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भोपाल के ऐशबाग इलाके में बना रेलवे ओवरब्रिज (ROB) अब खामियों के कारण चर्चा का विषय बन गया है। सीएम मोहन यादव ने खुद इस ब्रिज का उद्घाटन करने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक ब्रिज के 90 डिग्री मोड़ को सही नहीं किया जाता, तब तक उसका लोकार्पण नहीं होगा।
इस फैसले के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें। साथ ही, मोड़ को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाएं। सीएम ने यह भी कहा है कि जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह समस्या उत्पन्न हुई है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ब्रिज की डिजाइन पर उठे सवाल
भोपाल के 90 डिग्री ओवरब्रिज की डिजाइन को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए गए। इसके बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने इसकी जांच का आदेश दिया। वहीं नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने इसका निरीक्षण किया। इन्होंने पाया कि टर्निग रेडियस के कारण इस ब्रिज पर बड़े हादसे का खतरा हो सकता है।
मौत का मोड़ - कांग्रेस
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने ब्रिज को ‘मौत का मोड़’ करार दिया। कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने कहा कि यह ब्रिज भविष्य में दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। वहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि इसका डिजाइन पहले से ही तैयार था। एनएचएआई ने इस पर जांच की है। अब रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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18 करोड़ रुपए का है प्रोजेक्ट
यह रेलवे ओवरब्रिज 18 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है। 2017-18 में इसका स्वीकृत हुआ था और इसे 648 मीटर लंबा तथा 8 मीटर चौड़ा बनाया जा रहा है। लेकिन इसका काम छह साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। जनवरी 2023 में रेलवे और पीडब्ल्यूडी ने इसके डिजाइन को अंतिम रूप दिया था और इस पर काम शुरू किया गया था।
ब्रिज के सभी खर्चो का लिया जाएगा हिसाब
पीडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि सीएम ने दो प्रमुख निर्देश जारी किए हैं। पहला, 2018-19 और 2020-21 के दौरान इस परियोजना पर निगरानी रखने वाले अधिकारियों की पहचान की जाएगी। साथ ही इसके डिजाइन की स्वीकृति देने वाले को स्पष्ट किया जाएगा। इसके लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। दूसरा, रेलवे से समन्वय करके ब्रिज की मरम्मत के लिए आवश्यक सभी खर्चो का हिसाब लिया जाएगा और उसे स्वीकृत किया जाएगा।
आखिर जिम्मेदार कौन?
संजय खांडे, जो उस समय चीफ इंजीनियर (सेतु) थे, उन्होंने इस ब्रिज की डिजाइन को स्वीकृति दी थी। उन्होंने अगस्त 2020 से जून 2024 तक इसके निर्माण पर निगरानी रखी। इसके बाद, जीपी वर्मा ने इनकी जगह ली और अब तक ब्रिज का निर्माण चल रहा है।
वहीं, जावेद शकील, जो उस समय कार्यपालन यंत्री थे, के कार्यकाल में ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ। इसके बाद उनकी रिटायरमेंट के बाद इसे शबाना रज्जाक के अधीन कर दिया गया। शबाना रज्जाक वर्तमान में इस ब्रिज की प्रभारी एक्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं।
सुधार के लिए विशेषज्ञों का सुझाव
विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिज के डिजाइन को सुधारने के लिए टर्निग रेडियस को बढ़ाना होगा। इसके लिए ब्रिज की चौड़ाई को 10 मीटर से बढ़ाकर 12.50 मीटर करना होगा। इसके लिए ब्रिज की दीवारों को तोड़कर अतिरिक्त स्लैब बिछाए जाएंगे। इसके लिए रेलवे की सहमति जरूरी होगी, क्योंकि दीवार तोड़ने और चौड़ाई बढ़ाने के लिए रेलवे के जबलपुर स्थित जोन कार्यालय से स्वीकृति लेना होगी।
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