जांच में उलझे चीफ इंजीनियर को करोड़ों के प्रोजेक्ट

मध्य प्रदेश सरकार विभागों में आर्थिक अनियमिताओं पर कसावट लाने में नाकाम रही है। पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा को हाल ही में विभाग द्वारा 46 से ज्यादा आरओबी और फ्लाईओवर बनवाने का जिम्मा सौंपा गया है।

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Sanjay Sharma
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Chief Engineer embroiled in investigation gets projects worth crores

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार विभागों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में नाकाम रही है। वहीं भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर मलाईदार पदों पर काबिज होने में कामयाब हो रहे हैं। सरकार पर प्रशासनिक मशीनरी कितनी हावी है ये इसका उदाहरण है।

बीते कुछ सालों में लोक निर्माण विभाग में घपलों-घोटालों के आरोपों में घिरे रहे अफसरों पर सरकार की मेहरबानी का आलम ये है कि उन्हें कमाई के भरपूर मौके दिए जा रहे हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ लंबित जांचों को नजरअंदाज कर उन्हें बड़े प्रोजेक्टों का दायित्व भी सौंपा जा रहा है। 

जांच के बीच दोहरे दायित्व

दागी अफसरों पर सरकार कितनी मेहरबान है इसे पीडब्लूडी के अधिकारियों को दायित्व सौंपने के उदाहरणों से समझा जा सकता है। लोक निर्माण विभाग की सेतू इकाई में कार्यरत चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा को हाल ही में विभाग द्वारा 46 से ज्यादा आरओबी और फ्लाईओवर बनवाने का जिम्मा सौंपा गया है।

ये निर्माण कार्य करीब दो हजार करोड़ की लागत से होने हैं। वर्मा को ये महत्वपूर्ण दायित्व तब सौंपे गए हैं जबकि उन पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी के आरोप लग चुके हैं। उनके विरुद्ध 83 करोड़ के घपले का आरोप पत्र भी दिया जा चुका है। 

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टेंडर में नियमों की अनदेखी

चीफ इंजीनियर वर्मा को मिले इस दोहरे दायित्व से भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वर्मा पर इंदौर में मुख्य अभियंता (भवन) रहते हुए जिला न्यायालय के 83 करोड़ के भवन निर्माण के आर्थिक गड़बड़ी के आरोप लग चुके हैं। उनके विरुद्ध निर्माण एजेंसी को टेंडर की शर्तों की अनदेखी कर काम देने की भी जांच चल रही है।

उनकी शिकायतें सीएम हाउस भी पहुंच चुकी हैं। इस मामले में वर्मा ने जिस आधार पर टेंडर स्वीकृत किया था उसमें कंपनी द्वारा लगाए गए कई दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। इसके बाद कंपनी को तो ब्लैक लिस्ट कर दिया गया लेकिन विभाग में वर्मा की पहुंच अब भी उन्हें मजबूत बनाए हुए है।  

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नुकसान के बाद भी मेहरबानी

तकनीकी अधिकारी की मनमानी  और करोड़ों का भ्रष्टाचार कई प्रोजेक्ट में सरकार को करोड़ों की चपत लगा चुका है। इसके बाद भी वे अपनी पहुंचे के चलते लगातार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हासिल करने में कामयाब रहे हैं।

हाल ही में वर्मा को उज्जैन में शिप्रा नदी पर23.48 करोड़ की लागत वाले फोरलेन पुल, नरसिंह घाट पर 10.53 करोड़ का पुल, 17.32 करोड़ की लागत से फोरलेन लालपुर, उज्जैन-मक्सी मार्ग पर पर 52.03 करोड़ की लागत से टू-लेन आरओबी, उज्जैन-लालपुर के बीच 46.52 करोड़ के पंचक्रोशी आरओबी, हरिफाटक पार्किंग से महाकाल लोक मार्ग पर 49.50 करोड़ से अंडरपास, छत्री से चौराहे के बीच 67.27 करोड़ की लागत से फोरलेन पुल, शाजापुर मार्ग पर 152 करोड़ की लागत से दो उच्चस्तरीय पुलों के निर्माण सहित मानिकपुर रेल लाइन पर 23.53 करोड़ की लागत के ओवरब्रिज के निर्माण सहित कई प्रोजेक्ट सौंपे गए हैं।  

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