छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: देशभर में सिरप की जांच अब जरूरी, अब तक 25 मौतें

छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से 25 बच्चों की मौत हुई। इसके बाद देशभर में सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की जांच जरूरी हो गई।

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Dablu Kumar
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Chhindwara.मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीले कफ सिरप के कारण 25 बच्चों की मौत हो गई है। इसका असर अब पूरे देश की दवा नीति पर दिखा है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया था, जो जहरीला होता है।

केंद्र सरकार का तत्काल कदम

छिंदवाड़ा में हुई इस घटना के बाद 9 अक्टूबर 2025 को मध्यप्रदेश के ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने दिल्ली को इस कांड पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में 46.28% डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया था, जो कि जानलेवा था।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय फार्माकोपिया (IP) में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की जांच जरूरी नहीं थी, जो कि बड़ी खामी थी।

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कफ सिरप में DEG और EG क्या होता है?

कफ सिरप में DEG (डायथिलीन ग्लाइकॉल) और EG (एथिलीन ग्लाइकॉल) दोनों रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो आमतौर पर सिरप में मिलाए जाते हैं, ताकि यह आसानी से घुल सके या गाढ़ा हो सके।

1. डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG)

यह एक साफ और बिना किसी खुशबू वाला तरल होता है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट, एंटी फ्रिज और प्लास्टिक निर्माण में होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। यदि कफ सिरप में DEG मिल जाए तो यह टॉक्सिसिटी पैदा कर सकता है। इससे किडनी फेल होना, न्यूरोलॉजिकल डैमेज और अत्यधिक मात्रा में सेवन पर मृत्यु भी हो सकती है।

2. एथिलीन ग्लाइकॉल (EG)

यह भी इसी तरह का एक केमिकल है। इसका उपयोग आमतौर पर कूलेंट और एंटीफ्रिज में किया जाता है। EG का सेवन इंसानों के लिए खतरनाक है। यह सिरप में मौजूद होने पर किडनी, लीवर और नर्व सिस्टम को डैमेज कर सकता है।  

सही दवा कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स में DEG या EG का प्रयोग नहीं करतीं। ये पदार्थ अगर सिरप में मिलते हैं तो अक्सर मिलावट, क्वालिटी कंट्रोल की लापरवाही या घटिया कच्चे माल की वजह से होते हैं।  

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केंद्र सरकार ने किया संशोधन

केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट के बाद भारतीय फार्माकोपिया को संशोधित किया है। अब देशभर के सभी ड्रग कंट्रोलर्स और फार्मा कंपनियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि सभी ओरल लिक्विड सिरप में DEG और EG की जांच अनिवार्य होगी। इसके जरिए इस दवा नीति में बदलाव से सुनिश्चित किया गया है कि यदि किसी सिरप में DEG या EG की मात्रा 0.1% से ज्यादा पाए जाते हैं, तो वह नॉट ए स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) मानी जाएगी।

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सरकारी अस्पतालों में सिरप पर रोक

इस घटना के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने चार कफ सिरप पर रोक लगा दी है। इन सिरपों के स्टॉक को सरकारी अस्पतालों से हटा लिया गया है। अस्पतालों में अब इन सिरपों को वितरण नहीं किया जा रहा है। इन सिरपों की जांच के लिए उन्हें NABL लैब में भेजा गया है, ताकि उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

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राजस्थान में भी उठे कदम

राजस्थान में भी इन सिरपों का वितरण रोका गया है। कुछ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत और डॉक्टरों के बीमार होने की खबरें आई हैं। राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर इन सिरपों की जांच करवाई है और रिपोर्ट आने तक इनकी सप्लाई पर रोक लगाई है।

FAQ

कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की जांच क्यों जरूरी है?
 डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल दोनों ही जहरीले तत्व हैं। इनकी अधिक मात्रा शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है और यह मौत का कारण बन सकती है।
कौन से सिरप पर रोक लगी है?
 मध्यप्रदेश और राजस्थान में चार कफ सिरप पर रोक लगाई गई है। इनमें डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन और क्लोर्फेनिरामीन आधारित सिरप शामिल हैं।
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