अनवर कादरी की पार्षदी बचाने पत्नी ने लगाई याचिका, लेकिन ये कर दी चूक, वापस ली

इंदौर के वार्ड 58 के कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी 10 नवंबर को संभागायुक्त ने खत्म कर दी। इसके बाद उनकी पत्नी जुलेखा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन याचिका में एक महत्वपूर्ण गलती के कारण इसे वापस ले लिया गया।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (thesootr)

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INDORE. कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म करने का आदेश इंदौर संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने दिया। लव जिहाद के फंडिंग के आरोपी वार्ड 58 के पार्षद अनवर के खिलाफ यह आदेश 10 नवंबर को दिया था।

वहीं  9 अक्टूबर को निगम परिषद में भी दो तिहाई बहुमत से पार्षदी से हटाने का आदेश हो चुका है। पति की पार्षदी बचाने के लिए पत्नी जुलेखा बी द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, लेकिन इसमें एक बड़ी चूक कर दी।

नोटिस की बात की, आदेश को भूल गए

इस याचिका में मूल रूप से संभागायुक्त के नौ सितंबर व पूर्व में दिए नोटिस का और साथ ही महापौर परिषद द्वारा 4 अक्टूबर को दिए नोटिस का जिक्र किया गया है। इन नोटिस में संभागायुक्त ने और महापौर परिषद ने अपना जवाब देने का समय दिया था।

याचिका में कादरी उर्फ डकैत द्वारा इन दोनों नोटिस को चुनौती दी, लेकिन असल में इन नोटिस के बाद संभागायुक्त द्वारा 10 नवंबर को जारी पार्षदी खत्म करने और पांच साल के लिए चुनाव में प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देना ही भूल गए। इसी तरह महापौर परिष द्वारा 9 अक्टूबर को लिए गए पार्षदी से हटाने के फैसले को भी चुनौती नहीं दी गई।  

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हाईकोर्ट में विड्रा की याचिका

इस गलती की जानकारी लगने के बाद हाईकोर्ट में जैसे ही शुक्रवार को यह  याचिका लिस्ट हुई, तो कादरी के अधिवक्ता द्वारा सीधे इस याचिका को वापस लेने का आवेदन कर दिया गया। इसी के साथ याचिका निराकृत हो गई। 

याचिका में महापौर के पत्रों का हवाला

पूरी याचिका में महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पत्रों का हवाला दिया गया। याचिका में कहा गया कि महापौर द्वारा संभागायुक्त को जून माह में जो पत्र लिखा गया, उसी आधार पर संभागायुक्त ने नोटिस जारी कर प्रक्रिया की है।

महापौर परिषद ने भी पार्षदी खत्म करने का प्रस्ताव पास किया और फिर इसे निगम परिषद में उन्होंने रखवाया है। लेकिन इसके आधार उचित नहीं है, क्योंकि केवल बाणगंगा थाने में दर्ज दो एफआईआर क्रमांक 799 व 800 के आधार पर और लगाई गई रासुका के आधार पर यह किया गया है। अभी तक न चालान पेश हुआ है और ना ही उन्हें आरोपी सिद्ध किया गया है, केवल आरोप भर है। इसी के आधार पर यह प्रक्रिया कर तीन बार के पार्षद को हटाने की कार्रवाई की जा रही है। 

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10 नवंबर को संभागायुक्त ने किए आदेश 

लव जिहाद के लिए फंडिंग करने के आरोपी कांग्रेस के वार्ड 58 के पार्षद अनवर कादरी उर्फ डकैत की पार्षदी खत्म करने के लिए संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने 10 नवंबर को आदेश दिए। अब कादरी पांच साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा। इस तरह वार्ड 58 पार्षद पद रिक्त हो गया। कादरी नियमानुसार 30 दिन के भीतर राज्य शासन को अपील कर सकेंगे। 

संभागायुक्त ने अवसर देकर मांगा था जवाब

कादरी के लव जिहाद को लेकर फंडिंग के आरोप और केस होने के बाद जून में महापौर ने इस संबंध में संभागायुक्त को विस्तृत पत्र लिखा था। इसके बाद तत्कालीन संभागायुक्त दीपक सिंह ने नोटिस जारी कर कादरी से जवाब मांगा। बाद में उनके ट्रांसफर के बाद संभागायुक्त डॉ, सुदाम खाड़े ने भी नोटिस देकर जवाब मांगा लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। तीन-चार बार अवसर देने के बाद भी जवाब नहीं आने पर अब उसके जवाब के अवसर खत्म कर दिए गए थे। इसके बाद आदेश जारी किया गया।

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सीएम बोले थे पकड़ो उसे, फिर हुआ था सरेंडर

सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप छोडेंगे नहीं। अधिकारियों का कहा है जहां भी जैसे हो पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर 10 हजार का ईनाम घोषित किया और  कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है। बाद में फरारी के चलते ईनाम 40 हजार तक कर दिया गया। उधर कादरी नेपाल तक फरारी काटने के बाद 29 अगस्त को सरेंडर हो गया था, जिसके बाद उसे जेल भेजा गया।  

नियम के तहत पार्षदी खत्म करने का अधिकार

महापौर द्वारा संभागायुक्त को जो पत्र लिखा गया था इसमें इसमें कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया था । पार्षदी से हटाए जाने के  मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है। 

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धारा 19 में पार्षद को हटाने के लिए यह है नियम-

  1. संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है, यदि-
    (क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है;
    (क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी (म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 द्वारा जोड़ा गया); या
    (ख) निगम, कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित प्रस्ताव द्वारा, कर्तव्य में कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है।
  2. संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद किसी भी निगम में पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, कोई भी निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि पार्षद को यह बताने का उचित अवसर न दिया जाए कि उन्हें हटाने की सिफारिश क्यों न की जाए।

महापौर ने यह भी लिखा था पत्र में...

महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति  सदस्य है उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं। इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं।

वार्ड 58 के पार्षद कादरी द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई। वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मप्र नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।

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