एमपी में ओबीसी आरक्षण विवाद पर कमलनाथ ने बीजेपी सरकार को घेरा, पूछे ये सवाल

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक विवाद गहरा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टालने का प्रयास कर रही है।

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन राज्य सरकार बार-बार समय मांगने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार पूरी तरह तैयार है, तो वह सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं जा रही?

बीजेपी ने ओबीसी आरक्षण छीना

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% किया। यह निर्णय ओबीसी समाज की सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी को मजबूत करता। बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही इस आरक्षण को रोक दिया। अब बीजेपी कोर्ट में इस मुद्दे पर समय मांग रही है। कमलनाथ के अनुसार, यह बीजेपी की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जो ओबीसी समाज को उनका हक नहीं दे रही।

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बीजेपी पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार चुनावी मंचों पर ओबीसी समाज के हितैषी होने का दावा करती है, लेकिन जब मामला कोर्ट में पहुंचता है, तो यह सरकार ओबीसी आरक्षण के खिलाफ खड़ी नजर आती है। कमलनाथ ने यह भी कहा कि यदि बीजेपी सरकार वास्तव में ईमानदार होती, तो अब तक ओबीसी आरक्षण पर ठोस कदम उठा चुकी होती।

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SC में सुनवाई टालने का आरोप

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कहा है कि सरकार बिना तैयारी के बार-बार सुनवाई को टालने की कोशिश कर रही है। इस पूरे मामले में बीजेपी की भूमिका पर सवाल उठते हैं। कमलनाथ का कहना है कि जब बीजेपी ओबीसी समाज के हित में काम करने का दावा करती है, तो उसकी असल मंशा पर संदेह पैदा होता है।

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कांग्रेस सरकार ने की थी पहल

कमलनाथ ने अपने कार्यकाल में ओबीसी आरक्षण के फैसले को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश की आधी आबादी को न्याय दिलाया। उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार ने कांग्रेस द्वारा किए गए काम को रोक दिया है। कमलनाथ के अनुसार, कांग्रेस ने हमेशा सामाजिक न्याय और समानता के लिए काम किया, जबकि बीजेपी की प्राथमिकता सिर्फ वोट बैंक की राजनीति रही है।

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