प्रमोशन में आरक्षण पर याचिकाकर्ताओं की बहस जारी, जरनैल सिंह मामलों का दिया हवाला

प्रमोशन में आरक्षण मामले में याचिकाओं की सुनवाई आज हाईकोर्ट में शुरू हुई। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के जरनैल सिंह फैसलों का हवाला देते हुए अपनी दलीलें पेश कीं। 21 नवंबर को फिर होगी सुनवाई।

author-image
Neel Tiwari
New Update
promotion-reservation-jabalpur-high-court-hearing
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

JABALPUR. मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण नियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई शुरू हुई। यह सुनवाई आज 20 नवंबर को जबलपुर हाईकोर्ट में की गई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजनल बेंच ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ताओं ने आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसलों को विस्तार से रखा है। यह फैसला जरनैल सिंह (1) और जरनैल सिंह (2) मामलों से जुड़ा था।

जरनैल सिंह (1) का हवाला

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि जरनैल सिंह (1) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एम. नागराज फैसले का पुनर्मूल्यांकन किया था। कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का सही लाभ तय करने के लिए उच्च पदों पर पहुंचे अधिकारियों का डेटा जरूरी है। जब तक क्रीमी लेयर के वास्तविक आंकड़े नहीं जुटाए जाते, तब तक यह पता करना मुश्किल है कि पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल रहा है या नहीं।

ये खबर भी पढ़िए...प्रमोशन में आरक्षण का मामला : बिना आंकड़े जुटाए आरक्षण प्रतिशत तय करने पर सवाल, जल्द होगा फैसला

प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई पर एक नजर...

  • मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण नियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 20 नवंबर को जबलपुर हाईकोर्ट में शुरू हुई।

  • याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के जरनैल सिंह (1) और (2) मामलों के फैसलों का हवाला दिया, जिसमें आरक्षण के लिए सही डेटा की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।

  • याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण लागू करने से पहले पिछड़े वर्गों का डेटा एकत्र नहीं किया।

  • याचिकाकर्ताओं के अनुसार, बिना क्रीमी लेयर और प्रतिनिधित्व का आंकलन किए, आरक्षण लागू करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16(1) के खिलाफ है।

  • कोर्ट ने सुनवाई को 21 नवंबर तक बढ़ा दिया, और याचिकाकर्ता कल अपनी बहस पूरी करेंगे, उसके बाद राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का समय मिलेगा।

ये खबर भी पढ़िए...MP News: प्रमोशन में आरक्षण नियम 2025 की संवैधानिकता पर सवाल, हस्तक्षेपकर्ताओं ने याचिका के औचित्य पर उठाए सवाल

जरनैल सिंह (2) का हवाला

आज की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने जरनैल सिंह (2) फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले सरकार को यह साबित करना होगा कि संबंधित वर्गों का प्रतिनिधित्व कम है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क किया कि मध्य प्रदेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण लागू करने से पहले यह डेटा एकत्र नहीं किया था। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों की स्थिति, प्रतिनिधित्व और क्रीमी लेयर का आकलन नहीं किया गया था। ऐसे में वर्ष 2025 का यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 16(1) के खिलाफ है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बिना डेटा जांच के आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है।

ये खबर भी पढ़िए...मध्यप्रदेश में खाली है 90 हजार पद, प्रमोशन में आरक्षण का विवाद है कारण, 12 को मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

कल फिर होगी सुनवाई, बहस पूरी होगी

डिवीजनल बेंच ने आज की सुनवाई के बाद मामले को 21 नवंबर तक बढ़ा दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कल अपनी बहस पूरी करेंगे। इसके बाद राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का समय दिया जाएगा। कोर्ट पहले ही कह चुका है कि यह मामला संवैधानिक रूप से बेहद अहम है। इसलिए, सुनवाई को तेजी से और निरंतर पूरा किया जाएगा।

ये खबर भी पढ़िए...इंदौर के हाईवे इन्फ्रा के शेयर धड़ाम, तीन माह में 376 करोड़ कम हुआ मार्केट कैप

MP News मध्यप्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई प्रमोशन में आरक्षण चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा जस्टिस विनय सराफ मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण
Advertisment