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MP News: कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म करने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा इस संबंध में 20 जून को संभागायुक्त दीपक सिंह को पत्र लिखा गया था। इस मामले में कार्रवाई के लिए संभागायुक्त सिंह ने 23 जून को कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस आयुक्त संतोष सिंह से प्रतिवेदन मांगा था, जो 42 दिन बाद भी नहीं आया। अब इस मामले में संभागायुक्त ने कलेक्टर और सीपी को फिर से रिमाइंडर भेजा है।
संभागायुक्त के रिमाइंडर में मांगी रिपोर्ट
संभागायुक्त आफिस से जारी रिमाइंडर लैटर में कहा गया है कि वार्ड 58 के पार्षद अनवर कादरी के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। इनके विरूद्ध कोई पूर्व में प्रकरण विवेचना हो तो इसकी जानकारी चाही गई थी, जो अभी तक अपेक्षित है। इसलिए इस संंबंध में संबंधित प्रतिवेदन जल्द भिजवाया जाए।
उधर महापौर ने एमआईसी में किया प्रस्ताव पास
उधर कादरी को लेकर संभागायुक्त स्तर पर हो रही कार्रवाई में लंबी प्रक्रिया को देखते हुए इस मामले में अब महापौर ने कदम उठाया और पार्षद को हटाने का प्रस्ताव मंगलवार को मेयर इन काउंसिल यानी एमआईसी में पास कर दिया। इसे बहुमत से पास कर दिया गया। अब यह प्रस्ताव परिषद में जाएगा और इसे वहां पर नियमानुसार दो तिहाई बहुमत से पास होना चाहिए। यह बहुमत बीजेपी के पास है। कुल 85 पार्षद में बीजेपी के पास 65 पार्षद और कांग्रेस के 19 ही पार्षद है। बीजेपी से बाहर हुए जीतू यादव निर्दलीय है।
सीएम बोले थे पकड़ो उसे, अभी तक फरार
सीएम मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप छोड़ेंगे नहीं। अधिकारियों का कहा है जहां भी जैसे हो पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर10 हजार का ईनाम घोषित किया और हाल ही में कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है। इसके बाद पुलिस ने अब 20 हजार का ईनाम घोषित कर उसे भगोड़ा भी घोषित कर दिया है। कादरी की बेटी को बचाने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है, टीमें तलाश में जुटी है और अब संपत्ति कुर्की की तैयारी है।
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नियम के तहत पार्षदी खत्म करने का अधिकार
महापौर द्वारा जो पत्र लिखा गया था इसमें इसमें कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया है। पार्षदी से हटाए जाने के मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है। लेकिन इसी धारा 19(2) के तहत उनके द्वारा पहले पार्षद कादरी को नोटिस जाएगा कि क्यों ना आपकी पार्षदी खत्म कर दी जाए। इस पर कादरी से जवाब लिया जाएगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर पार्षदी खत्म होगी। उल्लेखनीय है कि द सूत्र ने ही इस मामले में कादरी के सभी 19 अपराधों का रिकार्ड प्रकाशित किया था और बताया था कि उज्जैन में डकैती केस से उसका उपनाम डकैत हो गया था।
धारा 19 - पार्षदों को हटाने के लिए यह है नियम
(1) संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है, यदि:
* (क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है;
* (क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी (म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 द्वारा जोड़ा गया); या
* (ख) निगम, कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित प्रस्ताव द्वारा, कर्तव्य में कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है।
(2) संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद किसी भी निगम में पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, कोई भी निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि पार्षद को यह बताने का उचित अवसर न दिया जाए कि उन्हें हटाने की सिफारिश क्यों न की जाए।
4 पॉइंट्स में समझें खबर👉 कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म करने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 20 जून को संभागायुक्त दीपक सिंह को पत्र लिखा था। इसके बाद, 23 जून को संभागायुक्त ने कलेक्टर और पुलिस आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। 👉 इस मामले में लंबी प्रक्रिया को देखते हुए महापौर ने 2 अगस्त को मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) में कादरी को हटाने का प्रस्ताव पास कर दिया। इस प्रस्ताव को बहुमत से मंजूरी दी गई। 👉 मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कादरी को पकड़ने के आदेश दिए थे, लेकिन वह फरार हो गए। पुलिस ने कादरी पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया, जो बाद में बढ़ाकर 20 हजार रुपए कर दिया गया। 👉 यदि कादरी को हटाने का आदेश दिया जाता है, तो उन्हें 30 दिनों के भीतर अपील का अधिकार होगा। महापौर ने पत्र में यह उल्लेख किया कि कादरी ने लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए युवकों को फंडिंग दी थी। वह अब फरार हैं। |
कादरी राज्य सरकार को कर सकेंगे अपील
नियम 19 की धारा 3 में इस आदेश के खिलाफ अपील के भी प्रावधान है। इसके तहत उपधारा (1) या (2) या धारा 18 के तहत पारित कोई भी आदेश, आदेश दिए जाने की तारीख से 30 दिनों के भीतर राज्य सरकार के समक्ष अपील योग्य है।
महापौर ने क्या लिखा था पत्र में ?
महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति सदस्य है उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं। इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। वार्ड 58 के पार्षद कादरी द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई। वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मप्र नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।
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