सीएम ने मकवाना को दिए 10 में से 10 नंबर, अब DGP के लिए दावेदारी

ईमानदार IPS अफसरों में शामिल कैलाश मकवाना की सीआर लोकायुक्त संगठन ने खराब कर दी थी। सीएम मोहन यादव के यहां लोकायुक्त की ओर से दी गई दलीलें टिक नहीं सकीं। आइए आपको बताते हैं कि क्या था पूरा मामला और कैसे मिली IPS अफसर मकवाना को जीत...

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Marut raj
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भोपाल. सीनियर आईपीएस अफसर कैलाश मकवाना के लिए अच्छी खबर है। सीएम ने उनकी इमानदारी को 10 में से 10 नंबर दिए हैं। यह मकवाना के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि लोकायुक्त ने उनकी सीआर को खराब कर दिया था। मकवाना ने भी सीआर खराब करने के पीछे मेलाफाइड इंटेशन ( दुर्भावनापूर्ण सोच ) बताया था। अब सीनियर आईपीएस अफसर कैलाश मकवाना DGP के लिए दावेदारी कर सकते हैं। इसी साल के अंत तक एमपी के डीजीपी सुधीर सक्सेना का रिटायरमेंट होना है। ज्ञात हो कि सीनियर आईपीएस मकवाना की छवि एक ईमानदार अफसर की है और उन्हें रिजल्ट देने वाला अफसर माना जाता है। जिस समय उनकी सीआर को खराब करने की कोशिश की गई थी , उस समय भी आईएएस और आईपीएस सर्कल में इसे लेकर सवाल उठाए गए थे। मकवाना को मिली राहत प्रदेश के उन ईमानदार अफसरों के लिए अच्छी खबर है, जिन्हें इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मकवाना की जीत लोकायुक्त को भी एक बड़ा झटका है।

यहां से बिगड़ा मामला

रीवा के एक डॉक्टर के खिलाफ स्थानीय लोकायुक्त पुलिस ने आय से अधिक संपत्ति का फर्जी मामला बनाया था। बाद में यह मामला 7 साल तक पैंडिंग रहा। सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त संगठन ने इस मामले को खोलकर डॉक्टर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने को कहा। इस पर तत्कालीन लोकायुक्त डीजी मकवाना ने इनकार कर दिया। मकवाना का कहना था कि ये शिकायत 7 साल से पैंडिंग है। इसमें एक बार भी जांच नहीं की गई। ऐसे में बिना जांच के किसी के खिलाफ प्रकरण बनाना ठीक नहीं है। मकवाना ने इस मामले की जांच करवाई तो वो शिकायत झूठी मिली और डॉक्टर को क्लीनचिट मिल गई। इसके बाद से लोकायुक्त और डीजी मकवाना में ठन गई। इसके बाद रोजाना के काम काज को लेकर आए दिन तनातनी होने लगी। सूत्र ये भी बताते हैं कि लोकायुक्त ने तत्कालीरन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहकर 6 माह में ही मकवाना को लोकायुक्त डीजी पद से हटवा दिया।

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मकवाना ने अपने जवाब में लोकायुक्त पर लगाए गंभीर आरोप

मकवाना ने सरकार को दिए गए रिप्रजेंटेशन में कहा कि जिन शिकायतों का आधार बनाकर सीआर खराब की उसके दस्तावेज लोकायुक्त संगठन उन्हें नहीं दे रहा है। मकवाना का दावा था कि जिन शिकायतों का जिक्र लोकायुक्त ने किया है, उनमें से एक में भी उन्होंने खात्मा नहीं लगाया। सरकार चाहे तो शिकायतें बुलाकर कर सकती है सत्यता की जांच।

मकवाना ने अपने रिप्रजेंटेशन में कहा कि 35 साल की सर्विस ईमानदारी से की। हर बार सीआर में 10 अंक मिले, व्यक्तिगत रंजीश और चिढ़ निकालने के लिए जानबुझकर 6 नंबर देकर सीआर खराब की। इतने सालों के ईमानदारी वाले करियर पर दाग लगाने का प्रयास किया। 

लोकायुक्त को झटका 

मकवाना की जीत लोकायुक्त के लिए भी बड़ा झटका है, क्योंकि लोकायुक्त ने उनके खिलाफ एक पूरा प्रकरण तैयार कर रखा था। लोकायुक्त की ओर से सीएम मोहन यादव के सामने जो दलीलें दी गई थीं, वह एक भी नहीं टिक सकीं। लोकायुक्त के तमाम तर्क फैल हो गए और  मकवाना को दस में से दस नंबर मिले।

गेंद सीएम मोहन के पाले में थे

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इस मामले की गेंद मुख्यमंत्री मोहन यादव के पाले में चली गई थी। सीएम ने मकवाना को 10 में से 10 नंबर दिए हैं। इसके बाद उनकी सीआर ए प्लस ग्रेड की हो गई है। इसके बाद अब मकवाना डीजीपी पद के लिए भी दावेदारी कर सकते हैं, जो कि इस साल के अंत तक खाली हो रहा है। 

लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल 22 अक्टूबर तक

लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल 23 अक्टूबर 2023 को पूरा हो चुका है। सरकार ने 2015 में लोकायुक्त एक्ट 1981 की धारा 5 में संशोधन किया था कि नए लोकायुक्त की नियुक्ति तक कार्यकाल पुरा होने के बाद भी पुराने लोकायुक्त बने रह सकते हैं, लेकिन ये बढ़ी हुई अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं होगी। अब ऐसे में एनके गुप्ता 22 अक्टूबर 2024 तक इस पद पर रह सकते हैं, लेकिन यदि मोहन सरकार नए लोकायुक्त की नियुक्ति कर देती है तो वे इससे पहले भी हट सकते हैं। 

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