इंदौर BRTS हथौड़ा लेकर तोड़ना ही तो है, इसमें 9 माह लग गए, हाईकोर्ट ने कलेक्टर, निगमायुक्त को बुलाया

इंदौर में BRTS को तोड़ने का काम 9 महीनों से लटका हुआ है। हाईकोर्ट ने शासन की बहानेबाजी पर नाराजगी जताई है। साथ ही, कलेक्टर, निगमायुक्त को 26 नवंबर को पेश होने का आदेश दिया है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर बीआरटीएस हथौड़ा लेकर तोड़ना ही तो है, इसमें किस तरह की विशेषज्ञता की जरूरत है? किसी का मकान तोड़ना हो तो तत्काल मशीन लेकर पहुंच जाते हैं और मिनटों में गिरा देते हैं।

वहीं, ट्रैफिक समस्या दूर करने बीआरटीएस तोड़ने के लिए नौ माह से बहानेबाजी चल रही है। यह तीखी बहस इंदौर हाईकोर्ट में सोमवार को हुई।

इस बहानेबाजी से हाईकोर्ट भी नाराज हुआ है। अब 26 नवंबर को इंदौर कलेक्टर और निगमायुक्त दोनों को हाईकोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है।

बीआरटीएस तोड़ने के लिए फरवरी में हो चुके आदेश

इस साल सीएम मोहन यादव ने इंदौर में बीआरटीएस हटाने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा, भोपाल के बाद अब इंदौर का बीआरटीएस हटेगा। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

शासन ने बीआरटीएस तोड़ने की बात की थी। इसे 27 फरवरी को मंजूरी मिल गई थी। वहीं, इसके बाद से बीआरटीएस तोड़ने का काम रुका हुआ है।

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इस तरह की बहानेबाजी चल रही है

कोर्ट में शासन पक्ष ने बताया कि टेंडर कई बार बुलाने पड़े हैं। इसमें किसी के नहीं आने के चलते इस काम को देने में देरी हुई है। इसमें विशेषज्ञता की जरूरत है।

अब टेंडर हो गया है और एजेंसी भी तय हो गई है। इस पर याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागडिया ने खुलकर शासन को आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि केवल बहानेबाजी चल रही है।

कागजों पर प्लान बहुत बढ़िया बताए जाते हैं। वहीं, जब हाईकोर्ट में कह चुके हैं कि हटा रहे हैं तो फिर नौ माह से क्या हो रहा है। भोपाल का तो नौ दिन में हट गया था। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कलेक्टर, निगमायुक्त को 26 नवंबर को उपस्थित होने के लिए कहा।

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हाई पावर कमेटी कर क्या रही है

ट्रैफिक की समस्याओं को लेकर ही हाईकोर्ट के निर्देश पर हाईपावर कमेटी बन चुकी है। इसमें महापौर, कलेक्टर, निगमायुक्त, आरटीओ हैं।

इनके जरिए करीब 75 दिन पहले ट्रैफिक को लेकर प्लान भी दिया था। वहीं, असल में यह प्लान कागजों से मैदान पर आया ही नहीं। याचिकाकर्ता राजलक्ष्मी फाउंडेशन के फाउंडर व वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागडिया ने जनहित याचिका दायर की है।

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ग्रीन बेल्ट में बन रहे धर्मस्थल

याचिका के दौरान ग्रीन बेल्ट में बन रहे धर्मस्थलों को लेकर भी मुद्दा उठा था। इसमें कहा गया कि बांबे अस्पताल के आसपास ग्रीन बेल्ट पर धर्मस्थल बनाए जा रहे हैं। ठेले लग रहे हैं, अस्थाई कब्जे हो रहे हैं।

इसके बादवजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर भी हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि इस पर तो सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन है। गाइडलाइन के मुताबिक, धर्मस्थल इस तरह से नहीं बनने चाहिए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पहले इसी तरह से कब्जे होते हैं, फिर यह स्थाई निर्माण हो जाता है। इससे ट्रैफिक की हालत खराब है और केवल प्लान बनाए जा रहे हैं।

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