फरार कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी ने नहीं दिया संभागायुक्त के नोटिस का जवाब, अब जाहिर सूचना जारी करके मांगेंगे

फरार कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी ने संभागायुक्त के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया, जिसके कारण अब कादरी की पार्षदी समाप्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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Sanjay Gupta
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लव जिहाद के लिए फंडिंग करने के फरार आरोपी कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी ने संभागायुक्त के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पत्र के आधार पर संभागायुक्त दीपक सिंह ने पहले पुलिस कमिश्नर और कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद कादरी को 11 अगस्त को नोटिस जारी कर 25 अगस्त को खुद या अधिवक्ता के जरिए जवाब देने के लिए कहा था। इसमें था कि क्यों ना आपकी पार्षदी खत्म कर दी जाए। लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

25 अगस्त को जवाब का किसी ने नोटिस नहीं लिया

संभागायुक्त ने जून 2025 में महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पत्र के आधार पर कलेक्टर और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कादरी का रिकॉर्ड मांगा था। इसमें अब यह जानकारी 8 अगस्त को मिल गई थी। इसमें पुलिस ने कादरी पर 23 केस दर्ज होने और इनाम की घोषणा होने सहित सभी रिकॉर्ड भेजे हैं। इस रिकॉर्ड के बाद संभागायुक्त दीपक सिंह ने अनवर कादरी को नोटिस जारी किया है। इसका जवाब 25 अगस्त तक देना था। यह नोटिस कादरी के हर संभव दफ्तर, घर में भेजा गया लेकिन किसी ने पहले नोटिस नहीं लिया, फिर इसे चस्पा कराया गया। नियम के तहत नोटिस नहीं लिए जाने की स्थिति में जाहिर सूचना जारी की जाती है। इसमें भी करीब दो सप्ताह का समय दिया जाएगा। इसके बाद पार्षदी खत्म होगी।

संभागायुक्त के नोटिस में यह कहा गया है

कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि- महापौर के पत्र और पुलिस विभाग से प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार आपके किए गए कृत्य के चलते क्यों ना आपके विरुद्ध मप्र नगर पालिका एक्ट 1956 की धारा (1) अ के तहत कार्रवाई की जाए। इस संबंध में आप खुद या अपने विधिक प्रतिनिधि के जरिए इस कोर्ट में दस्तावेजी साक्ष्य के साथ 25 अगस्त को सुबह 11 बजे तक संभागायुक्त न्यायालय में सुनवाई में उपस्थित हो। ऐसा नहीं होने पर एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने बताए हैं कादरी पर 23 केस

उधर पुलिस द्वारा भेजे गए रिकॉर्ड के अनुसार कादरी पर 23 केस दर्ज हैं। साल 2025 में ही तीन केस दर्ज हैं। इसमें एक लव जिहाद के लिए फंडिंग करने का बाणगंगा का केस है। इसमें दो केस दर्ज हुए हैं। वहीं एक केस सदर बाजार का था, जिसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। इसके साथ ही साल 1996 से अभी तक कुल 23 केस दर्ज हैं। जिसमें शासकीय काम में बाधा, मारपीट, आर्म्स एक्ट सहित विविध गंभीर धाराओं में केस हैं। वहीं फरार होने के चलते उस पर पहले 10 हजार, फिर 20 हजार और अब 40 हजार का ईनाम घोषित हो चुका है। इसे भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है और संपत्ति कुर्क के संबंध में नोटिस भी चस्पा किए जा चुके हैं।

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सीएम बोले थे पकड़ो उसे, अभी तक फरार

सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप छोड़ेंगे नहीं। अधिकारियों का कहा है जहां भी जैसे हो पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर 10 हजार का ईनाम घोषित किया और हाल ही में कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है। इसके बाद पुलिस ने अब 20 हजार का ईनाम घोषित कर उसे भगोड़ा भी घोषित कर दिया है। कादरी की बेटी को बचाने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है, टीमें तलाश में जुटी हैं और अब संपत्ति कुर्की की तैयारी है।

नियम के तहत पार्षदी खत्म करने के यह नियम

महापौर द्वारा जो पत्र लिखा गया था इसमें कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया है। पार्षदी से हटाए जाने के मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है। लेकिन इसी धारा 19(2) के तहत उनके द्वारा पहले पार्षद कादरी को नोटिस जाएगा कि क्यों ना आपकी पार्षदी खत्म कर दी जाए। इस पर कादरी से जवाब लिया जाएगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर पार्षदी खत्म होगी। उल्लेखनीय है कि द सूत्र ने ही इस मामले में कादरी के सभी 19 अपराधों का रिकॉर्ड प्रकाशित किया था और बताया था कि उज्जैन में डकैती केस से उसका उपनाम डकैत हो गया था।

धारा 19 – पार्षदों को हटाने के लिए यह है नियम


(1) संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है, यदि:

  • (क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है;

  • (क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी (म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 द्वारा जोड़ा गया); या

  • (ख) निगम, कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित प्रस्ताव द्वारा, कर्तव्य में कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है।
    (2) संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद किसी भी निगम में पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, कोई भी निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि पार्षद को यह बताने का उचित अवसर न दिया जाए कि उन्हें हटाने की सिफारिश क्यों न की जाए।

कादरी राज्य सरकार को कर सकेंगे अपील

नियम 19 की धारा 3 में इस आदेश के खिलाफ अपील के भी प्रावधान हैं। इसके तहत उपधारा (1) या (2) या धारा 18 के तहत पारित कोई भी आदेश, आदेश दिए जाने की तारीख से 30 दिनों के भीतर राज्य सरकार के समक्ष अपील योग्य है।

महापौर ने यह लिखा था पत्र में

महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति सदस्य हैं, उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं। इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। वार्ड 58 के पार्षद कादरी द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई। वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मप्र नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।

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