/sootr/media/media_files/2025/10/13/mpm-projects-2025-10-13-12-38-25.jpg)
Indore. मध्यप्रदेश केइंदौर में हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी एमपीएम होम्स का 700 करोड़ का प्रोजेक्ट विवादों में आ गया है। ये कंपनी अपना पहला प्रोजेक्ट यहां लाई है, लेकिन इसमें विवाद खड़ा हो गया है। प्रोजेक्ट में लग्जरी फ्लैट बनने हैं, लेकिन जमीन को लेकर विवाद है। इस वजह से रेरा ने मंजूरी रोक दी है। कंपनी के बिना पर्यावरण मंजूरी के काम भी शुरू होने पर (राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण) SEIAA हरकत में आ गया है।
सिया ने कलेक्टर को दिए जांच के आदेश
सिया की राज्य स्तरीय 897वीं बैठक में इस संबंध में जांच के आदेश हुए हैं। सिया के अध्यक्ष शिव नारायण सिंह चौहान, सदस्य डॉ. सुनंदा सिंह रघुवंशी और सचिव दीपक आर्य की ओर से इसका फैसला लिया गया है।
फैसले में कहा गया है कि प्राधिकरण ने मामले की जांच करते हुए पाया कि बिल्डर ने पर्यावरण की मंजूरी लिए बिना ही प्रोजेक्ट साइट पर काम शुरू कर दिया है। सिया ने इस मामले पर चर्चा की। फिर फैसला किया कि शिकायत की कॉपी इंदौर के कलेक्टर को भेजी जाए, ताकि मामले की जांच की जा सके। साथ ही, प्रोजेक्ट के बिल्डर को भी इस बारे में जानकारी दी जाए।
यह बना रहे हैं प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट मूल रूप से हैदराबाद की कंपनी मेसर्स एमपीएम होम्स डेवलपर्स का है। गिरीश मालपानी इसमें प्रमुख हैं। वह अपने साले प्रतीक माहेश्वरी के साथ यह प्रोजेक्ट कर रहे हैं। प्रतीक इंदौर के बैग्स कारोबारी हैं। इसमें माहेश्वरी की बहन और गिरीश की पत्नी श्रृति माहेश्वरी, उनकी मां अन्नपूर्णा माहेश्वरी, गिरीश के साथ डायरेक्टर हैं। क्योंकि यह इंदौर में उनका पहला प्रोजेक्ट है, इसलिए इसे एमपीएम होम्स फसर्ट नाम दिया गया है। यह प्रोजेक्ट बिचौली हप्सी एरिया में बायपास पर मैन रोड पर बन रहा है।
ये खबर भी पढ़िए... MP News : इंदौर में भावांतर योजना पर किसानों की ट्रैक्टर रैली: सीएम डॉ. मोहन यादव वर्चुअली बोले- किसान की आय में कमी नहीं आने देंगे
इस तरह है 700 करोड़ का प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट बिचौली हप्सी में 6 एकड़ जमीन पर है। यहां पर हाईराइज जी प्लस 12 मंजिला सात टावर बनेंगे। इसमें चार और पांच बीएचके के लग्जरी फ्लैट होंगे, जिनका साइज 2700, 4000 और 4600 वर्गफीट है। कुल फ्लैट एरिया दस लाख वर्गफीट है। बुकिंग सात हजार रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से की जा रही है। यानी दस लाख वर्गफीट एरिया के हिसाब से कुल प्रोजेक्ट कीमत 700 करोड़ रुपए की होती है। यहां प्रति फ्लैट कीमत इस हिसाब से 1.90 करोड़ से लेकर 3.20 करोड़ रुपए तक होती है।
प्रोजेक्ट को लेकर इतने सारे विवाद
मेसर्स एमपीएम ने अप्रैल 2019 में बिचौली हप्सी में 2.409 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। यह जमीन पटवारी हल्का नंबर 53 के सर्वे नंबर 447/2, 448/1/1/2, 448/1/2, 448/2/1/2, 453/1/1/3, 453/1/1/2 में आती है। अमरजोत डेवलपर्स एंड फायनेंस प्रालि से यह सौदा 9.92 करोड़ रुपए में हुआ था। इसमें 5.09 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है। बाकी की राशि दो पोस्ट डेटेड चेक से दी गई, जिनकी तारीख अगस्त और नवंबर 2019 थी। इन चेक के आधार पर रजिस्ट्री हो गई, लेकिन इसके बाद भी कंपनी ने बाकी रकम का भुगतान नहीं किया।
इसके चलते कंपनी ने आखिरकार परेशान होकर रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए जिला कोर्ट की शरण ली। इसके बाद अक्टूबर 2023 में कोर्ट केस लगा दिया। इस केस में एमपीएम होम्स ने जवाब दिया। जमीन सौदे की शर्तों के अनुसार, कोई विवाद होने पर आर्बिट्रेशन में मामला जाना चाहिए। इसके बाद केस आर्बिट्रेशन में गया। अब आर्बिट्रेशन ने दोनों पक्षों को यथास्थिति का आदेश देते हुए जमीन विक्रेता को राहत दी है।
केस की जानकारी छिपा टीएंडसीपी, निगम मंजूरी
इस प्रोजेक्ट के लिए नक्शे का आवेदन टीएंडसीपी में दिसंबर 2024 में डाला गया। इसे 8 जनवरी 2025 को मंजूरी मिल गई। इसके बाद नगर निगम ने भवन अनुज्ञा जारी कर दी। इस दौरान प्रोजेक्ट कंपनी ने शपथपत्र दिया। कंपनी ने बताया कि कोई भी कोर्ट केस नहीं चल रहा है। असल में कंपनी का जिला कोर्ट में केस चल रहा था, जिसे छिपाया गया।
जमीन बेचने वाली अमरजोत कंपनी ने 8 जनवरी को टीएंडसीपी से नक्शा पास करवाया था, लेकिन 16 जनवरी को इस पर आपत्ति उठा दी। इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।
वहीं, नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा में भी इस दौरान आपत्ति आई थी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि जमीन के विवाद को देखना उनका काम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर टीएंडसीपी से मंजूरी रद्द होती है, तो फिर हम कार्रवाई करेंगे। हालांकि निगम में यह भी प्रावधान है कि अगर किसी ने गलत जानकारी दी, तो मंजूरी खुद-ब-खुद रद्द हो जाती है। कंपनी ने कोर्ट केस और जमीन विवाद की जानकारी सब से छुपाई थी।
सबसे अहम, रेरा और पर्यावरण की मंजूरी ही नहीं
सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्रोजेक्ट से जुड़े ग्राहकों से धोखाधड़ी हो रही है। अभी तक इस प्रोजेक्ट को पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली है, और बिना मंजूरी के कोई काम शुरू नहीं किया जा सकता।
फिर भी काम शुरू हो गया है और खुदाई चल रही है। इसके अलावा, रेरा से भी प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिली है। प्रोजेक्ट प्रबंधन ने आवेदन तो किया है, लेकिन जब तक रेरा मंजूरी नहीं देता, ना तो ब्रोशर छप सकता है और ना ही बुकिंग शुरू हो सकती है।
फिर भी, इन सभी विवादों के बीच एमपीएम होम्स ने ब्रोशर छपवा लिया और बुकिंग भी शुरू कर दी। अब रेरा ने इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई है और मंजूरी देने से पहले जमीन विक्रेता का पक्ष भी सुनेगा।