मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण ने मंगलवार को संविदा पर चयनित 11 में से चार क्षेत्रीय मुख्य महाप्रबंधकों के पदस्थापना आदेश जारी किए। दो अन्य इंजीनियरों की सेवाएं उनके मूल विभाग आरईएस को सौंपी गईं। संविदा सीजीएम की भर्ती शुरू से विवादित रही। खास बात यह है कि सबसे विवादित एक संविदा सीजीएम को दो संभागों की जिम्मेदारी दी गई है।
प्राधिकरण की ओर से मंगलवार को जारी आदेशानुसार, सुनील वर्मा को क्षेत्रीय कार्यालय ग्वालियर व सागर,ओपी दशोरा को सिर्फ उज्जैन,एमएल डाबर को इंदौर के साथ भोपाल व मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से रिटायर्ड एफ जे खान को क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर के अलावा रीवा क्षेत्रीय कार्यालय का दायित्व भी सौंपा गया।
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6 को इंतजार, 2 को मूल विभाग में भेजा
चयनित 11 में आधा दर्जन अन्य संविदा सीजीएम को पदस्थापना का इंतजार है। बताया जाता है कि उनके मूल विभाग से एनओसी नहीं मिलने के कारण उनकी पदस्थापना रोकी गई। जबकि एक अन्य चयनित अधिकारी पीके गुप्ता को उनके मूल विभाग आरईएस में भेजा गया। गुप्ता की तरह अब तक 5 क्षेत्रीय कार्यालय सागर,ग्वालियर,उज्जैन,इंदौर व रीवा में सीजीएम का दायित्व संभाल रहे सीएम अहिरवार की सेवाएं भी वापस आरईएस को सौंपी गई। अहिरवार चार्ज देने के बाद आरईएस में लौटेंगे,जबकि गुप्ता को तत्काल प्रभाव से वापस किया गया है।
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अनुभवहीनों के हाथ ग्रामीण सड़क की कमान
हैरानी की बात यह कि क्षेत्रीय सीजीएम के लिए जिन सेवानिवृत इंजीनियरों को चयन किया गया,उनमें से अधिकांश ने कभी सड़कें नहीं बनवाई। मसलन,मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में रहे एफजे खान को जबलपुर के साथ ही रीवा क्षेत्रीय कार्यालय का दायित्व सौंपा गया है। सिर्फ महाकौशल क्षेत्र का होने से उन्हें चयन व पदस्थापना में अतिरिक्त लाभ मिला। बताया जाता है कि नई पदस्थापना से पहले ही उन्होंने मैदानी संपर्क बढ़ाने के जतन शुरू कर दिए। इसका लाभ भी उन्हें मिला। अन्य चयनितों में शेजकर एक मात्र ऐसे अभियंता हैं जो गड़बड़ी के कारण ईएनसी से सीई पद पर रिवर्ट हुए थे। वहीं कुमार मनोज बीएसएनएल,अनुराग सेठ व पराग सक्सेना एनएचडीसी एवं प्रशांत पाठक उदय प्रोजेक्ट से रहे हैं।
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भर्ती,साक्षात्कार भी रहा विवादों में
चयनित संविदा सीजीएम के लिए बीते माह 8 व 9 अप्रैल को साक्षात्कार परीक्षा हुई,लेकिन साक्षात्कार लेने वाली पैनल में विशेषज्ञों की कमी,अयोग्य सदस्य की मौजूदगी व एक उम्मीदवार विशेष के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने जैसे विवाद सामने आए। इसके बावजूद न केवल चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया,बल्कि अब इनकी पदस्थापनाएं भी शुरू हो गई हैं।
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