LNCT के चौकसे परिवार ने मेडिकल कॉलेज मान्यता में किया सुरेश भदौरिया के INDEX जैसा खेल

आस्था फाउंडेशन के जरिए 200 करोड़ का घोटाला करने वाले LNCT के चौकसे परिवार पर ईओडब्ल्यू की जांच जारी है। अब मामले में फर्जी फैकल्टी सहित अन्य जानकारी सामने आई है।

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Sanjay Gupta
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आस्था फाउंडेशन के जरिए 200 करोड़ का घोटाला करने वाले LNCT के चौकसे परिवार की लगातार परतें खुल रही हैं। चौकसे परिवार के कई सदस्यों पर ईओडब्ल्यू ने चार सौ बीसी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले की ऑडिट रिपोर्ट का पूरा खुलासा द सूत्र ने एक्सक्लूसिव किया था। अब एक और खुलासा इस मामले में हो रहा है। चौकसे परिवार ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश भदौरिया जैसा ही खेल एसएनसीटी मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए किया है।

ईओडब्ल्यू में इन पर हुआ है केस

इस मामले में संस्था के पूर्व प्रेसीडेंट अनिल संघवी की शिकायत पर एलएनसीटी के जय नारायण चौकसे, अनुपम चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, श्वेता चौकसे, पूनम चौकसे, पूजा चौकसे, आशीष जायसवाल समेत अन्य के खिलाफ बीएनएस की धारा 61, 316, 318, 338 और 336(3) आर्थिक अपराध की धाराओं में केस हुआ है।

एलएनसीटी के पास फर्जी फैकल्टी, कमेटी ने पकड़ी

एलएनसीटी के चौकसे परिवार ने मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए फर्जी फैकल्टी का खेल किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एडहॉक कमेटी ने जब पूरी जांच की तो सामने आया कि केवल कागजों पर ही थंब इंप्रेशन का काम हो रहा है और फर्जी उपस्थिति फैकल्टी की लग रही है। वास्तव में इतनी फैकल्टी तो कॉलेज में ही नहीं। जब कमेटी ने इन सभी फैकल्टी की उपस्थिति रजिस्टर व अन्य जानकारियां निकाली तो चौंकाने वाली बातें आईं कि यह कभी कॉलेज नहीं आती हैं और केवल मान्यता के चक्कर में इन्हें घोस्ट फैकल्टी के तौर पर रखा गया है।

इसी आधार पर यह नेशनल मेडिकल काउंसिल से अपनी कॉलेज की मान्यता लेकर आ रहे हैं। कमेटी ने सख्ती दिखाते हुए बिना उपस्थिति के कई फैकल्टी के वेतन देने पर ही रोक लगा दी है। ऐसे में इस कॉलेज की एमबीबीएस सीटों की मान्यता को लेकर भी किसी भी दिन संकट आ सकता है। द सूत्र पहले ही इस कॉलेज द्वारा एनआरआई सीटों के लिए होने वाले सौदों का स्टिंग के जरिए पोल खोल चुका है।

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भदौरिया के इंडेक्स में भी यही खेल

रावतपुरा मेडिकल इंस्टीट्यूट रायपुर छत्तीसगढ़ में सीबीआई द्वारा मान्यता के खेल का खुलासा कर केस दर्ज किया था। इसमें इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश भदौरिया भी आरोपी नंबर 25 बनाए गए हैं। सीबीआई की एफआईआर में भदौरिया को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हैं और इसमें सबसे गंभीर आरोप मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर ही है। इसमें घोस्ट फैकल्टी का उपयोग कर मान्यता ली है।

भदौरिया ने घोस्ट फैकल्टी के लिए क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाए

भदौरिया को लेकर सीबीआई की रिपोर्ट में है कि इंडेक्स ग्रुप में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल साइंसेज और प्रबंधन में शिक्षा देने वाले संस्थान शामिल हैं, जो शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से मालवांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। भदौरिया मालवांचल विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली मूल संस्था मयंक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं।

भदौरिया द्वारा इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया गया था। लेकिन कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (MSR) को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थाई फैकल्टी बताया। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्री उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) के तहत बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर करने के लिए इन व्यक्तियों के कृत्रिम क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाने तक के काम किए।

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इस तरह का था भदौरिया का नेटवर्क

सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय मंत्रालय के स्वास्थ्य मंत्रालय चंदन कुमार (इन्हें भी इस कांड में आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज हुई है) और मप्र के इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश भदौरिया की जमकर सांठगांठ थी। कुमार भदौरिया को हर गोपनीय जानकारी भेजते थे। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मान्यता संबंधी निरीक्षण टीम, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि को लेकर होती थी। इसी जानकारी के आधार पर भदौरिया डील करते थे।

भदौरिया दे रहे हैं फर्जी पीएचडी, ग्रेजुएशन डिग्रियां

सीबीआई यहीं तक नहीं रूकी। यह भी खुलासा किया गया है कि भदौरिया अपने करीबी सहयोगियों की मदद से मालवांचल विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन गतिविधियों में अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री जारी करना शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव और चंदन कुमार सभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े अधिकारी रिश्वत के बदले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, नवीनीकरण और अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी करने के काम में शामिल हैं।

