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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के मामले में सीएम मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए। सीएम के निर्देश के बाद विभाग ने वर्मा की बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र को भेजने की तैयारी शुरू की। वर्मा को उप सचिव कृषि विभाग से हटाकर जीएडी पूल में अटैच किया गया।
मुख्यमंत्री के निर्देश के सामान्य प्रशासन विभाग ने दिए ये आदेश
1. राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस के लिए पदोन्नति फर्जी और जाली आदेशों पर आधारित है। विभिन्न न्यायालयों में आपराधिक प्रकरण लंबित हैं। फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आधार पर आईएएस की पदोन्नति ली गई। इसलिए, आईएएस से बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है।
2.वर्मा के खिलाफ जाली दस्तावेजों पर विभागीय जांच अंतिम स्तर पर है। कारण बताओ सूचना पत्र का वर्मा का जवाब संतोषजनक नहीं है। वर्मा द्वारा लगातार मर्यादा विहीन वक्तव्य दिए जा रहे हैं। इसलिए उन्हें चार्जशीट जारी करने का निर्णय लिया गया।
3. राज्य शासन ने वर्मा को उप सचिव कृषि विभाग से हटाकर जीएडी पूल में बिना विभाग और कार्य के अटैच करने का निर्णय लिया।
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सवर्ण संगठनों के निशाने पर थे वर्मा
वर्मा पहले ही ब्राह्मण समाज और सवर्ण संगठनों के निशाने पर थे। हाईकोर्ट पर टिप्पणी के बाद विरोध और बढ़ गया। संगठनों का आरोप है कि एक वरिष्ठ अफसर संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा तोड़ रहे हैं। सरकार कार्रवाई से बच रही है। इसी कारण सवर्ण समाज ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास घेराव की तैयारी शुरू कर दी है।
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क्या था संतोष वर्मा का विवादित बयान
भोपाल के अंबेडकर मैदान में 23 नवंबर को अजाक्स का प्रांतीय सम्मेलन हुआ था। इसमें आईएएस संतोष वर्मा को संघ का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद वर्मा ने कहा कि जब तक कोई ब्राह्मण उनकी बेटी से संबंध नहीं बनाता, आरक्षण जारी रहना चाहिए। मंगलवार को वर्मा का दूसरा वीडियो सामने आया। इसमें उन्होंने कहा कि कितने संतोष वर्मा को मारोगे, जलाओगे, निगल जाओगे? वर्मा ने कहा कि अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा।
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सिविल जज क्यों नहीं बन सकता
अजाक्स सम्मेलन में आईएएस वर्मा ने कहा कि हाल ही में हुए एग्जाम में एससी-एसटी वर्ग के लोग सिलेक्ट नहीं हुए। उन्होंने पूछा कि हमारे समाज का व्यक्ति आईएएस, आईपीएस, डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी बन सकता है। लेकिन सिविल जज क्यों नहीं बन सकता। वर्मा ने कहा कि क्लैट और एलएलबी, एलएलएम करने के बाद भी एससी-एसटी उम्मीदवार सिविल जज नहीं बन सकते। उनका आरोप था कि सिविल जज की परीक्षा में 50 प्रतिशत भी पास नहीं कर सकते।
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इंटरव्यू में 20 की जगह 19.5 नंबर दिए गए
वर्मा ने कहा कि कट ऑफ मार्क्स 50 प्रतिशत रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 49.95 नंबर दिए गए, 50 नहीं। वर्मा ने कहा कि इंटरव्यू में 20 की जगह 19.5 नंबर दिए गए। उन्होंने सवाल किया, "कौन सिविल जज बनाएगा हमारे बच्चों को?" वर्मा ने कहा कि यह कौन सा आरक्षण और नियम है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब हाईकोर्ट कर रहा है। यही वही हाईकोर्ट है, जिससे हमें न्याय की उम्मीद है।
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