छत्तीसगढ़ में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है। इसी कड़ी में दुर्ग जिले की एसटीएफ टीम ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल करते हुए दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जो पिछले आठ महीनों से छावनी क्षेत्र के कैंप-2 इलाके में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निवास कर रहे थे।
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि अमन लकड़ी टाल के पास एक किराये के मकान में एक संदिग्ध पुरुष और महिला बिना वैध पहचान के रह रहे हैं। सूचना के आधार पर गठित विशेष टीम ने मौके पर दबिश दी और दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। प्रारंभिक जांच में दोनों ने खुद को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले का निवासी बताया, लेकिन दस्तावेजों की गहन जांच के बाद यह खुलासा हुआ कि दोनों मूलतः बांग्लादेश के जेससोर जिले के रहने वाले हैं।
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12 वर्षों से रह रहे थे फर्जी नाम से
गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान मोहम्मद अली शेख उर्फ मोहम्मद अब्दुल रौब हुसैन और शेख उर्फ साथी खातून के रूप में हुई है। आरोपियों ने 2012 और 2014 में अवैध रूप से भारत में घुसपैठ की थी और फर्जी नामों पर दस्तावेज तैयार करवाकर विभिन्न स्थानों पर निवास करते आ रहे थे। उन्होंने मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और बैंक पासबुक जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बनवा लिए थे, ताकि उनकी पहचान छिपी रह सके।
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IMO ऐप से करते थे संपर्क
पुलिस द्वारा जब्त मोबाइल और दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि दोनों आरोपी IMO ऐप के जरिए अब भी अपने बांग्लादेशी परिजनों से संपर्क में थे। इसके अलावा उनके पास से फर्जी पासपोर्ट, पते का प्रमाण और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
भिलाई नगर के सीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि "दोनों आरोपियों के खिलाफ फॉरेन एक्ट व फर्जी दस्तावेज तैयार करने के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद गंभीर है।"
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लगातार जारी है कार्रवाई
इससे पहले भी दुर्ग जिले में पांच बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वर्तमान में कुल 7 ऐसे विदेशी नागरिकों को पुलिस हिरासत में ले चुकी है, जो फर्जी पहचान के सहारे छत्तीसगढ़ में रह रहे थे।
राज्य पुलिस और एसटीएफ की यह कार्रवाई इस ओर संकेत देती है कि छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की संख्या अनुमान से कहीं अधिक हो सकती है, और इसकी व्यापक जांच की आवश्यकता है।
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