर देगा।
रविवार शाम को मेघा अपने दो साल के बेटे को लेकर घर से निकली और बीपीटीपी थाना क्षेत्र स्थित आगरा नहर पुल से उसे फेंक दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने महिला को पकड़ लिया और पुलिस को सूचित किया।

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महिला की मानसिक स्थिति संदिग्ध

पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तो महिला स्पष्ट रूप से जवाब नहीं दे पा रही थी। पुलिस ने कपिल को बुलाया, जिन्होंने आकर पूरी कहानी बताई। कपिल और मेघा की शादी 16 साल पहले हुई थी और उनके दो बच्चे हैं- एक 14 साल की बेटी और दो साल का बेटा।

रेस्क्यू टीम का सर्च ऑपरेशन जारी

पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमों ने तुरंत नहर में सर्च ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन सोमवार शाम तक बच्चे को ढूंढा नहीं जा सका। बीपीटीपी थाने में मेघा और तांत्रिक मिता भाटिया के खिलाफ हत्या (Murder) की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।

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अंधविश्वास के खिलाफ कानून क्या कहता है?

भारत में अंधविश्वास के खिलाफ कोई सख्त राष्ट्रीय कानून नहीं है, लेकिन कई राज्य जैसे महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसके खिलाफ कानून बनाए गए हैं। हालांकि, इस तरह के मामलों में अक्सर IPC की धारा 302 (हत्या) और 120B (षड्यंत्र) लगाई जाती है।

क्या कहती है समाज की सोच?

इस घटना ने एक बार फिर ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आज भी लोग विज्ञान और लॉजिक के बजाय तांत्रिकों के झूठे दावों पर भरोसा कर लेते हैं। एक मां का अपने ही बच्चे को मार देना इस बात का प्रमाण है कि अंधविश्वास केवल अपराध को नहीं बढ़ाता, बल्कि समाज की आत्मा को भी मार देता है।

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