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Photograph: (the sootr)
RAIPUR.प्रदेश की निचली अदालतों से रिटायर हुए जजों को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अब रिटायर जजों को हर साल अपने रिटायरमेंट जिले में जाकर लाइफ सर्टिफिकेट जमा नहीं करना होगा।
जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने यह राहत दी है। इस नियम को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं का निपटारा डिविजनल बेंच ने कर दिया। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अनुभव जैन ने कोर्ट को बताया कि 13 दिसंबर 2024 को जारी विवादित परिपत्र को वापस ले लिया है।
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अव्यवहारिक नियम से थीं परेशानियां
फॉर्मर जज वेलफेयर एसोसिएशन ने याचिका दायर करके यह समस्या सामने रखी थी। रिटायर्ड जजों को प्रदेश सरकार से मेडिकल और घरेलू भत्ते मिलते हैं। मगर, 2024 के एक आदेश ने लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना अनिवार्य कर दिया था। यह प्रमाण पत्र हर साल नवंबर में रिटायरमेंट जिले में जाकर देना होता था।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि कई जज अब दूसरे राज्यों या विदेशों में रहते हैं। 70-80 वर्ष की उम्र में उनके लिए हर साल यात्रा करना व्यावहारिक नहीं है। बहुत से जज शारीरिक रूप से लंबी यात्रा करने में सक्षम भी नहीं हैं।
रिटायर जजों के लिए हाईकोर्ट के फैसले को ऐसे समझेंरिटायर जजों के लिए राहत: प्रदेश की निचली अदालतों से रिटायर हुए जजों को अब लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने के लिए हर साल अपने रिटायरमेंट जिले में जाने की अनिवार्यता नहीं होगी। हाईकोर्ट का फैसला: जबलपुर हाईकोर्ट ने 2024 के विवादित आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए राज्य सरकार ने आदेश को वापस लेने का स्वागत किया। व्यावहारिक समस्याएं: रिटायर जजों के लिए यह नियम परेशानी का कारण था, क्योंकि कई जज विदेशों या दूसरे राज्यों में रहते थे, और वृद्धावस्था में यात्रा करना संभव नहीं था। राज्य सरकार का कदम: सरकार ने शासकीय अधिवक्ता अनुभव जैन के माध्यम से पुष्टि की कि विवादित परिपत्र को 13 दिसंबर 2024 को पूरी तरह से वापस ले लिया गया है। रिटायर जजों का योगदान: हाईकोर्ट ने कहा कि रिटायर जजों ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत किया है, और अब उन्हें वृद्धावस्था में इस तरह की अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्ति मिली है। |
हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले का स्वागत किया
वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष जोरदार ढंग से रखा। उन्होंने कहा, रिटायर जजों ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत किया है। वृद्धावस्था में उन्हें अनावश्यक औपचारिकताओं में उलझाना असंवेदनशील है।
सरकार ने परिपत्र वापस लेने की सूचना हाईकोर्ट को दी। इस पर हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने इसे रिटायर जजों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय बताया।
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रिटायर जजों को बड़ी राहत
इस फैसले से रिटायर जजों को राहत मिली है। अब उन्हें हर साल अपने रिटायरमेंट जिले में नहीं जाना पडे़गा। यह निर्णय उन जजों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो उम्रदराज हैं। कई जज शारीरिक रूप से यात्रा करने में सक्षम नहीं हैं।
मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम रिटायर जजों के लिए एक बड़ा तोहफा साबित हुआ है। इस फैसले ने यह भी दिखाया कि सरकार उनके अधिकारों और उनकी जीवन स्थितियों के प्रति संवेदनशील है।
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