इंदौर की तीर्थ गोपीकान कंपनी के 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी मामले में CBI ने बताया मुख्य षड़यंत्रकारी

'द सूत्र' ने 11 मई को इस खबर को ब्रेक किया था। सीबीआई ने पश्चिम बंगाल से दो आरोपियों की गिरफ्तारी की। 'द सूत्र' के पास मुख्य षड़यंत्रकारी और पूरे खेल की जानकारी आई है।

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Sanjay Gupta
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Tirth Gopikan Company
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इंदौर की तीर्थ गोपीकान कंपनी ने मप्र जल निगम लिमिटेड के 974 करोड़ के सिंचाई प्रोजेक्ट के लिए 184 करोड़ की बैंक गारंटी ली थी। यह गारंटी बाद में फर्जी निकली। हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश पर सीबीआई ने केस सौंपा। सीबीआई ने 9 मई को तीन प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की थी। 

'द सूत्र' ने 11 मई को इस खबर को ब्रेक किया था। सीबीआई ने पश्चिम बंगाल से दो आरोपियों की गिरफ्तारी की। 'द सूत्र' के पास मुख्य षड़यंत्रकारी और पूरे खेल की जानकारी आई है। फिलहाल गोपीकान कंपनी को क्लीन चिट नहीं मिली है।

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सीबीआई ने 19 जून को यह की थी कार्रवाई

सीबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक के सीनियर मैनेजर सहित दो लोगों को 19 जून को कोलकाता से गिरफ्तार किया। इसमें एक गोविंदचंद्र हांसदा है, जो पंजाब नेशनल बैंक में सीनियर मैनेजर पश्चिम बंगाल में पद पर है। एक अन्य आरोपी है। इनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई ने एमपी सहित 5 राज्यों के 23 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था।

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कौन है फर्जी बैंक गारंटी मामले का मास्टरमाइंड ?

सीबीआई की जांच में आया है कि इस मामले का मुख्य षड़यंत्रकारी राहुल गुप्ता है। इनके साथ एक और साथी मोहम्मद फिरोज खान है। तीसरा खुद बैंक मैनेजर गोविंदचंद्र है। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार बैंक गारंटी की जांच के लिए मप्र जल निगम ने बैंक को ईमेल किया लेकिन गोविंद ने यह ई मेल का जवाब नहीं दिया और यह गुप्ता को ईमेल किया। गुप्ता द्वारा इस फर्जी बैंक गारंटी के सही होने की जानकारी जल निगम को भेजी गई। 

इस पर ई मेल फिरोज के मोबाइल से किया गया। सभी ने मिलकर जानबूझकर जल निगम को गारंटी को लेकर सही जानकारी नहीं दी। इसके चलते निगम ने तीर्थ गोपीकान को 974 करोड़ का ठेका दे दिया। सीबीआई को जांच में पता चला कि कोलकाता स्थित यह सिंडिकेट कई राज्यों में सरकारी ठेके हासिल करने के लिए व्यवस्थित रूप से फर्जी बैंक गारंटियां तैयार कर उन्हें प्रसारित कर रहा है। आगे की जांच अभी जारी है।

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गोविंद ने कंपनी गोपीकान पर लगाए आरोप

गोविंद का कहना है कि वह कई सालों से नौकरी में हैं और मैनेजर पद पर रहे हैं। उन पर कोई आरोप नहीं लगे हैं। उन्होंने 16 जून 2023 को जल निगम को गारंटी फर्जी होने की जानकारी दी थी। मुख्य आरोपी तीर्थ गोपीकान कंपनी है। हालांकि, हाईकोर्ट में गोपीकान विरूद्ध जल निगम के केस में गोपीकान को सुरक्षा मिली। सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा गया। जानकारी देने के बावजूद गोविंद को आरोपी बनाया गया।

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गोपीकान कंपनी को अभी क्लीन चिट नहीं

