मुख्यमंत्री कार्यालय ने की बड़ी लापरवाही, रेरा अध्यक्ष की नियुक्ति रद्द करने के मामले में सरकार की हुई किरकिरी

राज्य सरकार ने कल देर रात आदेश जारी कर प्रदेश सभी निगम-मंडल-प्राधिकरणों में नियु​क्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं संचालक मंडल की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। आनन-फानन में की गई इस कार्यवाही में मुख्यमंत्री कार्यालय की बड़ी लापरवाही उजागर हुई।

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Pratibha Rana
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मुख्यमंत्री कार्यालय की बड़ी लापरवाही

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हरीश दिवेकर, BHOPAL. राज्य सरकार( Mohan government ) ने कल देर रात आदेश जारी कर प्रदेश सभी निगम-मंडल-प्राधिकरणों में नियु​क्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं संचालक मंडल की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। आनन-फानन में की गई इस कार्यवाही में मुख्यमंत्री कार्यालय की बड़ी लापरवाही उजागर हुई। निगम मंडल-प्राधिकरण और बोर्ड की सूची में मध्यप्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण यानी रेरा( RERA) का भी नाम है। जबकि ये ना तो राजनीतिक नियुक्ति है और ना ही मुख्यमंत्री को इन्हें हटाने का अधिकार। मजे की बात ये है कि मुख्यमंत्री सचिवालय से आए फरमान को मुख्य सचिव वीरा राणा ने भी बिना देखे परखे ऐसे ही आगे बढ़ा दिया, जिसके चलते अब सरकार की किरकिरी हो रही है। 

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रेरा अध्यक्ष को ऐसे नहीं हटाया जा सकता ?

मुख्यमंत्री मोहन यादव( chief-minister-mohan-yadav) ने अपने अफसरों से कहा कि लोकसभा चुनाव(Lok Sabha elections) से पहले सभी निगम-मंडल-प्राधिकरण-बोर्ड की नियुक्तियां रद्द की जाएं, जिससे चुनाव बाद में नए सिरे से नियुक्तियां की जा सकें। मोहन यादव के फरमान के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से इस संबंध में मुख्यसचिव वीरा राणा को एक पत्र जारी होता है, जिसमें सभी संबंधित कार्यालयों से इसका पालन कराने का कहा जाता है। मुख्यसचिव ने मुख्यमंत्री की नोटशीट को आधार बनाकर सभी कार्यालय को तत्काल प्रभाव से निगम मंडल की नियुक्तियां निरस्त करने के निर्देश दिए। इसके बाद सभी विभागों ने अपने अधिनस्थ निगम-मंडल-बोर्ड की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए। लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से आई सूची में 27 नंबर पर नाम देखा तो उनका माथा ठनका। इसके बाद नियम-कायदे खंगाले गए तो पता चला कि रेरा अध्यक्ष को ऐसे नहीं हटाया जा सकता। 

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रेरा अध्यक्ष को हटाने के ये नियम

रेरा एक्ट की धारा 26 कहती है कि रेरा के अध्यक्ष को तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें कोर्ट से सजा मिली हो या दिवालिया घोषित किया गया हो। इसके अलावा रेरा अध्यक्ष के खिलाफ कोई गंभीर आरोप हो और उसकी जांच सिटिंग जस्टिस से कराने के बाद आरोप सिद्ध होने पर ही अध्यक्ष को हटाया जा सकता है। या फिर तीसरा विकल्प है कि रेरा अध्यक्ष खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे दें। इन ​तीन विकल्पों के अलावा और किसी कारण के चलते रेरा अध्यक्ष को कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाया नहीं जा सकता। मामले की जानकारी मिलने के बाद सरकार इस पूरे मामले को रफा दफा करने में लग गई है। वहीं रेरा अध्यक्ष एपी श्रीवास्तव इस बात से खफा हैं कि अफसरों की लापरवाही के चलते उन्हें हटाने की खबर मीडिया में चल रही है। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। 

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डिसा को भी गलत तरीके से हटाया था

तत्कालीन शिवराज सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव अंटोनी डिसा को रेरा अध्यक्ष बनाया था, लेकिन बाद में तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से पटरी ना बैठने के कारण उन्हें गलत तरीके से हटाने के आदेश जारी कर दिए थे, जोकि एक्ट के खिलाफ थे। हालांकि डिसा ने सरकार के इस फैसले का विरोध नहीं किया। डिसा ने द सूत्र को बताया कि उन्हें एक्ट के प्रावधान के विपरीत जाकर हटाने की कार्रवाई की गई थी। वे चाहते तो कोर्ट में चैलेंज करके सरकार के इस आदेश को खारिज करा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।  

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अब जानिए रेरा क्या होता है?

रेरा का पूरा नाम रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 है। यह कानून भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने और घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था।

रेरा के प्रमुख उद्देश्य:

  • पारदर्शिता: बिल्डरों को परियोजनाओं के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करानी होगी।
  • जवाबदेही: बिल्डरों को परियोजनाओं में देरी या धोखाधड़ी के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण: घर खरीदारों को अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं से बचाया जाएगा।

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रेरा अन्य उद्देश्य:

  • रियल एस्टेट डेवलपर्स को पंजीकृत करना और उनके द्वारा किए जाने वाले लेनदेन को विनियमित करना।
  • खरीदारों को परियोजनाओं के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करना।
  • डेवलपर्स द्वारा समय पर परियोजनाओं को पूरा करने को सुनिश्चित करना।
  • खरीदारों और डेवलपर्स के बीच विवादों के निपटान के लिए एक तंत्र प्रदान करना।

रेरा के कुछ मुख्य प्रावधान:

  • बिल्डरों को अपनी परियोजनाओं को रेरा के साथ पंजीकृत करना होगा।
  • बिल्डरों को परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी, जैसे कि निर्माण योजना, समयसीमा और मूल्य निर्धारण, रेरा की वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी।
  • बिल्डरों को घर खरीदारों से केवल 70% तक एडवांस राशि लेने की अनुमति है।
  • बिल्डरों को परियोजनाओं को समय पर पूरा करना होगा।
  • यदि बिल्डर परियोजना को समय पर पूरा नहीं करते हैं, तो वे घर खरीदारों को मुआवजा देने के लिए बाध्य होंगे।

रेरा के लाभ:

  • घर खरीदारों के लिए अधिक जानकारी और पारदर्शिता।
  • बिल्डरों की जवाबदेही में वृद्धि।
  • उपभोक्ता संरक्षण में सुधार।

रेरा का प्रभाव:

  • रेरा कानून ने रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार किया है।
  • इस कानून ने खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाने में मदद की है।
  • रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।

 

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