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hospital Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा में राज्य के डिप्टी सीएम स्वास्थ्य सेवाएं चचाक चौबंद होने का दावा कर रहे हैं। वहीं राजधानी के अस्पतालों से डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी गायब हैं। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकारी अस्पतालों से डॉक्टरों के गायब रहने का मामले ने विभाग में खलबली मचा दी है।
लचर व्यवस्था को लेकर विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। सीएमएचओ के निरीक्षण में अस्पतालों की इस स्थिति के बाद 9 डॉक्टर सहित 32 स्वास्थ्यकर्मियों को शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं।
अस्पताल में नहीं डॉक्टर-कर्मचारी
सरकारी अस्पतालों में एक ओर तो डॉक्टरों की कमी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग कई प्रयोग करने के बाद भी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं कर पा रहा है। बीते महीने ही ग्रामीण अस्पतालों में डॉक्टरों की भर्ती के लिए पोर्टल खोला गया था लेकिन अब तक इसके माध्यम से भी अस्पतालों को डॉक्टर नहीं मिल पाए हैं।
ज्यादातर अस्पतालों में अभी तक पद खाली पड़े हैं। सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं जिला अस्पतालों में भी विशेषज्ञों की कमी है। महिला डॉक्टर न होने से प्रसव जैसे मूलभूत सुविधा के लिए अब भी महिलाओं को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है।
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सदन में किए दावों की हकीकत
स्वास्थ्य सेवाओं में कमी और अस्पतालों में अव्यवस्थाओं को लेकर मानसून सत्र के दौरान विधायकों द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रश्न उठाए जा चुके हैं। जिनके जवाब में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने सरकार के प्रयास गिनाते हुए खूब दावे किए हैं। सरकार की ओर से किए गए इन दावों को अभी दो दिन ही बीते हैं कि सीएमएचओ डॉ.मनीष शर्मा के निरीक्षण ने हकीकत को उजागर कर दिया है।
सीएमएचओ की टीम जब निरीक्षण करने गोविंदपुरा, हथाईखेड़ा जैसे सरकारी अस्पताल पहुंची तो वहां डॉक्टर ही नहीं मिले। स्थानीय लोगों ने भी डॉक्टरों के साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों के गायब रहने की पुष्टि की गई। वहीं लोगों ने डॉक्टरों के गायब रहने की वजह से निजी अस्पतालों में इलाज कराने की मजबूरी पर भी ध्यान आकर्षित कराया है।
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गरीब तबके से दूर स्वास्थ्य सेवाएं
गोविंदपुरा और हथाईखेड़ा सिविल अस्पताल के दायरे में सघन आबादी वाले क्षेत्र आते हैं। इन दोनों अस्पतालों पर दो लाख से ज्यादा लोग इलाज के लिए निर्भर हैं और बड़ा तबका मजदूर और गरीब वर्ग से हैं।
कर्मचारियों के गायब रहने की शिकायत पर जब सीएमएचओ की टीम जांच करने गोविंदपुरा भोपाल और हथाईखेड़ा पहुंची तो वहां 23 कर्मचारी और 9 डॉक्टर भी गायब थे। अस्पताल से डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के गायब रहने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित कर कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
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