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BHOPAL. मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा में मनमानी और अनुशासनहीनता का रवैया किसी से छिपा नहीं है। सरकारी कॉलेजों में प्रबंधन की मनमर्जी इतनी बढ़ गई है कि अब CM Helpline को अनदेखा किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा विभाग की हिदायतों के बावजूद कॉलेज प्रबंधन में सुधार नहीं हो रहा है। इसका खामियाजा छात्रों और शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है। कॉलेजों की बेरुखी के कारण उनकी समस्याएं हल नहीं हो रही हैं। कॉलेजों ने सीएम हेल्पलाइन जैसी व्यवस्था को भी लाचार बना दिया है।
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बेरुखी से अटका शिकायतों का समाधान
सीएम हेल्पलाइन मध्य प्रदेश में सरकारी सेवाओं को सुनिश्चित करने वाली व्यवस्था है। इस पर दर्ज शिकायतों का समाधान करने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं सीएम सचिवालय भी इन शिकायतों पर नजर रखता है। जिससे यहां दर्ज शिकायतों के आधार पर लोगों को उनकी परेशानियों से निजात मिल सके। सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों का समयबद्ध समाधान जरूरी है। इसके लिए विभागवार हर माह ग्रेडिंग जारी की जाती है।
सीएम हेल्पलाइन को लेकर संजीदा नहीं प्राचार्य
उच्च शिक्षा विभाग बीते महीनों में सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों के समाधान में पिछड़ रहा है। इस वजह से विभाग की ग्रेडिंग भी कमजोर होती जा रही है। यही ग्रेडिंग सीएम हेल्पलाइन के प्रति विभागीय संजीदगी को उजागर कर रही है।
प्रदेश में 571 सरकारी कॉलेज हैं। इनमें अध्ययनरत हजारों छात्र, नियमित शिक्षक और गेस्ट फैकल्टी अपनी संस्थागत समस्याओं को सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज कराते हैं। यानी सीएम हेल्पलाइन वह माध्यम है जहां शिकायत दर्ज कराने पर छात्र-शिक्षकों को निराकरण की उम्मीद होती है। लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है।
पोर्टल को नियमित नहीं किया जा रहा लॉग इन
सीएम हेल्पलाइन पर आ रही शिकायतों की कॉलेज स्तर पर अनदेखी का उच्च शिक्षा विभाग पर भी असर पड़ रहा है। इसको लेकर उच्च शिक्षा विभाग चिंता में डूबा हुआ है। कई कॉलेजों में सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें नियमित रूप से नहीं देखी जा रही हैं। वहीं कई कॉलेज प्राचार्य इनके निराकरण पर ध्यान ही नहीं देते। प्रदेश स्तर पर ग्रेडिंग में विभाग के पीछे रहने पर कॉलेजों को तीन माह से रिमाइंडर भेजे जा रहे हैं।
17 जिलों के कॉलेजों से विभाग पिछड़ा
सरकारी कॉलेजों द्वारा सीएम हेल्पलाइन की अनदेखी की स्थिति विभाग द्वारा जारी मासिक ग्रेडिंग लिस्ट उजागर कर रही है। जिला वार ग्रेडिंग में ग्वालियर, रीवा, मंडला, आगर मालवा, शाजपुर, विदिशा, गुना, मऊगंज, भोपाल, धार, छतरपुर जिले C ग्रेड में हैं। सीधी, सतना, दमोह, सिंगरौली, भिंड और उमरिया जिले D ग्रेड में हैं। इन 17 जिलों के कॉलेजों ने सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों की अनदेखी की है। इसका असर उच्च शिक्षा विभाग पर पड़ा है। इस कारण विभाग नवम्बर माह में C कैटैगरी में आया है।
केवल 35 फीसदी शिकायतों का ही समाधान
सीएम हेल्पलाइन पर प्रदेश के 55 जिलों के कॉलेजों को 3106 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इनमें से शिकायतकर्ता की संतुष्टि के साथ केवल 35.51 शिकायत ही निराकृत की गई हैं।
9.58 शिकायतें शिकायतकर्ता की इच्छा या असंतुष्टि के बावजूद बंद की गईं। संतुष्टि के साथ बंद शिकायतों का आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा होना चाहिए। इस वजह से नवम्बर माह में उच्च शिक्षा विभाग को C ग्रेड में रहना पड़ा है।
सीएम हेल्पलाइन देखने की नहीं फुर्सत
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के सभी कॉलेजों को सीएम हेल्पलाइन की अनदेखी न करने की हिदायत दी गई है। इसके बावजूद कॉलेज प्राचार्य विभाग के निर्देश को लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहे हैं।
खरगोन के अग्रणी कॉलेज की प्राचार्य डॉ.सुमित्रा वास्कले ने महीनों से सीएम हेल्पलाइन पोर्टल ही लॉग इन नहीं किया। उमरिया के प्राचार्य डॉ. सीबी सोदिया ने 7 नवंबर को लॉग इन किया। श्योपुर के प्राचार्य डॉ. ओपी शर्मा ने 1 दिसंबर को लॉग इन किया। सागर के प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता ने 5 दिसंबर को लॉग इन किया।
गुना के प्राचार्य डॉ. बीके तिवारी ने 6 दिसंबर को लॉग इन किया। खरगौन के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र कुमार यादव ने 9 दिसंबर को लॉग इन किया। नर्मदापुरम के प्राचार्य डॉ. कामनी जैन ने 9 दिसंबर को लॉग इन किया। बुरहानपुर के प्रभारी प्राचार्य डॉ. मनीषा साकल्ले ने 10 दिसंबर को लॉग इन किया।
इंदौर के प्राचार्य डॉ. अशोक सचदेवा, छिंदवाड़ा के प्राचार्य डॉ. वायके शर्मा, भोपाल के प्राचार्य डॉ. अनिल शिवानी और रायसेन के प्राचार्य डॉ. विनोद सेंगर ने 11 दिसंबर को लॉग इन किया। इसके बाद इन प्राचार्यों ने गंभीर शिकायतों को देखना जरूरी नहीं समझा।
छात्र और शिक्षकों की शिकायतों की अनदेखी
छात्र अपनी अध्ययन संबंधी समस्याओं की अनदेखी पर सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराते हैं। गेस्ट फैकल्टी और नियमित शिक्षक भी प्रबंधन की बेरुखी के कारण शिकायत करते हैं। इन सभी को पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर समस्या का समाधान चाहिए। कॉलेज प्रबंधन की तरफ से पोर्टल न खोलने से ये छात्र और शिक्षक ठगे महसूस कर रहे हैं।
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