मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क ( kuno nationa park ) अब अपने चीतों के लिए जाना जाता है। इन चीतों की अच्छी देखभाल के लिए खानपान को बेहतर करने की कवायद की जा रही है। दरअसल पार्क के अंदर पर्याप्त भोजन न मिलने पर चीतों का पार्क से बाहर जाने का खतरा रहता है। इससे चीतों और आम लोगों की जान को खतरा हो सकता है।
चीतों को पार्क से बाहर जाने से रोकने के लिये कूनो नेशनल पार्क में ही 1500 चीतल शिफ्ट किए जायेंगे ( 1500 cheetal shifting to kuno national park )। ये चीतल पेंच एवं बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व तथा माधव नेशनल पार्क से ट्रांसलोकेट होंगे। तीनों वन्य प्राणी क्षेत्रों से 500-500 चीतल लिये जाएंगे। चीतल के ट्रांसलोकेशन के लिए मंगलवार को मंत्रालय में स्थित वन विभाग ने अनुमति प्रदान कर दी है। अब वन मुख्यालय की वन्यप्राणी शाखा शिफ्टिंग की तैयारी करेगी।
पहले भी ट्रासलोकेट किए थे 1 हजार चीते
कूनो नेशनल पार्क के चीतों की खुराक को ध्यान में रखते हुए यहां पहले भी चीतल ट्रांसलोकेट किए गए थे। इससे पहले 1000 चीतों को ट्रांसफर किया गया था। चीतों की खुराक के लिए की जाने वाली इस तरह की शिफ्टिंग को प्रे-बेस बढ़ाना या शिकार बढ़ाना कहा जाता है।
ये खबर भी पढ़िए...
चीतों का घर बना एमपी: कूनो के बाद अब गांधीसागर में बसाए जाएंगे चीते, अफ्रीका की लगी मुहर...
कूनो की तरह चीतों का घर बनेगा गांधीसागर अभ्यारण
कूनो नेशनल पार्क की तरह ही अब मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य ( Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary ) में चीतों का एक और आशियाना बनकर तैयार होगा। दरअसल दक्षिण अफ्रीका से कुछ और चीते लाकर यहां शिफ्ट करने के प्रयास चल रहे हैं। वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में इसकी मंजुरी दे दी गई है।
ये खबर भी पढ़िए...