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INDORE. ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार सुबह जयनारायण चौकसे परिवार और आस्था फाउंडेशन पर बड़ी कार्यवाही की है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने कार्यवाही करते हुए एलएनसीटी के इंदौर कैंपस में छापा मारा है। विजय नगर स्थित आशा एजुकेशन सोसाइटी के ऑफिस में दस्तावेजों की जांच की गई।
भोपाल ईओडब्ल्यू की टीम डीएसपी पंकज गौतम के नेतृत्व में सुबह 10 बजे से पहले ही एनएलसीटी कैंपस पहुंची थी। शैक्षणिक संस्थान में 200 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। इसके खिलाफ ईओडब्ल्यू में पहले से अपराध दर्ज था।
एलएनसीटी ग्रुप ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दी थी, जो खारिज हो गई थी। अब ईओडब्ल्यू ने जांच को तेज कर दिया है। इंदौर में छापेमारी के बाद भोपाल में भी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
पांच घंटे तक चलती रही जांच
हाईकोर्ट से राहत न मिलने और याचिका खारिज होने के बाद ईओडब्ल्यू ने जांच तेज कर दी। शुक्रवार सुबह डीएसपी पंकज गौतम टीम के साथ एलएनसीटी विश्वविद्यालय के इंदौर कैंपस पहुंचे।
टीम ने पांच घंटे से ज्यादा समय तक कॉलेज कैंपस और आस्था एजुकेशन सोसाइटी के ऑफिस में दस्तावेजों की जांच की। कार्रवाई की खबर सुनकर इंदौर के पत्रकार भी कॉलेज पहुंचे। इस दौरान ईओडब्ल्यू टीम ने उन्हें कैंपस से बाहर कर दिया।
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जानें EOW ने क्यों की छापेमारी
जयनारायण चौकसे और उनका परिवार आस्था फाउंडेशन सोसाइटी चला रहा है। ये सोसाइटी प्रदेश में कई शैक्षणिक संस्थान चलाती है। इन संस्थानों में छात्रों के अध्ययन और सुविधाओं पर 200 करोड़ रुपए खर्च करने की बात थी।
शिकायत में कहा गया कि चौकसे परिवार ने यह राशि निजी उपयोग के लिए खर्च की। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल सिंघवी ने 9 सितम्बर 2023 को दस्तावेजों के साथ शिकायत की थी। इस पर ईओडब्ल्यू भोपाल ने अपराध दर्ज किया था। अपराध में जयनारायण चौकसे, अनुपम चौकसे, धर्मेन्द्र गुप्ता, श्वेता चौकसे, पूनम चौकसे, पूजा चौकसे और आशीष जायसवाल शामिल हैं।
हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
एनएलसीटी परिवार ने इसी अपराध को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की थी। आस्था फाउंडेशन के पदाधिकारियों श्वेता चौकसे, जय नारायण चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता और अनुपम चौकसे की याचिका खारिज कर दी गई। यह यचिका (रिट पिटीशन 38286/2025) हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर हुई सुनवाई के बाद खारिज की थी।
आस्था एजुकेशन सोसाइटी ने कहा था कि उन्हें सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। हालांकि, ऑडिट रिपोर्ट में 200 करोड़ की गड़बड़ी पाई गई थी। हाईकोर्ट ने आरोपियों को राहत देने से इंकार कर दिया। सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू ने तथ्य और साक्ष्य पेश किए थे। ऐसे में कोर्ट ने जांच जारी रखने के निर्देश दिए थे।
इन वित्तीय गड़बड़ियों की हो रही जांच
छात्रों से जुटाए गए 8.22 करोड़ रुपए हॉस्टल एवं बस फीस को कल्चुरी कांट्रैक्टर्स लिमिटेड के खातों में अनाधिकृत रूप से ट्रांसफर किए गए।
सोसायटी ने बैंकों से लिए 21.90 करोड़ और 12.15 करोड़ के लोन का उपयोग एचके कल्चुरी एजुकेशन ट्रस्ट की उधारी चुकाने में खर्च कर दिया।
बोर्ड की स्वीकृति के बिना ही डॉ. रमेश बदलानी को 30.16 करोड़ ऋण और कॉपर्स फंड देकर लाभ पहुंचाया गया।
लक्की कंस्ट्रक्शन और स्विफ्ट कंस्ट्रक्शन कंपनियों को 42.21 करोड़ रुपए का अनाधिकृत भुगतान किया गया।
आधारहीन संस्था वधर्मान LNCTE को 2.25 करोड़ रुपए बेहिसाबी तौर पर दिए गए।
संचालनालय मेडिकल एजुकेशन द्वारा छात्रवृत्ति के लिए दिए गए 49.74 लाख रुपए कल्चुरी कांट्रैक्टर्स लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए।
अहिल्या समूह को जमीन खरीदने के नाम पर 3.18 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन जमीन नहीं ली गई।
अनन्जय फार्मास्युटिकल्स और अन्य संस्थाओं को दवा और पुस्तकों की खरीदी की आड़ में 2.25 करोड़ का भुगतान किया गया।
600 कर्मचारियों में से केवल 4 कर्मचारियों के ही पीएफ और ईएसआई पंजीयन कराए गए और अन्य को नकद वेतन भुगतान कर अंशदान में बचत की गई।
LNCT विश्वविद्यालय ने मई 2025 में 35 करोड़ का खर्च दर्शाया है, जिसमें से 20 करोड़ रुपए की फर्जी एंट्री दर्ज की गई है।
इन दस्तावेजों की हुई पड़ताल
इंदौर कैंपस में अकाउंट शाखा के दस्तावेज, कैशबुक, फीस रजिस्टर, लोन रजिस्टर, भुगतान रजिस्टर को खंगाला गया। इसके अलावा बैंकिंग लेनदेन का रिकॉर्ड, चैकबुक, पासबुक और बैंक स्टेटमेंट से मिलान किया गया।
ईओडब्ल्यू टीम ने फॉरेंसिक रूप से संदिग्ध दस्तावेज, बिल, वाउचर के मूल दस्तावेज देखे। इलेक्ट्रॉनिक डेटा, कम्प्युटर, हार्ड डिस्क, सर्वर बैकअप, अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर, सीसीटीवी रिकॉर्ड, हॉस्टल फीस रिकॉर्ड, रसीद, ऑनलाइन भुगतान, छात्रवृत्ति एवं सरकारी अनुदान का खर्च, व्यय फाइल, कंस्ट्रक्शन, सप्लायर को किए भुगतान की जानकारी, बिल वाउचरों की जांच की गई।
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