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जबलपुर। मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण के नियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार, 13 नवंबर को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने केस सुना। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार का यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 16(1) का उल्लंघन करता है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस मामले (प्रमोशन में आरक्षण का मामला) की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करना चाहते हैं।
बिना आंकड़ों के आरक्षण प्रतिशत तय करना है गलत
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने बिना कोई ठोस आंकड़े इकट्ठा किए। बिना यह समझे कि पिछड़े वर्गों का असली प्रतिनिधित्व क्या है, यह नियम बना दिया।
यह कदम सुप्रीम कोर्ट के एम. नागराज (1), एम. नागराज (2) और जरनैल सिंह के मामलों में जो निर्देश दिए गए थे, उनके खिलाफ है।
अदालत को बताया गया कि सरकार ने आरक्षण लागू करने से पहले यह नहीं देखा कि कौन से वर्ग अभी भी वाकई पिछड़े हैं और उनका वर्तमान में कितना प्रतिनिधित्व है।
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क्रीमी लेयर हटाना प्रतिनिधित्व तय करने की पहली शर्त
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया। बाद में कहा कि जब तक पिछड़े वर्ग से क्रीमी लेयर को अलग नहीं किया जाता, तब तक यह तय नहीं किया जा सकता कि उन्हें कितना आरक्षण मिलना चाहिए।
उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी पिछड़े वर्ग का व्यक्ति आईएएस या आईपीएस बनता है, तो उसके बच्चे अब सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े नहीं माने जा सकते। ऐसे में उन्हें आरक्षण का फायदा देना, बाकी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव जैसा होगा।
प्रमोशन में आरक्षण देने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि प्रमोशन में आरक्षण लागू करने के मामलों में मध्य प्रदेश 1992 से ही देश का पहला राज्य रहा है जिसने इस तरह के नियम बनाए हैं। हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि हर नियम का कोई न कोई पहला उदाहरण होता है।
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जल्द पूरी होगी सुनवाई
डिविजनल बेंच ने इस मामले (मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण) को बहुत जरूरी बताते हुए कहा कि वे जल्दी से जल्दी सुनवाई खत्म करना चाहते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब याचिकाकर्ता अपनी पूरी बहस खत्म कर लेंगे, तब सरकार को भी अपना जवाब देने का मौका मिलेगा।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 और 21 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ता अपना बाकी पक्ष कोर्ट के सामने रखेंगे। उसके बाद सरकार अपना पक्ष रखेगी।
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