सीबीआई की इस प्रारंभिक रिपोर्ट में यह तो सामने आया है कि ईमेल पर फर्जी बैंक गारंटी के सत्यापन के लिए यह गैंग सक्रिय है। लेकिन गोपीकान ने वाकई गारंटी दी थी या नहीं अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है। यानी कंपनी को अभी क्लीन चिट नहीं मिली है। इस सवाल का जवाब बाकी है क्या कंपनी ने 974 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को पाने के लिए सही में 184 करोड़ की बैंक गारंटी दी थी या नहीं। 

जांच में पता चला कि एमपी जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) ने बैंक गारंटी का प्रारंभिक सत्यापन किया। पीएमबी के आधिकारिक डोमेन की कापी करके फर्जी ईमेल भेजी गई। इस पर भरोसा करके एमपीजेएनएल ने फर्म को तीन अनुबंध दिए। इन अनुबंधों की कीमत 974 करोड़ रुपए से अधिक थी।

गोपीकान कंपनी ने किया था सबसे बड़ा सौदा

तीर्थ गोपीकान कंपनी हाल ही में चर्चा में आई थी जब उसने कुक्कुट पालन केंद्र स्मार्ट सिटी इंदौर की जमीन का 454 करोड़ में रियल एस्टेट सौदा किया। अब सीबीआई जांच के बाद यह सौदा भी उलझन में आ चुका है।

सीबीआई केस में रावजी बाजार थाने की शिकायत आधार

हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले में सीबीआई को जांच कर 30 जून तक रिपोर्ट देने के लिए कहा हुआ है। इस मामले में कंपनी का तर्क है कि उन्हें नहीं पता था कि यह बैंक गारंटी फर्जी है। इसके लिए उन्होंने रावजी बाजार इंदौर थाने में शिकायत भी दे दी थी। 

हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश दिए हैं कि कंपनी ने धोखाधड़ी की है या फिर वह खुद धोखे का शिकार हुई है इसकी जांच सीबीआई करे। हाईकोर्ट के फैसले पर रावजी बाजार थाने में धोखाधड़ी की विविध धाराओं में हुई शिकायत को आधार पर बनाकर सीबीआई ने यह केस दर्ज कर जांच शुरू की है। 

यह है पूरा मामला

जल निगम का टेंडर कंपनी को मिला और इसके लिए उसने पीएनबी कोलकाता की नार्थ 24 परगना ब्रांच की बैंक गारंटी 184 करोड़ की दी। यह बैंक गारंटी 20 मार्च 2023 की थी। 25 अप्रैल 2025 को कंपनी को जल निगम से नोटिस मिला कि यह बैंक गारंटी फर्जी है। कंपनी को तत्काल नई बैंक गारंटी देने के आदेश दिए गए। 

इस पर कंपनी हाईकोर्ट में गई और याचिका 16421/2025 दायर करते हुए  कहा कि उनसे बैंक अधिकारी मिले और यह गारंटी दी गई। हमे भी अब पता चला कि यह फर्जी है जब जल निगम से नोटिस आया, तो इस मामले में धोखाधड़ी तो हमारे साथ हुई है, इसकी शिकायत हमने रावजी बाजार थाना इंदौर में की है। इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए। साथ ही एक महीने में कंपनी को नई बैंक गारंटी देने के लिए कहा है, तब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई पर रोक लगाई है।

कंपनी मूल रूप से गुजरात की

कंपनी मूल रूप से अहमदाबाद (गुजरात) की है। MP में इसका आफिस इंदौर में 204, अमर मेट्रो पगनिस पागा इंदौर में हैं। कंपनी के एमडी महेश भाई कुंभानी है, इसमें प्रमोटर व डायरेक्टर चंद्रिकाबेन कुंभानी और नान एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुंभानी है। 

कंपनी मूल रूप से सरकार के सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स के टेंडर लेती है। कंपनी ने इंदौर, उज्जैन, छतरपुर जैसे शहरों में कई प्रोजेक्ट किए हैं। इंदौर में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के तहत सराफा प्रोजेक्ट, नाला टैपिंग, एसटीपी प्रोजेक्ट, सरवटे प्रोजेक्ट जैसे कई प्रोजेक्ट किए हैं, उज्जैन में अमृत 2.0 प्रोजेक्ट किया है।

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