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INDORE. इंदौर के हाल के समय में सबसे महंगे प्रोजेक्ट्स में से एक हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी एमपीएम होम्स का पहला प्रोजेक्ट विवादों में आ गया है। पूरे 700 करोड़ के लग्जरी फ्लैट के प्रोजेक्ट को लेकर कई तरह की खामियां हैं।
यहां तक कि जमीन का स्वामित्व ही इसमें साफ नहीं है। इसे लेकर द सूत्र ने खुलासा किया था। इसके बाद रेरा ने इसमें संबंधितों को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे, जो प्रोजेक्ट होल्डर नहीं दे सके।
रेरा ने जो दस्तावेज मांगे वह थे ही नहीं
इस प्रोजेक्ट में सबसे मूल मुद्दा तो जमीन का ही है, जो क्लीयर नहीं है। ऐसे में टीएंडसीपी, नगर निगम की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
उन्होंने आपत्तियों को दरकिनार कर मंजूरी जारी कर दी। इसके बाद रेरा में पंजीयन पर भी आपत्ति लगी और कहा गया कि जमीन का स्वामित्व ही साफ नहीं है।
इस पर रेरा ने पहले 14 अक्टूबर को सुनवाई की। इसमें प्रोजेक्ट होल्डर हैदराबाद की कंपनी ने समय मांगा।
फिर 23 अक्टूबर को सुनवाई तारीख लगी और इसमें कई दस्तावेज रेरा ने मांगे। यह दस्तावेज कंपनी के पास थे ही नहीं, ऐसे में कंपनी ने 22 अक्टूबर को ही रेरा पंजीयन आवेदन ही वापस ले लिया।
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रेरा ने आदेश में यह लिखा
रेरा अध्यक्ष एपी श्रीवास्तव और सदस्य सुरेंद्र सिंह राजपूत ने एक आदेश में कहा है कि 22 अक्टूबर को प्रमोटर्स ने ऑनलाइन जानकारी दी थी कि जो दस्तावेज़ सूचना पत्र में मांगे गए थे, वह उनके पास नहीं हैं।
इसलिए वे प्रोजेक्ट पंजीयन आवेदन वापस लेना चाहते हैं। इस आधार पर उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया है और इस प्रोजेक्ट को 'विथड्रा' (वापस लिया गया) कैटेगरी में डाल दिया गया है।
सिया कलेक्टर को लिख चुका जांच के लिए
उधर प्रोजेक्ट का रेरा पंजीयन नहीं होने के बाद भी प्रोजेक्ट के ब्रोशर छप चुके हैं और बुकिंग ली जा रही है। वहीं बिना पर्यावरण मंजूरी के ही काम शुरू होने पर सिया (SEIAA) ने 18 सितंबर 2025 को कलेक्टर इंदौर को बिना पर्यावरण प्राधिकरण से मंजूरी लिए आदेश पत्र पारित किया था। यह पत्र गैरकानूनी तरीके से निर्माण कार्य करने के बाबत जांच कर और तत्काल रिपोर्ट SEIAA प्राधिकरण भोपाल भेजने के लिए पारित किया था।
यह है 700 करोड़ का प्रोजेक्ट
बिचौली हॉप्सी, बायपास मेन रोड पर स्थित उपरोक्त जमीन पर 700 करोड़ रुपए के ग्रुप ऑफ हाईराइज बिल्डिंग प्रोजेक्ट को एमपीएम होम्स हैदराबाद के गिरीश मालपानी कर रहे हैं। वह अपने साले इंदौर के बैग्स कारोबारी प्रतीक माहेश्वरी परिवार के साथ यह प्रोजेक्ट कर रहे हैं।
इसमें माहेश्वरी की बहन और गिरीश की पत्नी श्रृति माहेश्वरी और उनकी मां अन्नपूर्णा माहेश्वरी, गिरीश के साथ डायरेक्टर हैं। इंदौर में पहला प्रोजेक्ट होने के नाते नाम रखा गया है एमपीएम होम्स फर्स्ट, जो बिचौली हप्सी एरिया में बायपास पर मेन रोड पर ही बन रहा है।
यह प्रोजेक्ट बिचौली हप्सी में 6 एकड़ जमीन पर है। यहां पर हाईराइज जी प्लस 12 मंजिला सात टावर बनेंगे। यहां पर चार और पांच बीएचके के लग्जरी फ्लैट बनेंगे, जो 2700, 4000 और 4600 वर्गफीट एरिया के हैं। कुल फ्लैट एरिया दस लाख वर्गफीट हो रहा है।
