NHAI का 106 करोड़ का इंदौर-मुंबई रोड पर बना बाकानेर/गणपति घाट 6 माह में उखड़ा, HC ने मांगी रिपोर्ट

इंदौर-मुंबई हाईवे पर 106 करोड़ की लागत से बना रोड सिर्फ 6 महीने में उखड़ गया। हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए NHAI से रिपोर्ट मांगी है। वहीं, यह प्रोजेक्ट हरियाणा की कंपनी ने किया था।

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Sanjay Gupta
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INDORE. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) का एक और घटिया काम इंदौर में सामने आया है। पहले ही इंदौर-देवास के बीच सर्विस रोड नहीं बना पाने से यह निशाने पर है। साथ ही सात माह में ही 42 करोड़ का राऊ फ्लाईओवर ब्रिज में भी गड्ढे हो गए।

वहीं, अब इंदौर-मुंबई नेशनल हाईवे पर बाकानेर (गणपति) घाट पर 106 करोड़ में बनाया गया वैकल्पिक मार्ग भी 6 माह में उखड़ गया।

हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

बड़वानी के टैक्स कंसल्टेंट बीएल जैन ने जनहित याचिका दायर की थी। इसमें केंद्रीय परिवहन विभाग, नेशनल हाईवे अथॉरिटी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर व अन्य को पार्टी बनाया गया था।

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसमें अगली सुनवाई 15 दिसंबर को NHAI से रिपोर्ट तलब की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक तुगनावत, अरुणा तुगनावत थे।

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याचिका में यह कहा गया

याचिकाकर्ता बीएल जैन ने कहा कि नेशनल हाईवे 3 पर यह वैकल्पिक मार्ग 106 करोड़ में बना था। वहीं, 6 माह में ही उखड़ गया। यहां पर राऊ-खलघाट सेक्शन के 77 किमी हिस्से पर बीओटी तहत फोरलेन बनाई गई थी। अगस्त 2009 से टोल शुरू हुआ था। बाकानेर/गणपति घाट के 9 किमी हिस्से में तकनीकी खामी थी।

इसमें ढलान 6 मीटर रखी गई, 100 मीटर की सड़क पर 6 मीटर की ढलान ज्यादा थी। इससे दुर्घटनाएं होने लगीं। साल 2009 से 2024 के दौरान तीन हजार से अधिक दुर्घटनाएं हुईं थी।

इसके बाद इस हिस्से में 8.8 किमी की नई वैकल्पिक सड़क बनाई गई थी। वहीं, यह 6 माह में ही 6 इंच बारिश में उखड़ गई। यह प्रोजेक्ट हरियाणा की कंपनी ने किया था। सभी तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है।

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इधर प्रदेश भर सड़कों पर रिपोर्ट तलब

वहीं राजेंद्र सिंह याचिकाकर्ता की जनहित याचिका पर भी प्रदेश भर की सड़कों को लेकर इंदौर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की है। सिंह ने याचिका में इंदौर की बायपास, हाथीपाला, चंद्रभागा, बस स्टैंड सहित कई सड़कों की खराब हालत पर सवाल उठाए थे।

अधिवक्ता अभिनव मल्होत्रा ने कोर्ट में बताया कि गड्ढों और सड़कों पर दरारों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिया गया है। इसकी जांच होकर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

इस मामले में सुनवाई 14 दिसंबर को होगी। याचिका में यह भी बताया गया है कि प्रदेश में औसत यात्रा गति केवल 58 किमी प्रति घंटा है, जो खराब सड़क गुणवत्ता को दर्शाता है। हादसों में मध्यप्रदेश देश में दूसरे नंबर पर रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने खराब सड़कों पर रिपोर्ट तलब की है।

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