सतयुग के महर्षि च्यवन ऋषि की तपोस्थली पर राज्य सरकार के प्रोजेक्ट से मंडरा रहा खतरा

राज्य सरकार ने महोदरी-कोठावा जंगल में फास्फोराइट खनन परियोजना स्वीकृत की है। यह क्षेत्र महर्षि च्यवन ऋषि की तपोस्थली है। खनन से यहां के लाखों पेड़ और जीव प्रभावित हो सकते हैं। दुर्लभ औषधियां भी प्रभावित हो सकती हैं।

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Rahul Dave
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INDORE. खरगोन के महोदरी-कोठावा जंगल क्षेत्र में राज्य सरकार के प्रोजेक्ट से खतरा मंडरा रहा है। यह क्षेत्र सतयुग महर्षि च्यवन ऋषि की तपोस्थली और प्राकृतिक संपदा का केंद्र माना जाता है। 

राज्य सरकार ने फास्फोराइट खनन परियोजना को स्वीकृति दी है। इससे महर्षि च्यवन ऋषि की तपोस्थली प्रभावित होगी। जंगल के लाखों पेड़ और जीवों पर भी असर पड़ेगा। इसके साथ ही दुर्लभ औषधियों का नुकसान होगा।

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699 हेक्टेयर में खनन की तैयारी

सितंबर 2023 में राज्य सरकार ने महोदरी फॉस्फोराइट ब्लॉक परियोजना को मंजूरी दी। इसके तहत 699 हेक्टेयर घने जंगल में खनन प्रस्तावित है। खनन का अधिकार गुरुग्राम स्थित कमोडिटी हब कंपनी को दिया गया है।

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पर्यावरण संतुलन होगा प्रभावित 

परियोजना से जंगल का विशाल हिस्सा उजड़ने की आशंका है। इससे पर्यावरण संतुलन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। यह क्षेत्र महोदरी आश्रम, कोठावा आश्रम और च्यवन ऋषि आश्रम के आसपास फैला हुआ है। खनन से इन धार्मिक स्थलों की शांति और प्राकृतिक विरासत भी प्रभावित होगी।

लाखों पेड़ और औषधीय वनस्पतियों को खतरा 

महोदरी-कोठावा क्षेत्र हजारों वर्षों से औषधीय पौधों की प्राकृतिक प्रयोगशाला माना गया है। इस परियोजना के चलते लाखों पेड़ों के कटने का खतरा है। यहां पाई जाने वाली दुर्लभ वन औषधियां नष्ट हो सकती हैं। आयुर्वेद में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।

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वन्यजीव संरक्षण की चुनौती

वाइल्डलाइफ वार्डन टोनी शर्मा के अनुसार, महोदरी-कोठावा जंगल संवेदनशील क्षेत्र है। यहां बाघ, 40 तेंदुए, रीछ, हनी बेजर, कोबरा, वायपर और 105 पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। खनन से इन सभी को खतरा है।

नर्मदा नदी तक पहुंच सकता है प्रदूषण

यह क्षेत्र धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह भारी औद्योगिक गतिविधि के लिए संवेदनशील है। खनन से निकलने वाला अपशिष्ट नर्मदा नदी में जा सकता है।

उच्च न्यायालय में जनहित याचिका

इस मामले को लेकर मप्र उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। एडवोकेट अभिष्ट मिश्रा, तुषार दुबे और मयूरसिंह परिहार इसमें पैरवी कर रहे हैं। 

केंद्र, राज्य सरकार को नोटिस 

याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अन्य को पक्षकार बनाया गया है। न्यायालय ने सभी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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क्षेत्र के विनाश की तैयारी

संत महादेव जी महाराज ने योजना का विरोध किया। उन्होंने इसे विनाश का प्रतीक बताया। खनन से नर्मदा प्रदूषित होगी और वन्य प्राणी नष्ट होंगे। देवभूमि और तपोभूमि समाप्त हो जाएगी। ऋषियों द्वारा पवित्र भूमि को खोदना पाप है।

एक खदान में तब्दील हो जाएगा

याचिककर्ता पंडित विवेक दुबे राजगुरु ने खनन योजना का विरोध किया। उन्होंने कहा कि नर्मदा का जल दूषित होगा। वन्य जीव नष्ट होंगे और जंगल खदान बन जाएगा। यह क्षेत्र देवभूमि और तपोभूमि है। यहां च्यवन ऋषि की स्थली, जैन तीर्थ और मंदिर हैं। इन स्थलों की पवित्रता को नुकसान पहुंचाना गलत है। वे इस मामले में पूरी लड़ाई लड़ेंगे।

च्यवन ऋषि ने किया था कठोर तप 

यह वही तपोभूमि है जहां महर्षि च्यवन ऋषि ने कठोर तप किया। बताया जाता है कि यहां पर उन्होंने करीब 10 हजार साल तक कठोर तप किया था। च्यवनेश्वर महादेव की स्थापना उसी समाधिस्थली पर हुई है। इस स्थल का उल्लेख महाभारत, रामायण और स्कंद पुराण में है।

भीम की पत्नी हिडिंबा की कुलदेवी 

महोदरी का नाम देवी भगवती के महोदरी रूप से जुड़ा है। स्थानीय मान्यता के अनुसार यह देवी, भीम की पत्नी हिडिंबा की कुलदेवी भी हैं।

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