छिंदवाड़ा में कफ सिरप से 3 और बच्चों की मौत, एमपी के इन जिलों में भी है सप्लाई की आशंका

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप से 6 बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं, अब 3 और बच्चों की मौत के बाद इस हादसे का आंकड़ा 9 तक पहुंच चुका है। जानकारी के अनुसार, इन सिरपों की अन्य जिलों में भी सप्लाई की संभावना जताई जा रही है।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हाल ही में कफ सिरप से किडनी फेल होने से 6 बच्चों की मौत हो गई थी। जानकारी के अनुसार, आज, 03 अक्टूबर को 3 और बच्चों की मौत हो गई। ऐसे में कफ सिरप से मौत का आंकड़ा 9 हो गया है। वहीं इसकी जांच में पता चला कि जिन दो कफ सिरप- कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा डीएस (Nexa DS)- को प्रशासन ने बैन किया है, वे सिरप प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों के पर्चे पर लिखे गए थे। इसके साथ ही इस सिरप की अन्य राज्यों में भी सप्लाई की आशंका सामने आ रही है।

पहले 6 और अब 3 और बच्चों की मौंत

छिंदवाड़ा में पहले जिन 6 बच्चों की मौत हुई थी वे सभी परासिया ब्लॉक के रहने वाले थे। जानकारी के अनुसार अब 3 और बच्चों की मौत कफ सिरप की वजह से हो गई है। दोनों बच्चे गंभीर किडनी इंफेक्शन से पीड़ित थे। डॉक्टरों की टीम ने पूरी कोशिश की लेकिन स्थिति इतनी नाजुक थी कि उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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राजस्थान में भी कफ सिरप से 2 बच्चों की मौत

राजस्थान के भरतपुर में कफ सिरप के सेवन से एक दो साल के बच्चे की मौत हो गई। इससे पहले, सीकर जिले में भी एक 5 वर्षीय बच्चे की जान कफ सिरप के कारण चली गई थी। दोनों घटनाओं में सिरप के सेवन से किडनी फेलियर को मुख्य कारण बताया जा रहा है।

छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मौत की खबर पर एक नजर

  • छिंदवाड़ा में कफ सिरप के सेवन से 6 बच्चों की मौत हुई थी, जिनमें अब 3 और बच्चों की मौत जुड़ गई है, जिससे कुल मौतों का आंकड़ा 9 हो गया है।

  • राजस्थान के भरतपुर और सीकर में भी कफ सिरप के सेवन से 2 बच्चों की मौत हो गई, जिनमें किडनी फेल होने को मुख्य कारण बताया गया।

  • कोल्ड्रिफ और नेक्सा डीएस सिरप केवल कुछ शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा लिखे जा रहे थे और यह सिरप निजी क्लीनिक के पास स्थित मेडिकल स्टोर्स से मिल रही थीं।

  • छिंदवाड़ा के आसपास के इलाकों के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी इन सिरपों की सप्लाई होने की आशंका है, जांच जारी है।

  • राज्य सरकार ने संबंधित सिरपों के उत्पादन को रोकने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश की सरकारों को पत्र लिखा है और सिरप के 13 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।

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चुनिंदा डॉक्टर ही लिख रहे थे दवा

यह सिरप केवल सामान्य दवाएं नहीं थीं, जो हर मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हो जातीं। इन सिरपों को छिंदवाड़ा के चुनिंदा और बड़े शिशु रोग विशेषज्ञों के जरिए ही पर्चे पर लिखा जा रहा था। यह सिरप मुख्यत: उनके निजी क्लीनिक के पास स्थित कुछ गिने-चुने मेडिकल स्टोर्स से उपलब्ध हो रही थीं।

अन्य राज्यों में भी सप्लाई की आशंका

सूत्रों के अनुसार, छिंदवाड़ा के आसपास के इलाकों जैसे पांढुर्णा, सिवनी, बैतूल और बालाघाट में भी इन सिरपों की सप्लाई की संभावना है। हालांकि, ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि यह उनके क्षेत्र से बाहर का मामला है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में वरिष्ठ अधिकारियों को इस नेटवर्क की जानकारी दी है।

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राज्य सरकार उत्पाद को रोकने लिखा पत्र

इस घटना (कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला) को देखते हुए राज्य सरकार ने संबंधित सिरप के उत्पादन को रोकने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश की सरकारों को पत्र लिख दिया है। यहां इन सिरपों का उत्पादन किया जा रहा था। फिलहाल, इन सिरप के 13 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। प्रशासन यह पता लगाने में जुटा है कि इस संदिग्ध दवा की सप्लाई और कहां-कहां हुई है।

सिरप की पुरानी और नई पहचान

  • कोल्ड्रिफ (Coldrif): यह सिरप लगभग 20 साल पुरानी है, और बाजार में इसकी रिटेल कीमत 89 रुपए है।

  • नेक्सा डीएस (Nexa DS): यह सिरप एक साल पहले ही बाजार में आया था और इसकी कीमत 75 रुपए है।

डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स की साठगाठ

जिन 6 बच्चों की मौत हुई है, वे सभी छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक के रहने वाले थे। जांच में परासिया के दो प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ- डॉ. प्रवीण सोनी और डॉ. अमन सिद्दीकी- के पर्चों पर कोल्ड्रिफ सिरप का नाम सामने आया है। खास बात यह है कि डॉ. सोनी के परिवार के सदस्य उनके मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं। वहां यह सिरप आसानी से उपलब्ध था।

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एक महीने में इतनी बोतलें सप्लाई के अुमान

छिंदवाड़ा के थोक व्यापारियों ने बताया कि कोल्ड्रिफ सिरप के तीन और नेक्सा के एक स्टॉकिस्ट हैं। एक थोक व्यापारी ने दावा किया कि ड्रग इंस्पेक्टर ने उनके गोदाम से 170 बोतलें जब्त की हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एक थोक व्यापारी हर महीने लगभग 250 सिरप सप्लाई करता है। इससे महीने में 600 से अधिक बोतलें सप्लाई होने का अनुमान है।

डॉक्टरों ने मामले से खुद का पल्ला झाड़ा

डॉ. प्रवीण सोनी ने इस पूरे मामले पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि वे 38 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा अपने मरीजों के लिए सर्वोत्तम दवाएं लिखी हैं। उनका कहना था, इस साल का वायरल बुखार पिछले सालों से अलग था। वायरस म्यूटेट हुआ था। लोग सर्दी-खांसी में खुद से दवा लेते थे और हालत बिगड़ने पर हमारे पास आते थे।

छिंदवाड़ा में प्रशासन की जांच जारी

छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी है। वे रिवर्स पड़ताल कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह सिरप कहां-कहां सप्लाई की गई है।

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