इंदौर में सबसे महंगे MPM होम्स 700 करोड़ के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर कोर्ट ने लगाई रोक

इंदौर में एमपीएम होम्स का 700 करोड़ का प्रोजेक्ट कानूनी विवाद के कारण रुक गया है। कोर्ट ने जमीन स्वामित्व विवाद के चलते इस पर 90 दिन की रोक लगाई है। वहीं, रेरा से भी आवेदन वापस ले लिया गया था।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर के हाल के समय में सबसे महंगे प्रोजेक्ट में से एक को बड़ा झटका लगा है। यह प्रोजेक्ट हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी एमपीएम होम्स का था। पूरे 700 करोड़ के लग्जरी फ्लैट के प्रोजेक्ट में जमीन स्वामित्व विवाद का द सूत्र ने खुलासा किया था। इसके बाद रेरा में इस प्रोजेक्ट का आवेदन वापस हो गया था। वहीं, अब कमर्शियल कोर्ट (जिला जज स्तर) इंदौर ने इस पर रोक लगा दी है।

कोर्ट ने यह दिया फैसला

एमपीएम होम्स पार्टनर के इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अमरजोत डेवलपर्स के जरिए आपत्ति ली गई थी। इसके पार्टनर में अन्नपूर्णा माहेश्वरी, गिरीश मालपानी, श्रुति मालपानी (पति गिरीश मालपानी) के नाम शामिल हैं। मामला कमर्शियल कोर्ट में आर्बिट्रेशन एंड कोंसीलेशन एक्ट 1996 की धारा 9 के तहत गया था।

इसमें याचिकाकर्ता अमरजोत का कहना था कि जमीन उनकी थी। वहीं, एमपीएम से सौदा हुआ लेकिन सौदे की पूरी राशि नहीं दी गई है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर अंतरिम तौर पर 90 दिन की रोक लगा दी है।

कोर्ट ने साफ कहा कि- जमीन के स्वामित्व का इश्यू है। यदि वर्तमान जमीन पर कोई बदलाव किया गया है। साथ ही, आगे की प्रक्रिया की गई है तो इससे थर्ड पार्टी (फ्लैट बिक्री से अन्य लोग भी पार्टी बनेंगे) के केस बढ़ेंगे। इससे अन्य कानूनी पेंचीदगी पैदा होगी। इसलिए इस मामले में प्रोजेक्ट पर रोक लगाई जाती है।

कोर्ट ऑर्डर

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रेरा ने भी दस्तावेज मांगे तो आवेदन लिया था वापस

इस प्रोजेक्ट में सबसे मूल मुद्दा तो जमीन का ही है जो क्लीयर नहीं है। ऐसे में टीएंडसीपी, नगर निगम की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने आपत्तियों को दरकिनार कर मंजूरी जारी कर दी।

इसके बाद रेरा में पंजीकरण पर भी आपत्ति लगी और कहा गया कि जमीन का स्वामित्व ही साफ नहीं है। इस पर रेरा ने पहले 14 अक्टूबर को सुनवाई की थी। इसमें प्रोजेक्ट होल्डर हैदराबाद की कंपनी ने समय मांगा था।

फिर 23 अक्टूबर को सुनवाई तारीख लगी थी। इसमें कई दस्तावेज रेरा ने मांगे थे। यह दस्तावेज कंपनी के पास थे ही नहीं। ऐसे में कंपनी ने 22 अक्टूबर को ही रेरा पंजीकरण आवेदन ही वापस ले लिया। साथ ही, प्रोजेक्ट को विथड्रॉ की कैटेगरी में डाल दिया गया।

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सिया कलेक्टर को लिख चुका जांच के लिए

उधर प्रोजेक्ट का रेरा का पंजीकरण नहीं है। इसके बाद भी प्रोजेक्ट के ब्रोशर छप चुके हैं। साथ ही, बुकिंग भी ली जा रही है। वहीं बिना पर्यावरण मंजूरी के ही काम शुरू होने पर सिया (SEIAA) कार्रवाई की थी।

SEIAA (राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण) ने 18 सितंबर 2025 को कलेक्टर इंदौर को आदेश दिया गया था। साथ ही, कलेक्टर से जांच कर रिपोर्ट SEIAA भोपाल भेजने को कहा गया था। यह आदेश बिना पर्यावरण प्राधिकरण के निर्माण कार्य करने को लेकर था।

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यह है 700 करोड़ का प्रोजेक्ट

बिचौली हॉप्सी, बायपास मेन रोड पर 700 करोड़ रुपए का हाईराइज प्रोजेक्ट बन रहा है। यह प्रोजेक्ट एमपीएम होम्स हैदराबाद के गिरीश मालपानी के जरिए किया जा रहा है। वह अपने साले प्रतीक माहेश्वरी के साथ यह प्रोजेक्ट कर रहे हैं। प्रतीक माहेश्वरी इंदौर के बैग्स कारोबारी हैं। इसमें माहेश्वरी की बहन और गिरीश की पत्नी श्रुति माहेश्वरी और उनकी मां अन्नपूर्णा माहेश्वरी, गिरीश के साथ डायरेक्टर हैं।

इस प्रोजेक्ट का नाम एमपीएम होम्स फसर्ट रखा गया है। यह प्रोजेक्ट बिचौली हप्सी एरिया में बायपास पर मेन रोड पर ही बन रहा है। यह बिचौली हप्सी में 6 एकड़ जमीन पर है।

यहां पर हाईराइज जी प्लस 12 मंजिला सात टावर बनेंगे। इसमें पर चार और पांच बीएचके के लग्जरी फ्लैट बनेंगे। फ्लैट्स का एरिया 2700, 4000 और 4600 वर्गफीट के हैं। कुल फ्लैट एरिया दस लाख वर्गफीट हो रहा है।

बुकिंग सात हजार रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से की जा रही है। यानी दस लाख वर्गफीट एरिया के हिसाब से कुल प्रोजेक्ट कीमत 700 करोड़ रुपए की होती है। यहां प्रति फ्लैट कीमत इस हिसाब से 1.90 करोड़ से लेकर 3.20 करोड़ रुपए तक होती है।

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प्रोजेक्ट की मूल जमीन का ये है विवाद

मेसर्स एमपीएम ने अप्रैल 2019 में बिचौली हप्सी के 2.409 हेक्टेयर जमीन का सौदा किया था। यह जमीन पटवारी हल्का नंबर 53 के सर्वे नंबर 447/2, 448/1/1/2, 448/1/2, 448/2/1/2, 453/1/1/3, और 453/1/1/2 में थी। सौदा अमरजोत डेवलपर्स एंड फायनेंस प्राइवेट लिमिटेड से किया गया था।

यह सौदा 9.92 करोड़ रुपए में हुआ था। इसमें 5.09 करोड़ रुपए का भुगतान हो गया है। बाकी 2.41 और 2.41 के दो पोस्ट डेटेड चेक अमरजोत कंपनी को दिए गए। इसमें अगस्त और नवंबर 2019 को भुगतान की तारीख थी। इस पोस्ट डेटेड चेक के आधार पर रजिस्ट्री हो गई।

वहीं, इसके बाद कंपनी ने बाकी राशि का भुगतान ही नहीं किया है। इसके चलते कंपनी ने आखिरकार परेशान होकर रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए जिला कोर्ट की शरण ली और अक्टूबर 2023 में कोर्ट केस लगा दिया।

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