कफ सिरप के घातक असर के बाद एमपी सरकार ने मांगें दवाओं की जांच के अधिकार

मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र से दवाओं की टेस्टिंग अधिकार राज्यों को देने की मांग की है। यह कदम तमिलनाडु में बने जहरीले कफ सिरप से 23 बच्चों की मौत के बाद उठाया गया है। अब फूड एंड ड्रग्स कंट्रोल विभाग दवाओं की निगरानी में कसावट लाने की तैयारी कर रहा है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र से यह मांग की है कि दवाओं की टेस्टिंग के अधिकार राज्यों को दिए जाएं। यह कदम तमिलनाडु में बने जहरीले कफ सिरप के कारण 23 बच्चों की मौत के बाद उठाया गया है। राज्य सरकार ने प्रस्ताव केंद्र को भेजा है, जिसमें मप्र में दवाओं के उपयोग से पहले उनकी टेस्टिंग के अधिकार दिए जाने की बात की गई है।

एमपी में जांच के बाद ही बिकेंगी बाहरी दवाएं

हर राज्य अपने स्तर पर दवाओं की जांच करता है, लेकिन यह जांच तब होती है जब दवाओं का उपयोग शुरू हो चुका होता है। इसके बाद घटना का ठीकरा संबंधित राज्य पर फूटता है। 

फूड एंड ड्रग्स कंट्रोल विभाग अब दवाओं की निगरानी को सख्त बनाने की तैयारी कर रहा है। जिससे दवाओं से जुड़े खतरों को पहले ही रोका जा सके। यह कदम सरकार की ओर से दवाओं की खपत और असर की निगरानी को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

अब राज्य में किसी भी नई दवा की बिक्री से पहले उसे जांचना अनिवार्य होगा। इसके लिए सरकार ने केंद्र से नियमों में बदलाव की मांग की है, ताकि राज्य में दवाओं की जांच सही तरीके से हो सके।

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वर्तमान नियमों में बदलाव की आवश्यकता

वर्तमान में दवाओं के निर्माण के राज्य में ही लाइसेंस प्राप्त होता है और वहीं की एजेंसी दवाओं की जांच करती है। इस प्रणाली के तहत, दवाओं के अन्य राज्यों में पहुंचने से पहले कोई विस्तृत जांच नहीं हो पाती है। इसके कारण दवाओं के बारे में प्रदेश को कोई जानकारी नहीं मिल पाती, और इसका परिणाम यह होता है कि दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल उठने लगते हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने उठाए कदम

एमपी सरकार ने हाल ही में इस समस्या को लेकर केंद्र से संपर्क किया है और इस प्रक्रिया में बदलाव की मांग की है। राज्य सरकार चाहती है कि राज्य की ड्रग लायसेंसिंग अथॉरिटी को भी दवाओं की जांच के अधिकार दिए जाएं। इसका उद्देश्य राज्य में बिकने वाली हर दवा की गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच करना है, ताकि किसी भी खतरनाक दवा को राज्य में बिक्री से रोका जा सके।

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तमिलनाडु से दवाओं के भेजे जाने का मामला

यह कदम तमिलनाडु में बने एक बैच के कोल्ड्रिफ सिरप के बारे में सामने आया है, जो जबलपुर के स्टॉकिस्ट के जरिए छिंदवाड़ा भेजा गया था। इसी बैच की दवा ओडिशा और दमन दीव भी भेजी गई थी।

इस दवा की जांच सही समय पर नहीं हुई, जिसके कारण दवा का उपयोग करने वाले 25 बच्चों की मौत हो गई। इस घटना के बाद, राज्य सरकार ने केंद्र से मांग की है कि दवा टेस्टिंग से पहले राज्य के ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को और अधिक शक्तियां दी जाएं।

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तमिलनाडु के कफ सिरप से हुआ बड़ा हादसा

तमिलनाडु में उत्पादित कफ सिरप के सेवन से 23 बच्चों की मौत हो गई, जिससे राज्य सरकार की खासी किरकिरी हुई। छिंदवाड़ा में हुआ यह कफ सिरप कांड बेहद गंभीर था, क्योंकि इस सिरप की पहले राज्य जांच करता है, फिर पूरे देश में वितरित की जाती है। इसके बाद से राज्य ने खाद्य एवं औषधि नियंत्रक विभाग में कसावट लाने की योजना बनाई है।

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निष्कर्ष: नए नियमों से मिलेगी सुरक्षा

इस बदलाव के बाद, राज्य में बिकने वाली सभी दवाओं की जानकारी ड्रग अथॉरिटी को पहले मिल सकेगी। इसके बाद ही दवाएं प्रदेश में बिक सकेंगी, जिससे राज्य में दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा की सख्त निगरानी की जा सकेगी। सरकार का यह कदम दवाओं के सुरक्षा मानकों को बनाए रखने और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए उठाया गया है।

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