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अधिकारी कैसे कर रहे थे भदौरिया को मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोपी अधिकारी विभाग के भीतर गोपनीय फाइलों का पता लगाकर और उन पर नज़र रखकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई आंतरिक टिप्पणियों और टिप्पणियों की अवैध रूप से तस्वीरें खींच रहे निजी व्यक्तियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ साझा किया जा रहा था। इसमें भदौरिया भी शामिल है।

चौकसे परिवार का पूरा 200 करोड़ का ऐसे हुआ घोटाला

वहीं आस्था फाउंडेशन में चौकसे परिवार ने 200 करोड़ से ज्यादा का घोटाला किया है। आस्था फाउंडेशन और इसके खातों को निजी मालिकियत समझकर जमकर लूटा गया। द सूत्र के पास एक्सक्लूसिव तौर पर इस मामले की सौ से ज्यादा पन्नों की फाइनेंशियल रिपोर्ट मौजूद है। इसमें पूरे मामले का खुलासा है। उल्लेखनीय है कि यह आडिट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एडहॉक कमेटी, जिसमें दो पूर्व जस्टिस भी हैं, की निगरानी में बनी है।

आडिट कमेटी ने इन खातों को देखा

फॉरेन्सिक आडिट कमेटी ने एक अप्रैल 2021 से फरवरी 2025 तक श्री आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी कनाडिया रोड इंदौर जो रजिस्टर्ड सोसायटी है, के खातों की पूरी जांच की। आस्था फाउंडेशन सोसायटी के तहत, एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज, सेफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग कॉलेज, एलएनसीटी स्कूल ऑफ फार्मेसी, एलएन पेरामेडिकल कॉलेज, एलएनसीटी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, सेफ स्कूल ऑफ नर्सिंग, सेवाकुंज हॉस्पिटल और स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर का संचालन होता है।

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बस और होस्टल की फीस अपने निजी ट्रस्ट में डाल दी

रिपोर्ट में है कि बस और होस्टल के लिए मिली करीब 8.22 करोड़ की राशि को सोसायटी ने चौकसे परिवार की कंपनी कल्चुरी कांट्रेक्टर्स लिमिटेड को दे दी। इसके लिए एक कागज पर समझौता दिखाया गया कि बस और होस्टल का मेंटनेंस कल्चुरी द्वारा किया जाएगा। जबकि होस्टल की बिल्डिंग खुद सोसायटी की थी। लेकिन इसके बाद भी कल्चुरी से करार दिखाकर पूरी फीस का डायवर्सन कल्चुरी को कर दिया गया। इसमें जो बस का मैनेजमेंट बताया गया वह भी सेफ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग कॉलेज की ही है।

लोन लिया सोसायटी ने दे दिया चौकसे परिवार को

रिपोर्ट में है कि सोसायटी के नाम पर बैंकों से करोड़ों का लोन उठाया गया। एक बार तो 21 दिन के भीतर 21.90 करोड़ का लोन लिया गया। यह लोन राशि चौकसे परिवार के एचके कल्चुरी ट्रस्ट को टर्म लोन के रूप में शिफ्ट कर दी गई। इसमें चौकसे परिवार के लोग ही सदस्य हैं। एसबीआई से नवंबर 2023 में 20 करोड़ का लोन लिया, इसमें से 12 करोड़ ट्रस्ट को 1 दिसंबर 2023 को शिफ्ट हुए। आईसीआईसीआई कॉर्पोरेट से 23 अगस्त 2021 को 21 करोड़ का लोन लिया और इसमें से 5 करोड़ ट्रस्ट को, एचडीएफसी से 5-5 करोड़ के दो बार लोन लिए और इसमें से एक बार 5 करोड़ और एक बार दो करोड़ ट्रस्ट को शिफ्ट हो गए।

सोसायटी के खातों और निजी ट्रस्ट में लेन-देन

रिपोर्ट में है कि सोसायटी के खातों को करंट खाते जैसा यूज किया गया। सोसायटी के खातों के हिसाब से कल्चुरी ट्रस्ट पर उनका 19.72 करोड़ का बैलेंस बकाया था, लेकिन ट्रस्ट के हिसाब से यह जोड़ी है। इस पूरे मामले में 5.52 करोड़ का हिसाब ही नहीं मिला। रिपोर्ट में यह भी है कि सोसायटी के खातों में 20.17 करोड़ रुपए में से 19.66 करोड़ एलएनसीटी यूनिवर्सिटी खातों में गए।

कार्पस फंड से बदलानी ने भी लिए 31.73 करोड़

रिपोर्ट में यह भी है कि सोसायटी के कार्पस फंड से जमकर राशि बांटी गई। रमेश चंद बदलानी ने 31.76 करोड़, भारती नवलानी को 9.78 लाख, मोहित बदलानी को 16 लाख, राजेश नवलानी को 1.31 करोड़, शंक्तुला बदलानी को 98 लाख शिफ्ट हुए। इस तरह 34.28 करोड़ राशि शिफ्ट की गई। इसे लेकर कोई बोर्ड प्रस्ताव की कॉपी नहीं मिली।

