एक अगस्त से लागू होंगे UPI पेमेंट के नए नियम, जानिए ऑनलाइन भुगतान में आप पर क्या होगा असर

एक अगस्त से UPI पेमेंट सिस्टम में बदलाव होंगे। नए नियमों का असर बैलेंस चेक, ऑटोपे और ट्रांजेक्शन स्टेटस पर पड़ेगा। हाल में हुई तकनीकी रुकावटों से बचने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। जानते हैं क्या होंगे ये बदलाव... 

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने UPI पेमेंट सिस्टम में बदलाव की घोषणा की है। ये बदलाव एक अगस्त 2025 से लागू होंगे। इसका उद्देश्य UPI सिस्टम को सुरक्षित, तेज और स्थिर बनाना है। तकनीकी रुकावटों से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है। बदलावों का असर लाखों यूजर्स पर पड़ेगा, जो रोजाना UPI का इस्तेमाल करते हैं।

UPI सिस्टम में क्यों हो रहे हैं बदलाव?

भारत में UPI डिजिटल पेमेंट का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख माध्यम बन चुका है। 2025 में मई माह में UPI ने 18 अरब से अधिक ट्रांजेक्शंस किए थे, जिनकी कुल वैल्यू 25.14 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा थी। लेकिन कुछ महीनों में UPI सिस्टम में कई बार रुकावट आई थी। मार्च 26 से अप्रैल 12, 2025 के बीच 18 दिनों में UPI सिस्टम 4 बार रुक चुका था, और सबसे लंबी रुकावट 12 अप्रैल को हुई थी, जब UPI सिस्टम 5 घंटे तक ठप था।

इन रुकावटों की मुख्य वजह सिस्टम पर अधिक दबाव और APIs (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) का गलत इस्तेमाल था, खासकर ट्रांजेक्शन स्टेटस चेक करने वाली API का। इस कारण NPCI ने इन APIs के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिए कुछ सख्त नियम लागू करने का निर्णय लिया है।

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UPI पेमेंट सिस्टम में हो रहे बदलाव...

बैलेंस चेक की लिमिट

अब से, UPI पर बैलेंस चेक करने की सीमा तय की गई है। यूजर्स अब एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेंगे। इससे सिस्टम पर अनावश्यक दबाव कम होगा, और UPI सर्विस का इस्तेमाल तेज और सुरक्षित रहेगा।

लिंक्ड अकाउंट्स चेक करने की सीमा

अपने UPI ऐप से जुड़े बैंक अकाउंट्स की लिस्ट देखने की सीमा भी तय की गई है। अब आप दिन में सिर्फ 25 बार ही अपनी बैंक अकाउंट लिस्ट देख पाएंगे। यह बदलाव भी सिस्टम की गति और स्थिरता बढ़ाने के लिए किया गया है।

ऑटोपे का समय

ऑटोपे, जैसे SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान), नेटफ्लिक्स पेमेंट्स, और अन्य नियमित भुगतान, अब केवल कम भीड़ वाले समय में किए जाएंगे। ये पेमेंट्स सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे के बीच, और रात 9:30 बजे के बाद ही किए जा सकेंगे। इसके अलावा, प्रत्येक ऑटोपे के लिए 1 प्रयास और 3 बार रिट्री की अनुमति होगी।

ट्रांजेक्शन स्टेटस में देरी

अब UPI ट्रांजेक्शन के स्टेटस को चेक करने के लिए API कॉल्स को बारी-बारी से किया जाएगा। प्रत्येक ट्रांजेक्शन की स्थिति को 3 बार से ज्यादा नहीं चेक किया जा सकेगा। इसके अलावा, हर रिक्वेस्ट के बीच 90 सेकंड का गैप होना जरूरी है।

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इन बदलावों का क्यों है महत्व?

UPI की सफलता ने भारत को डिजिटल पेमेंट्स में एक अग्रणी देश बना दिया है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य UPI सिस्टम को तकनीकी रूप से मजबूत और स्थिर बनाना है। जब सिस्टम पर अधिक दबाव होता है, तो UPI सर्विस में रुकावट आ सकती है, जिससे लाखों ट्रांजेक्शंस प्रभावित हो सकते हैं। NPCI के अनुसार, एक मिनट की रुकावट से लगभग 4 लाख ट्रांजेक्शंस रुक सकते हैं। इस तरह की रुकावटों को रोकने के लिए ये बदलाव बेहद जरूरी हैं।

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आम लोगों पर इसका असर

इन बदलावों का अधिकांश उपयोगकर्ताओं पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन कुछ मामलों में यह बदलाव परेशानी भी पैदा कर सकते हैं।

बैलेंस चेक की सीमा

जो लोग बार-बार बैलेंस चेक करते हैं, उन्हें अब अपनी आदत बदलनी पड़ सकती है। दिन में 50 बार बैलेंस चेक करने की सीमा से कुछ यूजर्स को थोड़ी असुविधा हो सकती है।

ऑटोपे में बदलाव

ऑटोपे के समय में बदलाव होने से कुछ यूजर्स को अपनी सब्सक्रिप्शन पेमेंट का समय बदलने में दिक्कत हो सकती है। अगर आपका ऑटोपे भुगतान पहले दोपहर के समय हुआ करता था, तो अब वह सुबह या रात के समय हो सकता है।

तेज और स्थिर सिस्टम

इन बदलावों का मुख्य फायदा यह होगा कि UPI सिस्टम अधिक तेज और स्थिर हो जाएगा। इससे लाखों भारतीयों को बिना रुकावट के बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।

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एक्सपर्ट्स की राय

डिजिटल पेमेंट्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि NPCI द्वारा किए गए ये बदलाव एक अच्छा कदम हैं। इनसे UPI सिस्टम ज्यादा सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद बनेगा। भारतीय डिजिटल इकॉनमी के लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि UPI के माध्यम से लाखों ट्रांजेक्शंस होते हैं, और इसका स्थिर रहना बहुत जरूरी है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैंकों को इन बदलावों को लागू करने में कुछ तकनीकी दिक्कतें हो सकती हैं, क्योंकि कई बैंक पहले से NPCI के नियमों का पूरी तरह पालन नहीं कर रहे थे। मध्यप्रदेश 

 

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