27 फीसदी OBC आरक्षण केस में आज भी सुनवाई नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा चीफ जस्टिस को मेंशन कीजिए

मध्य प्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 12 नवंबर को निर्धारित थी। ओबीसी वेलफेयर कमेटी के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने इसे अगले दिन के लिए टॉप पर लिस्ट करने की मांग की थी। अब आज भी सुनवाई मुश्किल है।

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश में  27 फीसदी OBC आरक्षण केस के लिए सुप्रीम कोर्ट में 12 नवंबर को केस लिस्ट था। वहीं, इस बार ओबीसी वेलफेयर कमेटी की ओर से अधिवक्ता वरुण ठाकुर पेश हुए। उन्होंने कहा कि इसे कल के लिए टॉप पर लिस्ट कर दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देखते हैं। इसके बाद यह शाम को जारी हुई केस लिस्ट में 13 नवंबर के लिए लिस्टेड हुआ। इसमें अब गुरुवार को भी सुनवाई मुश्किल है।

चीफ जस्टिस को मेंशन कीजिए- सुप्रीम कोर्ट

इस केस के नीचे लिस्ट होने पर फिर से ओबीसी वेलफेयर कमेटी के अधिवक्ता वरुण ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और सुनवाई की मांग रखी। ठाकुर ने कहा कि आर्डिनेंस पर स्टे है, एक्ट पास है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब हम सुनवाई करते हैं तो ग्रांट लीव मांगते हैं, जब देते हैं तो फिर दूसरी बात कहते हैं। इस पर ठाकुर ने कहा कि 6 साल से बच्चे परेशान हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप चीफ जस्टिस के सामने मेंशन कीजिए।

139वें नंबर पर लिस्ट में लगा है केस

हालांकि, ओबीसी वेलफेयर कमेटी ने इस केस को 13 नवंबर को लिस्ट में टॉप पर रखने की मांग की थी लेकिन यह नहीं हो सका। कारण यह है कि पहले से ही कई अहम केस लगे हुए थे।

ऐसे में इस केस को 139वां स्थान मिला। अब इसमें सुनवाई होना मुश्किल है। क्योंकि औसतन 100 केस की सुनवाई ही हो पाती है। इसके चलते नंबर आना मुश्किल है।

अभी तक शासन पक्ष मांग रहा था समय

इसके पहले लगातार शासन पक्ष ही समय मांग कर केस को आगे बढ़ा रहा था। बुधवार 12 नवंबर को ओबीसी वर्ग की ओर से इसे एक दिन आगे लिस्ट करने की मांग की गई।

कारण था कि केस 12 नवंबर को भी काफी नीचे 119वें नंबर पर लिस्ट था। ऐसे में 12 नवंबर को भी सुनवाई पर आना मुश्किल ही होता।

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15 हजार पन्नों की रिपोर्ट पेश कर चुका सरकार

सरकार इसमें 15 हजार पन्नों की रिपोर्ट पेश कर चुकी है। इसमें बहस के लिए लगातार समय मांगा जा रहा है। बीती सुनवाई में भी इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ था और कहा था कि हम सुनवाई के लिए तैयार हैं लेकिन आप नहीं।

इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट सरकारी रवैये को लेकर काफी तीखी टिप्पणी कर चुका है और कह चुका है कि 6 साल से सोए हुए थे। यह सब कुछ आपके द्वारा फैलाया हुआ है।

अब बहुत हो चुका अब अंतरिम राहत नहीं देंगे और अंतिम फैसला करेंगे। बीच में इस केस को फिर से हाईकोर्ट में भी भेजने की बात उठी थी। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं।

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