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Photograph: (THESOOTR)
JABALPUR. मध्यप्रदेश शासन द्वारा हरदा जिले की न्यायिक क्षेत्राधिकार को जबलपुर से अलग कर इंदौर हाईकोर्ट से जोड़ने के प्रस्ताव ने जबलपुर के अधिवक्ता समुदाय में भारी असंतोष पैदा कर दिया है।
शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा 28 अक्टूबर को जारी पत्र के विरोध में गुरुवार 13 नवंबर को जबलपुर के सभी प्रमुख अधिवक्ता संगठनों की एक संयुक्त आपात बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस प्रस्ताव को “जबलपुर के अधिकारों पर सीधा प्रहार” बताया गया।
चीफ जस्टिस से करेंगे शिकायत
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा से मुलाकात कर शासन के इस प्रस्ताव के विरोध में लिखित आपत्ति प्रस्तुत करेगा। इसके साथ ही जबलपुर के सांसद, विधायकों और महापौर से भी इस प्रस्ताव का विरोध करने का अनुरोध किया जाएगा। सभी अधिवक्ता संगठनों ने एकजुट होकर यह भी तय किया कि वे शासन और संबंधित विभागों को संयुक्त हस्ताक्षरित प्रतिवेदन सौंपेंगे।
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जबलपुर का अधिकार नहीं छिनने देंगे
पिछले कुछ सालों में जबलपुर के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया गया है और अब उसके वैध अधिकारों को छीने जाने की कोशिश की जा रही है।
अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि शासन इस प्रस्ताव को वापस नहीं लेता है, तो जबलपुर के अधिवक्ता समुदाय अन्य सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर आंदोलनात्मक रणनीति अपनाएगा। सभी उपस्थित अधिवक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि “जबलपुर का अधिकार दिला कर रहेंगे, और उसके हक को किसी भी स्थिति में जाने नहीं देंगे।”
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एकजुट हुए सभी अधिवक्ता संघ
यह बैठक हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन, जबलपुर के मीटिंग हॉल में हुई। जिसका संचालन संघ के सचिव अधिवक्ता निखिल तिवारी ने किया। बैठक में हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जिला अधिवक्ता संघ, सीनियर एडवोकेट्स काउंसिल और राज्य अधिवक्ता परिषद के जबलपुर से जुड़े आठ निर्वाचित सदस्यों सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।
इस दौरान हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन, सीनियर एडवोकेट्स काउंसिल की अध्यक्ष शोभा मेनन, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मनीष मिश्रा, स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राधेलाल गुप्ता, तथा सदस्य मनीष दत्त, शैलेंद्र वर्मा, अहादुल्लाह उस्मानी सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे।
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कम दूरी को लेकर उठी थी मांग
दरअसल बीते दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान हरदा सहित खंडवा को जबलपुर की बजाय इंदौर हाईकोर्ट से जोड़ने की मांग उठी। पंधाना विधानसभा सीट की विधायक छाया मोरे ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने जबलपुर की अत्यधिक दूरी और इंदौर से करीबी का हवाला देते हुए खंडवा और बुरहानपुर को भी इंदौर हाइकोर्ट से जोड़ने की मांग की थी।
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधायक की इस मांग का समर्थन किया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस मुद्दे पर विधायक की मांग पर अपनी सहमति व्यक्त की। इसपर सीएम डॉ. मोहन यादव ने उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया था। इसके बाद 28 अक्टूबर को इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया गया।
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हरदा के अलावा भी अन्य क्षेत्रों में बदलाव संभव
आपको बता दें कि हरदा के अलावा खंडवा और बुरहानपुर को भी इंदौर हाईकोर्ट से जोड़ने की मांग उठी है। इस बारे में हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि इस तरह न्याय क्षेत्र का बदलाव कर, जबलपुर क्षेत्र का अधिकार कम किया जा रहा है और इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
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