ओबीसी आरक्षण केस में सरकार का शपथपत्र, ईएसबी भर्ती में अनारक्षित कोटे के 78 फीसदी पद आरक्षित के पास गए

मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण पर लगातार विवाद जारी है। सुप्रीम कोर्ट में एमपी सरकार ने 15,000 पन्नों में जवाब दिया है। इनमें ऐसे आंकड़े हैं जो आगे जाकर सरकार के गले की हड़डी बन सकते हैं। सुनवाई नवंबर के दूसरे सप्ताह तक टल गई।

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Sanjay Gupta
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INDORE.मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का मुद्दा राजनीतिक हो चुका है। इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस में विवाद जारी है। इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस के दौरान मप्र सरकार भले ही 15 हजार से अधिक पन्नों में जवाब दे चुकी है। लेकिन वह लगातार केस की सुनवाई आगे बढ़वा रही है। इसमें वह अभी तक सफल भी हुई और अब नवंबर के दूसर सप्ताह में सुनवाई होगी। वहीं इन 15 हजार पन्नों में सरकार ने ऐसे भी कुछ आंकड़े दिए हैं, जिसने अनारक्षित वर्ग को अपनी कानूनी लड़ाई मजबूती से लड़ने का आधार दे दिया है। यह आंकड़े और शपथपत्र ही आगे जाकर सरकार के गले की हड़डी बन सकता है। 

सरकार ने ही बोला अनारक्षित के पद ले जा रहे आरक्षित

सरकार ने अपने शपथपत्र के वाल्यूम तीन के पेज 649 पर यह जानकारी है। इसमें एक पेज का ब्रीफ दिया जिसमें बताया है कि ESB और PSC की हाल में हुई भर्ती परीक्षा में किस वर्ग के लिए कितने पद आरक्षित थे। कितने अनारक्षित में थे और इसमें से किस कैटेगरी के कितने चयनित हुए। इसमें बताया गया कि अनारक्षित के पदों पर मेरिट के आधार पर ओबीसी, एसटी, एससी और ईडब्ल्यूस के उम्मीदवारों को चयन हो रहा है। सरकार ने इन सभी भर्ती परीक्षाओं में चयनितों का पूरा विस्तार से रिजल्ट भी संलग्न किया है कि किस कैटेगरी से कौन चयनित हुआ है। 

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ईएसबी में 78 फीसदी पद आरक्षित ले गए

सरकार ने बताया है कि ईएसबी ने हाल में चार भर्ती परीक्षाएं सिपाही भर्ती 2023, ग्रुप वन सबग्रुप 1, ग्रुप टू सब ग्रुप 1 संयुक्त परीक्षा 2023. आईटीआई ट्रेनिंग आफिसर 2024 व पर्यवेक्षक भर्ती 2024 पूरा किया है। इसमें 10159 पदों भर्ती हुई इसमें अनारक्षित के 27 फीसदी कोटे में 2738 पद थे जिसमें से सामान्य कैटेगरी के यानी बिना आरक्षण वाले केवल 605 ही चयनित हुए। 

ओबीसी कैटेगरी वाले 1621 पद, एससी वाले मेरिट होल्डर 120, एसटी के 60 और ईडब्ल्यूएस के 364 मेरिट होल्डर उम्मीदवार मेरिट के आधार पर आरक्षित से अनारक्षित कैटेगरी में आ गए। इस तरह अनारक्षित कैटेगरी के 78 फीसदी पद आरक्षित वाले ले गए। 

उदाहरण के तौर पर सिपाही भर्ती में 7090 पद में से अनारक्षित के पास 27 फीसदी कोटे से 1914 पद थे, इसमें से ओबीसी 1236, एससी 77, एसटी 45 व ईडब्ल्यूएस 279 पद ले गए और सामान्य के पास केवल 363 पद आए। 

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इसी तरह पीएससी में भी यही हुआ

इसी तरह पीएससी की आठ परीक्षाओं का शासन ने डिटेल दिया है। इसमें आयुर्वेदिक मेडिकल आफिसर परीक्षा 2021, राज्य सेवा परीक्षा 2021 व 2022, एडीपीएओ 2021, डीएसपी रेडिो 2021, असिस्टेंट डायरेक्टर सोशल जस्टिस 2021, होम्योपैथी 2021 का जिक्र है। इसमें कुल 1899 पदों में से अनारक्षित के 27 फीसदी कोटे से 374 पद थे, जिसमें से ओबीसी के मेरिट होल्डर उम्मीदवारों के पास 147, एससी के पास 14, एसटी के पास 3 व ईडब्ल्यूएस के पास 83 पद चले गए। इस कैटेगरी में सामान्य वर्ग के पास केवल 253 पद आए। यानी इसमें से 33 फीसदी पद आरक्षित वर्ग के पास चले गए। जैसे राज्य सेवा परीक्षा 2021 की बात करें तो इसमें 290 पद में अनारक्षित के 69 पद थे। इसमें से ओबीसी के पास 18, एससी के पास 1, एसटी के पास जीरो और ईडब्ल्यूएस के पास 14 गए, सामान्य यानी बिना आरक्षण वालों के पास 36 पद आए। यानी 52 फीसदी पद मिले। 
राज्य सेवा परीक्षा 2022 में 457 पद थे इसमें अनारक्षित के 126 पद थे। इसमें ओबीसी के पास 35, एससी के पास 0, एसटी के पास 0 , ईडब्ल्यूएस के पास 25 गए। अनाऱक्षित कैटेगरी में सामान्य के हाथ 66 पद आए। यानी 52 फीसदी पद ही हिस्से में आए। 

