संजय गुप्ता @ INDORE
उद्योगों के लिए शिवराज सरकार ( shivraj government ) के समय जमकर क्लस्टर योजना का ढिंढोरा पीटा गया। तत्कालीन एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ( MSME minister Omprakash Sakhalecha ) ने इसके लिए इंदौर सहित कई शहरों में बड़े होटलों में खूब बैठक की और प्रेजेंटेशन दिया। बताया गया कि 64 क्लस्टर प्रदेश में बनेंगे और एक लाख से अधिक को सीधा रोजगार मिलेगा, लेकिन अन्य सरकारी योजनाओं की तरह इसने भी दम तोड़ दिया।
उद्योग मंत्री सखलेचा ने इंदौर के होटल में यह बोला था
तीन साल पहले उद्योग मंत्री सखलेचा ने इस योजना को लाते समय इंदौर के एक होटल में आयोजन रखा। इसमें उन्होंने कहा कि- हम उद्योगों के लिए क्लस्टर योजना लागू कर रहे हैं, इसमें उद्योगों को ही एसपीवी बनाकर कच्ची जमीन दी जाएगी, वह खुद डेवलप करेंगे और उद्योग लगाएंगे, अभी जमीन विकसित, आवंटित करने में इतना लंबा समय लगता है कि उद्योग खुल ही नहीं पाते। हमारी इस योजना से तीन साल में तो उद्योग शुरू हो जाएंगे।
निजी क्लस्टर को खुद का ही बताने में जुटे रही सरकार
सरकार ने 1 लाख युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए प्रदेश में 64 क्लस्टर विकसित करने की योजना बनाई है। इसमें 42 क्लस्टर सरकार और निजी स्तर पर तैयार किए जाने हैं, जबकि 22 केंद्र की योजना के तहत। इसी के तहत इंदौर जिले में भी 11 सरकारी और 18 निजी क्लस्टर बनाने पर सहमति बनी थी। इसमें निजी तो बन गए या उन पर काम चल रहा है, जिसे सरकार अपनी उपलब्धि बताती रही लेकिन वास्तव में खुद सरकार का एक भी क्लस्टर पूरा नहीं हुआ। इसमें जमीन की अड़चन सबसे ज्यादा रही।
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यह हैं क्लस्टर के हाल
- फुटवेयर क्लस्टर- एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री ने जमीन मांगी है, पीथमपुर सेक्टर 7 में जमीन की तलाश है। अभी जमीन फाइनल नहीं।
- फार्मा क्लस्टर : महू के समीप कदवाली में प्रस्तावित है। 90 एकड़ जमीन मांगी गई है। 200 छोटी-बड़ी यूनिट के माध्यम से 100 करोड़ निवेश आएगा और 1500 लोगों को रोजगार मिलेगा। अभी तक जमीन के ही पते नहीं।
- प्लास्टिक क्लस्टर : इंदौर के समीप धन्नड़ गांव में प्रस्तावित है। प्लास्टिक मटेरियल निर्माण इकाइयां यहां लगाई जाना थीं। 30 एकड़ जमीन मांगी है। 60 यूनिट से 200 करोड़ का निवेश मिलेगा। 2000 से ज्यादा रोजगार मिलेंगे। जमीन नहीं है।
- फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर : इंदौर के पास ही रंगवासा गांव में बनना है। 100 एकड़ जमीन पर बनने वाले इस क्लस्टर में 100 से 150 फूड प्रोसेसिंग इकाइयां लगना हैं। यहां टेस्टिंग लैब और मल्टी स्टोरी मॉडल भी बनना है। 2000 रोजगार मिलेंगे। जमीन की प्रक्रिया चल ही रही है।
- टॉय क्लस्टर : रंगवासा के समीप 10 एकड़ जमीन पर प्लान है। इसमें 20 से 25 यूनिट लगना है। 70 करोड़ का निवेश मिलेगा। 3400 लोगों को रोजगार। एसपीवी बन गई। जमीन पर विवाद कोर्ट में विचाराधीन।
- फर्नीचर क्लस्टर : धार रोड पर बेटमाखुर्द के पास 190 हेक्टेयर जमीन पर प्रस्तावित। 200 यूनिट लगेंगी। 600 करोड़ का निवेश आएगा। 10000 से ज्यादा रोजगार मिलेंगे। जमीन में वन विभाग का मुद्दा आ रहा है।
- मल्टी प्रोडक्ट क्लस्टर : यह मालीखेड़ी और पीथमपुर के समीप खंडवा गांव में प्रस्तावित है। 50 एकड़ जमीन पर बनेंगे। जमीन का ही विवाध
- ई व्हीकल व बैटरी क्लस्टर : ऑटो शो के दौरान 100 एकड़ में ऑटोमोबाइल क्लस्टर 1 बनाने की घोषणा हुई है। इसे बेटमा में बनाएंगे। इसमें ई व्हीकल और इनके पार्ट व बैटरी निर्माण भी होगा। इसके लिए भी जमीन की कवायद चल रही है।
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कमलनाथ का क्लस्टर ही आया धरातल पर
कमलनाथ सरकार के समय पहला क्लस्टर बनाने की प्रक्रिया हुई थी, राऊ में कनफेक्सनरी क्ल्स्टर। इसमें उनके समय ही जमीन आंवटित हो गई। सरकार बदल गई और मामला धीमे हो गया। हालांकि कई कंपनियों ने यहां प्लाटं शुरू कर दिए हैं, कुछ काम बाकी है। लेकिन यही इकलौता क्लस्टर है जो कुछ हद तक धरातल पर है।