फर्जी संदिग्ध भुगतान हुए

रिपोर्ट में है कि आस्था सोसायटी से 2.25 करोड़ का भुगतान वर्धमान एलएनसीटी ई श्री को हुआ। फिर यह लक्की कंसट्रक्शन को गया। सोसायटी से सीधे कंस्ट्रक्शन कंपनी को राशि नहीं गई। वहीं यह एलएनसीटी ई भी संदिग्ध है। यह डमी नाम दिख रहा है। श्री वर्धमान एजुकेशन सोसाइटी ई1/87 अरेरा कालोनी भोपाल यह एलएनसीटी टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस भोपाल से जुड़ी है, जो आस्था के फाउंडेशन की ग्रुप से लिंक है।

इस तरह बिना दस्तावेज लोगों को 6.57 करोड़ के भुगतान हुए

इसी तरह 6.57 करोड़ का ट्रांसफर बिना उचित दस्तावेज के हुए। इसमें किसी एक को भोपाल में 10.32 लाख, अमित मोदी 10 लाख, 12 जुलाई अमित सोनी को 8.86 लाख, पार्थ सूर्यवंशी को दो करोड़ और विजय सूर्यवंशी को एक करोड़ का भुगतान हुआ।
स्कॉलरशिप की राशि भी सीधे ले ली

डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन से एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज को आई 49.74 लाख की राशि भी सीधे कल्चुरी कांट्रेक्टर्स ने अपने खाते में ले ली। इसी तरह 3.18 करोड़ का भुगतान मेसर्स अल्हाया को जमीन खरीदी के लिए एडवांश किया, जबकि इस सौद के कोई दस्तावेज नहीं।

कंसट्रक्शन भुगतान के नाम पर 49.62 करोड़ का खेल

कंसट्रक्शन के नाम पर 49.62 करोड़ का खर्च अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2024 के बीच हुआ। लेकिन इसके प्रॉपर दस्तावेज नहीं हैं। इसमें से खासकर 15.39 करोड़ के तो दस्तावेज नहीं हैं। लकी कंस्ट्रक्शन को 33.46 करोड़ और स्विफ्ट कंस्ट्रक्शन को 8.75 करोड़ का भुगतान हुआ। सोसायटी से केवल 27.60 करोड़ के वाउचर हिसाब मिले।

ट्रस्ट के साथ निजी खाता खोल लिया

वहीं नियम विरुद्ध एयू बैंक में कल्चुरी एजुकेशन ट्रस्ट के साथ ज्वाइंट में पूनम चौकसे, अनुपम चौकसे का खाता खुला, जो नियमविरुद्ध है, ट्रस्ट के साथ ज्वाइंट खाता नहीं हो सकता है।

बीएमडब्ल्यू जैसी कार का मिसयूज

रिपोर्ट में ही सोसायटी के जरिए बीएमडब्ल्यू, एमजी एस्टार जैसी लग्जरी कार बैंक से लोन लेकर ली गई। लेकिन सोसायटी से मैनेजमेंट से हटने के बाद भी एक्स मैनेजमेंट द्वारा इसका खुद व्यक्तिगत यूज किया गया।

दवा, किताब खरीदी चौकसे ने अपनी ही कंपनियों से की

रिपोर्ट में गंभीर बात यह भी उठी है कि सेवाकुंज अस्पताल ने 2.25 करोड़ की दवाएं लीं तो इसमें से भी चौकसे परिवार की अनंज्य फार्मास्यूटिकल्स से 1.68 करोड़ की दवा खरीदी बताई गई, इसी तरह एलएनसीटी मेडिकल ने 66.87 लाख की किताब खरीदी, इसमें 38.42 लाख का बिल अनंज्य बुकेसेलर्स का है। इसी तरह स्टेशनरी भी अनंजय से 12.90 लाख की खरीदी हुई।

आयुष्मान योजना से मिली राशि में भी खेल

सोसायटी के लोगों ने आयुष्मान योजना से मिली राशि में भी गफलत की है। सेवाकुंज अस्पताल को आयुष्मान योजना के तहत 4.88 करोड़ का भुगतान हुआ। इसमें से उसने मेडिसिन खरीदी अनंज्य फार्मास्यूटिकल्स और सेवाकुंज की फार्मेसी से बताया, लेकिन इनके साथ करार के दस्तावेज नहीं मिले।

सोसाइटी में, खाने-पीने में जमकर खर्चा

कई सेक्टर में बदलानी जी लोन और अग्रवाल जी लोन लिखा है और इसमें अनसिक्योर्ड लोन है। वहीं सोसायटी में नियमविरुद्ध 10 हजार से अधिक राशि का कैश भुगतान हुआ, जो खाने-पीने में अधिक गया। इसे पार्टियों में यूज किया गया।

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