जाति प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े में छानबीन समितियों का बोझ कम कर रही एसटीएफ

मध्यप्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से सरकारी नौकरियों में घुसपैठ हो रही है। एसटीएफ 600 से ज्यादा मामलों की तेजी से जांच कर रही है। एसटीएफ ने 34 से ज्यादा फर्जी डीएड अंकसूचियों का खुलासा किया।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के सहारे सरकारी नौकरियों में घुसपैठ के मामले नए नहीं हैं। राज्य की सरकारी नौकरियों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी करने वालों की भरमार है। राज्य स्तरीय छानबीन समितियों में उलझे मामलों की अब STF तेजी से जांच कर रही है। 

राज्य स्तर पर गठित छानबीन समितियों के सामने ऐसे 600 से ज्यादा मामले विचाराधीन हैं। ऐसे में STF उनकी जांच का भार कम कर रही है। STF इससे पहले 34 से ज्यादा शिक्षकों की डीएड की अंकसूची फर्जी होने का खुलासा कर चुकी है। 

STF ने सरकारी नौकरियां हथियाने वाले दो दर्जन अधिकारियों पर अपराध दर्ज किया। ये अधिकारी फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के सहारे स्वास्थ्य, पुलिस, राजस्व, उद्यानिकी और बिजली कंपनियों में सालों से काम कर रहे थे।

STF ने इन कर्मचारियों के फर्जीवाड़े की जानकारी संबंधित कार्यालयों को भी भेजी है। हालांकि अब तक विभागीय स्तर पर इन पर कार्रवाई का इंतजार है। STF की तेज जांच से फर्जीवाड़े में जमे अधिकारी-कर्मचारियों की नींद उड़ गई है। अपराध दर्ज होने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

फर्जी जाति-दिव्यांग प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरियों में घुसपैठ, ऐसे खुला सारा मामला

पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजस्व विभाग में हथियाई नौकरी 

STF लगातार सरकारी नौकरियों में फर्जीवाड़े उजागर कर रही है। हाल ही में STF ने दो दर्जन से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। ये वे सरकारी मुलाजिम हैं जिन्होंने नौकरी हासिल करने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्रों का सहारा लिया है। 

फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के सहारे सबसे ज्यादा घुसपैठ स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस और राजस्व विभाग में हुई है। इससे पहले STF फर्जी अंकसूचियों के जरिए शिक्षक बनकर बैठे 34 लोगों पर अपराध दर्ज कर चुकी है। अब इनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। 

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जारीकर्ता कार्यालय से नहीं हुआ सत्यापन 

STF एसपी राजेश सिंह भदौरिया के अनुसार, फर्जीवाड़े से सरकारी नौकरी हासिल करने वालों की जांच हो रही है। इसी पड़ताल के दौरान दो दर्जन से ज्यादा अधिकारी- कर्मचारियों के फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की जानकारी सामने आई थी। 

STF द्वारा इन प्रमाण पत्रों की जांच करते हुए जारीकर्ता अधिकारियों के कार्यालयों से इनका सत्यापन कराया गया। इस दौरान ये जाति प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए। जानकारी जुटाने के बाद इनके फर्जी होने की पुष्टि होने के बाद ऐसे लोगों पर केस दर्ज कराया गया है। 

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फर्जीवाड़े में सहयोगियों की हो रही तलाश 

STF को जांच के दौरान जो जाति प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। उनमें सबसे ज्यादा संख्या अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की है। अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल लोगों द्वारा एससी और एसटी कैटेगरी के आरक्षण का लाभ लेने के लिए फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र बनवाए थे। 

SC या ST के जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने वालों ने पढ़ाई के दौरान खुद को ओबीसी कैटेगरी बताकर छात्रवृत्ति हासिल की थी। उनके पुराने जाति प्रमाण पत्रों की भी पड़ताल की गई।

STF अब सरकारी नौकरी के लिए ऐसे फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने वाले व्यक्तियों की जानकारी जुटा रही है। जांच के दौरान इस फर्जीवाड़े में STF के सामने करीब 8 नए किरदारों का भी पता लगा है। इनके नाम भी दर्ज कराए गए केसों में शामिल कराने की तैयारी कर ली गई है।  

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STF ने संभाला छानबीन समिति का काम 

फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से नौकरी हथियाने वालों में STF की सख्ती से खलबली मची है। यह लोग आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं का हक मार रहे थे। STF ने जिन पर केस दर्ज कराया है उनके फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की शिकायत पहले भी विभाग तक पहुंचती रही हैं।

कई मामले महीनों से राज्य स्तरीय समितियों के पास अटके हुए हैं। जांच टालने के लिए दस्तावेज नहीं दिए जाते थे। राज्य स्तरीय समितियों के पास 600 से ज्यादा शिकायतें हैं। ज्यादातर में कार्रवाई की अनुशंसा का इंतजार है। समितियों की बैठकों में ठोस निर्णय नहीं हो पा रहे हैं। STF की तेज जांच से समितियों का भार कम हुआ है।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र से इन्हें मिली नौकरी 

1. चिकित्सा विभाग में डॉ. दिनेश माझी, डॉ. सीमा बाथम, डॉ. रजनीश माझी, डॉ. विनोद बाथम नियुक्ति पाने में कामयाब रहे। वहीं डॉ. रेखा बाथम ने आयुर्वेदिक कॉलेज आमखो और डॉ. महेंद्र बाथम ने शिवपुरी में फार्मासिस्ट की नौकरी हासिल की। 

2. धोखाधड़ी, हेराफेरी जैसे मामलों की परतें खोलने वाला पुलिस महकमा भी फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की जांच में धोखा खा गया। पुलिस महकमे की विभिन्न इकाइयों में भी आधा दर्जन से ज्यादा कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी हथियाने में सफल रहे। STF को आरक्षक हेमंत बाथम (साइबर सेल ग्वालियर) , एसआई गीतिका बाथम (पीएचक्यू भोपाल), लोकेंद्र बाथम ( 25वीं बटालियन भोपाल ),  आरक्षक महेश बाथम  ( शिवपुरी), आरक्षक नाहर सिंह (शिवपुरी ) और सूबेदार अनिल बाथम (यातायात पुलिस श्योपुर ) के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। 

3. जाति प्रमाण पत्रों की पड़ताल कर रही STF ने राजस्व विभाग में कार्यरत भागीरथी माझी स्टेनो गुना, अनुपम मांझी स्टेनो गुना, देवीलाल ढीमर स्टेनो राजगढ़ के प्रमाण पत्र फर्जी पाए हैं। वहीं बिजली कंपनी में नियुक्ति पाने वाले मनीष गौतम महाप्रबंधक बैतूल और जेई होशंगाबाद हाकिम बाथम के अलावा उद्यानिकी विभाग के दमोह कार्यालय में संयुक्त संचालक के रूप में पदस्थ यश कुमार सिंह के जाति प्रमाण पत्र सत्यापन में जाली मिले हैं।  

4. शिक्षा विभाग डीएड की फर्जी अंकसूची के बाद जाली जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी देने में भी आगे रहा है। STF ने शिक्षक जवाहर सिंह केवट, शिक्षक सीताराम केवट, सरला माझी, कुसुम मांझी्,  राजेश केवट, बाबूलाल रावत, सुनीता रावत और दशरथ रावत के एससी और एसटी के जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए हैं।

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