निजी स्कूलों की मनमानी, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तक पहुंची शिकायत

मध्य प्रदेश में एक बार फिर निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तक पहुंची है। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के प्रयासों पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।  

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Sanjay Sharma
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human rights Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश में एक बार फिर निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तक पहुंची है। आयोग के सामने निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों पर फीस के दबाव, पुस्तक और बैग खरीदी में कमीशनखोरी और अव्यवस्थाओं के मामले उठाए गए हैं। वहीं स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रशासन के प्रयासों पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।  

स्कूलों में सुधार के दावे रहे खोखले

प्रदेश में स्कूलों की आड़ में बच्चों और अभिभावकों से जमकर वसूली हो रही है। प्रशासन के लाख दावों के बावजूद स्कूल प्रबंधन लगातार फीस बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा हर साल स्कूल प्रबंधन के इशारे पर चिन्हित दुकानों से किताब और बैग जैसी सामग्री खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है।

इससे जहां अभिभावकों पर आर्थिक भार बढ़ रहा है और बच्चे भी इसके कारण असहज हो रहे हैं। इसको लेकर जबलपुर, इंदौर और भोपाल सहित तमाम बड़े शहर और छोटे कस्बों में भी अभिभावक प्रदर्शन कर चुके हैं। प्रशासनिक और शिक्षा विभाग के अधिकारी एडवाइजरी और निर्देश जारी करने के बाद भी स्कूल प्रबंधन की मनमानी पर कसावट नहीं कर पाए हैं। 

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स्कूल और बसों में सुरक्षित नहीं बच्चे

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहुंचे कांग्रेस नेता विवेक त्रिपाठी ने अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के सामने निजी स्कूल की मनमानियों के उदाहरण सहित ब्यौरा पेश किया है। त्रिपाठी ने शिक्षा सत्र की शुरूआत में प्रशासन के दावों के बावजूद किताब, बैग की खरीदी स्कूलों की चिन्हित दुकानों से कराने के मामले भी गिनाए हैं।

वहीं उन्होंने तगड़ी फीस वसूलने के बाद भी बड़े स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के प्रबंध नाकाफी होने की शिकायत भी की। उन्होंने पिछले साल के कुछ मामलों से भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अवगत कराया। उनकी शिकायत में स्कूल बच्चों में बच्चियों की सुरक्षा के पर्याप्त संसाधन नहीं होने की भी शिकायत की है। 

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पुस्तकों के बोझ से दबे जा रहे छात्र

आयोग में की गई शिकायत के अनुसार बच्चों पर स्कूल प्रबंधन लगातार कॉपी-किताबों का बोझ बढ़ाते जा रहे हैं। इस बोझ की वजह से छोटे और मासूम बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

स्कूल प्रबंधन अपने फायदे के लिए हर साल सिलेबस बदल रहे हैं। शिकायत दर्ज कराने वाले विवेक त्रिपाठी ने निजी स्कूलों में अलग-अलग प्रकाशनों की पुस्तकों पर रोक लगाकर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम शामिल करने की मांग आयोग से की है।  

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