केंद्र में काम करने वाले राज्य कर्मचारी नहीं होंगे अधिक पेंशन के हकदार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के वे कर्मचारी जो केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं। वे केंद्रीय पेंशन नियमों के तहत पेंशन के हकदार नहीं होंगे। यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए दिया गया।

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Neel Tiwari
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Supreme Court

Supreme Court Photograph: (the sootr)

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New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार के वे कर्मचारी, जो केंद्र सरकार के विभागों में डेपुटेशन पर कार्यरत रहते हैं, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पेंशन के हकदार नहीं होंगे। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के पहले के फैसले को पलटते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास हाईकोर्ट का फैसला

यह विवाद तमिलनाडु के एक सरकारी कर्मचारी से जुड़ा है, जिन्होंने राज्य सरकार में अपनी सेवा के दौरान केंद्र सरकार के एक विभाग में डेपुटेशन पर काम किया था। उनकी सेवा पूरी होने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार के पेंशन नियमों के तहत पेंशन की मांग की। मद्रास हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार में उनकी सेवाओं को पेंशन लाभ के लिए गिना जाए। केंद्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। केंद्र का तर्क था कि याचिकाकर्ता केवल डेपुटेशन पर काम कर रहे थे और केंद्रीय सेवा नियमों के तहत उन्हें पेंशन का अधिकार नहीं है। जिसे सही मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह साफ कर दिया है कि डेपुटेशन पर काम करने वाले कर्मचारियों को केंद्रीय पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।

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केंद्र सरकार का स्थाई कर्मचारी होना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलील को सही ठहराते हुए कहा कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के अनुसार, पेंशन का लाभ केवल उन्हीं कर्मचारियों को दिया जाता है, जो केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी होते हैं। सुप्रीमकोर्ट ने स्पष्ट किया कि डेपुटेशन पर तैनात कर्मचारी राज्य सरकार की सेवा का हिस्सा बने रहते हैं और केंद्र सरकार के स्थायी कैडर का हिस्सा नहीं होते।

डेपुटेशन पर नहीं मिल सकता केंद्रीय पेंशन नियमों का लाभ

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "डेपुटेशन एक अस्थायी व्यवस्था है, जिसमें कर्मचारी को उसकी मूल सेवा से हटाकर एक अन्य विभाग या सरकार में कुछ समय के लिए काम करने के लिए भेजा जाता है। यह मूल सेवा के नियमों और शर्तों को समाप्त नहीं करता। इसलिए, ऐसे कर्मचारियों को केंद्रीय पेंशन नियमों के तहत लाभ नहीं दिया जा सकता।"

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इस फैसले का व्यापक प्रभाव

यह फैसला पेंशन और डेपुटेशन से जुड़े मामलों में भविष्य में उत्पन्न होने वाले कानूनी विवादों को कम करेगा। इसके साथ ही यह राज्य और केंद्र सरकारों के बीच सेवा नियमों की सीमाओं को स्पष्ट करेगा। हालांकि केंद्र में डेपुटेशन पर जाने वाले कर्मचारियों को अब अपनी सेवा शर्तों को लेकर अधिक सावधान रहना होगा।

खत्म हुई असमंजस की स्थिति

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि डेपुटेशन पर काम करने वाले कर्मचारी अपने मूल सेवा नियमों के अनुसार ही लाभ प्राप्त करेंगे। यदि उन्हें पेंशन या अन्य लाभ की उम्मीद है, तो उन्हें अपनी सेवा शर्तों को पहले ही स्पष्ट कर लेना चाहिए।

विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला न केवल सेवा शर्तों को साफ करता है, बल्कि इससे यह भी सुनिश्चित हो गया है कि पेंशन जैसे लाभ केंद्र के उन कर्मचारियों तक ही सीमित रहें जो भर्ती के अनुसार केंद्र सरकार के लिए काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनकी सेवाओं और अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक तो कर रहा है, लेकिन मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बाद सेंट्रल गवर्नमेंट की पेंशन नीति के तहत पेंशन पाने की आस रखने वाले वह कर्मचारी जो डेपुटेशन में सेंट्रल मिनिस्ट्री के लिए काम करते थे उनके लिए यह फैसला निराशा भरा है।

यह हैं पेंशन के विकल्प

राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पेंशन योजनाओं को लेकर समय-समय पर सुधार किए गए हैं। नई पेंशन योजना (NPS) के तहत सभी कर्मचारियों को उनके योगदान के आधार पर पेंशन मिलती है। लेकिन जो कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत आते हैं, उनके लिए यह फैसला विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

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