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Photograph: (THESOOTR)
INDORE. इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने अक्टूबर में एक आदेश जारी किया था। यह आदेश इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज की 500 करोड़ की जमीन के खेल को रोकने के लिए था।
इस आदेश और नोटिस के खिलाफ कॉलेज के प्रिंसिपल अमित डेविड ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन प्रबंधन को कोई राहत नहीं मिली है। यह वही कॉलेज हैं जहां से प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार पढ़े हुए हैं और इंदौर और मप्र की कई हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है।
क्या था कॉलेज का खेल
इंदौर क्रिश्चन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अमित डेविड इंदौर के इंदौर कस्बा सर्वे नंबर 407/1669/3 कुल 68.303 हेक्टेयर में से 1.702 हेक्टेयर पर बने क्रिश्चियन कॉलेज भूमि पर लंबे समय से नक्शा पास कराने में जुटे हुए हैं। यह नक्शा यहां पर व्यावसायिक आफिस, दुकान बनाने का है।
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हाईकोर्ट ने यह दिया आदेश
कॉलेज प्रबंधन ने कलेक्टर के आदेश को चुनौती दी थी। इस पर शासन पक्ष ने जवाब दिया कि अभी कलेक्टर के पास इसकी सुनवाई चल रही है और नोटिस जारी हुआ है। जमीन सरकारी है या नहीं है इसे लेकर संबंधित पक्षकार वहां पर जवाब दे सकता है। वहां उनके जवाब के अवसर खुले हुए हैं।
वहीं कॉलेज का पक्ष था कि जमीन उनकी है और यह कलेक्टर का आदेश पक्षपाती पूर्ण है। कॉलेज अभी भी चल रहा है जबकि उसे बंद होने वाली स्थिति में बताया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद फैसला दिया कि संबंधित पक्षकार कलेक्टर के पास जाकर जवाब दे सकता है। इसलिए बिना मेरिट के याचिका निराकृत की जाती है।
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कलेक्टर शिवम वर्मा ने यह दिया था आदेश
क्रिश्चियन कॉलेज की यह फाइल लंबे समय से कलेक्टोरेट के गलियारों में एसडीएम, तहसीलदार से लेकर अलग-अलग अधिकारियों के पास दौड़ रही है। उधर प्रिंसिपल डेविड ने इसके नक्शे के लिए टीएंडसीपी में फाइल लगा दी।
आखिरकार इसमें कलेक्टर शिवम वर्मा ने एसडीएम जूनी और तहसीलदार की टीम बनाकर जमीन की जांच कराई और रिपोर्ट ली। इस जांच के बाद अब कलेक्टर ने टीएंडसीपी को पत्र लिख दिया और इसमें इस जमीन पर किसी भी तरह की मंजूरी देने पर रोक लगा दी । साथ ही कॉलेज प्रबंधन को नोटिस देकर जवाब मांगा है। यह केस कलेक्टर कोर्ट में चल रहा है।
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कलेक्टर के टीएंडसीपी पत्र में यह लिखा
कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट के आधार पर पाया कि दस्तावेज दानपत्र , हिस्ट्री आफ यूएनसीआई आदि में है कि यह भूमि महाराजा होलकर द्वारा 1 दिसंबर 1887 को कुछ शर्तों के साथ बिना रेंट अनुदान के दी गई।
शर्तों के तहत भूमि उपयोग केवल विद्यालय व महिला अस्पताल के लिए किए जाने का प्रावधान था। जब तक यह उपयोग होगा मिशन द्वारा उपयोग किया जाता रहेगा और समाप्त होने पर भूमि वापस महारानी या उसके उत्तराधिकारी द्वारा ली जा सकेगी। कलेक्टर की जांच में आया कि यहां महिला अस्पताल नहीं है और कॉलेज भी समाप्ति की ओर है, ऐसे में संस्था का मूल उद्देश्य खत्म हो चुका है।
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अब जमीन भी वापस लेंगे
कलेक्टर ने पत्र में ही लिखा है कि महाराज के उत्तराधिकार के तौर पर अब मप्र शासन है ऐसे में जमीन शासन की होकर सरकारी जमीन है। इसलिए प्रोफेशनल ऑफिसेस, उपयोग के लिए किसी प्रकार की नक्शा मंजूरी नहीं दी जाए। साथ ही जमीन वापस लेने के लिए प्रकरण चल रहा है।
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