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डीएसपी रेडियो में एक भी पद नहीं मिला

डीएसपी रेडियो की भर्ती में तो कुल 13 पद थे इसमें अनारक्षित कैटेगरी में 4 थे जिसमें से तीन ओबीसी के मेरिट होल्डर और एक ईडब्ल्यूएस के पास गया, यानी बिना आरक्षण वाले सामान्य वर्ग के पास एक भी सीट नहीं गई। 
(मप्र में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के कारण अभी केवल 87 फीसदी पर ही अंतिम चयन सूची आ रही है, जिसमें अनारक्षित के पास 27 फीसदी, ओबीसी के पास 14, एससी के पास 16, एसटी के पास 20 और ईडब्ल्यूस के पास 10 फीसदी पद जाते हैं। शेष 13 फीसदी पद प्रोविजनल कैटेगरी में होल्ड है, इसलिए सभी परीक्षाओं में अनारक्षित कोटा 27 फीसदी के आधार पर ही पदों का वितरण है।)

ओबीसी और अनारक्षित के अपने-अपने तर्क

इस मुद्दे पर ओबीसी वर्ग का तर्क है कि मेरिट के आधार पर कोई भी उम्मीदवार को नहीं रोका जा सकता है और वह अनारक्षित में जाता है, अनारक्षित का मतलब कभी भी सामान्य वर्ग नहीं होता है। यह मेरिट पर बनत है। वहीं यह भी तर्क है ईडब्ल्यूएस वाले भी इसमें आते हैं वह तो पूरी तरह से सामान्य वर्ग वाले ही है। फिर ओबीसी में क्रीमेलेयर भी चलता है। उधर अनारक्षित का कहना है कि सभी आरक्षण के बाद यदि 27 फीसदी लागू होता है तो केवल 27 फीसदी ही पद बचते हैं और इसमें से भी आधे से ज्यादा पद आरक्षित वाले ले जाते हैं, फिर बात आबादी की हो रही है तो फिर हमारी आबादी का क्या होगा, उनका प्रतिनिधित्व तो खत्म हो रहा है। केवल ऐसा तो हो नहीं रहा है कि 27 फीसदी अनारक्षित को दिया है तो इसमें फिर केवल सामान्य वर्ग ही आ रहा है यह तो सभी के लिए ओपन है। 

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क्या मुश्किलें खड़ी होगी

इस शपथपत्र और जानकारी का अब अनारक्षित वर्ग अपने जवाब के लिए इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है। यह बताने की कोशिश की जाएगी कि असाधारण परिस्थितियां नहीं है जिससे 50 फीसदी की आरक्षण सीमा को तोड़ा जाए। क्योंकि अन्य कैटेगरी के उम्मीदवार अच्छी तादाद में मेरिट पर चयनित होकर आ रहे हैं। अनारक्षित में सामान्य वर्ग के लिए पदह ही गिनती के बच रहे हैं। कुल मिलाकर कानूनी लड़ाई में यह शपथपत्र अहम साबित होने जा रहा है। 

मप्र की सेवाओं में आरक्षित वर्ग और अनारक्षित की स्थिति

वहीं वॉल्यूम के पेज 5277, 5278 पर मप्र की विविध सरकारी सेवाओं, अखिल भारतीय सेवा, प्रथम श्रेणी पद, दिवतीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के पदों की जानकारी दी गई है। सभी सेवाएं मिलाकर सरकारी पदों में ओबीसी 28.16 फीसदी, एससी 17.58 फीसदी, एसटी 17.99 फीसदी और अनारक्षित का हिस्सा 36.27 फीसदी है। 
संख्या के हिसाब से कुल पद 7.21 लाख पद, इसमें ओबीसी दो लाख, एससी 1.26 लाख, एसटी 1.29 लाख और अनारक्षित 2.61 लाख है। 
इसमें बताया है कि अखिल भारतीय सेवा में ओबीसी 13.76 फीसदी और अनारक्षित 61.12 फीसदी है।
प्रथम श्रेणी में ओबीसी की भागेदारी केवल 9.55 फीसदी और अनारक्षित की 64 फीसदी है।
द्वितीय श्रेणी में ओबीसी 23 फीसदी और अनारक्षित 42 फीसदी है।
तृतीय श्रेणी में ओबीसी 28 फीसदी और अनारक्षित करीब 37 फीसदी और चतुर्थ श्रेणी में ओबीसी 32 फीसदी और अनारक्षित 25 फीसदी है।

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