बुकिंग सात हजार रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से की जा रही है। यानी दस लाख वर्गफीट एरिया के हिसाब से कुल प्रोजेक्ट कीमत 700 करोड़ रुपए की होती है। यहां प्रति फ्लैट कीमत इस हिसाब से 1.90 करोड़ से लेकर 3.20 करोड़ रुपए तक होती है।
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प्रोजेक्ट को लेकर इतने सारे विवाद
प्रोजेक्ट की मूल जमीन का ही विवाद
मेसर्स एमपीएम ने बिचौली हप्सी पटवारी हल्का नंबर 53 के सर्वे नंबर 447/2, 448/1/1/2, 448/1/2, 448/2/1/2, 453/1/1/3, 453/1/1/2 की 2.409 हेक्टेयर जमीन का सौदा अप्रैल 2019 में अमरजोत डेवलपर्स एंड फायनेंस प्राइवेट लिमिटेड से किया।
यह सौदा 9.92 करोड़ रुपए में हुआ। इसमें 5.09 करोड़ रुपए का भुगतान हो गया था। बाकी 2.41 और 2.41 के दो पोस्ट डेटेड चेक अमरजोत कंपनी को दिए गए। इसमें अगस्त और नवंबर 2019 को भुगतान की तारीख थी।
इस पोस्ट डेटेड चेक के आधार पर रजिस्ट्री हो गई, लेकिन इसके बाद कंपनी ने बाकी राशि का भुगतान ही नहीं किया। इसके चलते कंपनी ने आखिरकार परेशान होकर रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए जिला कोर्ट की शरण ली। वही, अक्टूबर 2023 में कोर्ट केस लगा दिया।
इस केस में एमपीएम होम्स ने जवाब दिया कि जमीन सौदे की शर्तों के अनुसार कोई विवाद होने पर आर्बिट्रेशन में मामला जाना चाहिए। इसके बाद केस आर्बिट्रेशन में गया और अब आर्बिट्रेशन ने दोनों पक्षों को यथास्थिति का आदेश देते हुए जमीन विक्रेता को राहत दी है।
केस की जानकारी छिपा टीएंडसीपी, निगम मंजूरी
टीएंडसीपी में इस प्रोजेक्ट के लिए नक्शे का आवेदन दिसंबर 2024 में लगा और इसे 8 जनवरी 2025 को पास कर दिया गया। इसके बाद इसमें नगर निगम में भवन अनुज्ञा जारी कर दी गई।
इस दौरान प्रोजेक्ट कंपनी ने शपथपत्र दिया कि किसी तरह का कोई न्यायालयीन प्रकरण नहीं चल रहा है। जबकि इस दौरान जिला कोर्ट में केस था। जिसे छिपाया गया।
जमीन विक्रेता अमरजोत कंपनी ने 8 जनवरी को टीएंडसीपी से नक्शा पास होने पर 16 जनवरी को आपत्ति लगा दी। इस पर अभी तक फैसला लटका हुआ है।
वहीं नगर निगम में इसी दौरान भवन अनुज्ञा शाखा में आपत्ति लगी, लेकिन इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि जमीन विवाद देखना हमारा काम नहीं, टीएंडसीपी से ही मंजूरी निरस्त होगी तो कार्रवाई करेंगे। जबकि निगम में भी यह प्रावधान है कि गलत जानकारी देने पर मंजूरी स्वतः रद्द मानी जाएगी। कंपनी ने कोर्ट केस और जमीन विवाद की जानकारी सभी से छिपाई।
रेरा और पर्यावरण की मंजूरी ही नहीं
इस प्रोजेक्ट की अभी तक पर्यावरण मंजूरी ही नहीं है। बिना पर्यावरण मंजूरी के कोई भी काम शुरू नहीं किया जा सकता है, लेकिन मौके पर काम शुरू हो गया है और खुदाई हो रही है। वहीं रेरा से अभी तक प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिली है।
नियमानुसार बिना रेरा नंबर के ना प्रोजेक्ट का ब्रोशर छपता है और ना ही बुकिंग शुरू की जाती है। लेकिन इन सभी विवादों के बीच में प्रोजेक्ट कंपनी एमपीएम होम्स ने ब्रोशर भी छपवा लिए और प्रोजेक्ट की बुकिंग भी शुरू कर दी है।
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