कांग्रेस में हारने वालों का दबदबा! रीना बोरासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर उठे सवाल

कांग्रेस में चुनाव हारने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जा रही है। ताजा मामला महिला कांग्रेस का है। इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट से हारने वाली रीना बोरासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। पिछले दशक में महिला कांग्रेस की कोई अध्यक्ष चुनाव नहीं जीत पाई।

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Ramanand Tiwari
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BHOPAL. कांग्रेस में एक अजीब ट्रेंड देखने को मिल रहा है। जो नेता चुनाव हारते हैं, उन्हें ही संगठन में अहम जिम्मेदारियां मिल रही हैं। इस कड़ी में ताजा मामला महिला कांग्रेस का है। पार्टी ने इंदौर के सांवेर से चुनाव हार चुकी रीना बोरासी सैतिया को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है।

नेत्रियों की हार का लंबा इतिहास

पिछले एक दशक में महिला कांग्रेस की किसी अध्यक्ष ने विधानसभा या नगर निकाय चुनाव नहीं जीते। इसके बावजूद कांग्रेस बार-बार उन्हीं पर दांव लगाती है। यही कारण है कि रीना बोरासी सैतिया की नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं।

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एक महीने में बड़ा बदलाव

महिला कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी बने एक महीना ही हुआ था। इसके बाद रीना बोरासी सैतिया को अध्यक्ष बना दिया गया। कहा जा रहा है कि यह नियुक्ति दिल्ली से हुई है। केसी वेणुगोपाल ने इसे अनुमोदित किया है। वहीं, प्रदेश स्तर के कई नेता इससे सहमत नहीं हैं।

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मालवा-निमाड़ पर बढ़ता नियंत्रण?

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस धीरे-धीरे मालवा क्षेत्र के प्रभाव में सिमटती जा रही है। यह वही क्षेत्र है जहां कुल 66 विधानसभा सीटें हैं। लेकिन, 2023 के चुनाव में कांग्रेस यहां सिर्फ 17 सीटें ही जीत पाई थी। फिर भी नियुक्तियों का झुकाव लगातार इसी क्षेत्र की ओर है। 

सूत्रों ने खुलासा किया है कि इस नियुक्ति पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता सहमत नहीं थे। उनका मत है कि प्रदेश के अन्य अंचलों में वर्षों से सक्रिय महिला नेत्रियों की उपेक्षा हुई है। लेकिन, नियुक्ति एआईसीसी के माध्यम से होने के कारण कोई नेता खुलकर विरोध नहीं कर रहा।

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चुनाव हारने के बाद बढ़ता कद

कई उदाहरण बताते हैं कि कांग्रेस में महिला नेतृत्व का एक दिलचस्प पैटर्न है। यहां हार के बाद पद मिलता है।

  • विभा पटेल - 2013 में गोविंदपुरा से हारीं, फिर 2022 में प्रदेश अध्यक्ष बनीं।
  • अर्चना जायसवाल - दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहीं, लेकिन चुनावी सफलता नहीं मिली।
  • शोभा ओझा -  2008 में विधानसभा चुनाव हारीं, फिर प्रदेश और राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की प्रमुख बनीं।
  • रीना बोरासी सैतिया -  2023 में सांवेर से पराजित, और अब प्रदेश अध्यक्ष बन गईं। 

इन उदाहरणों से सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस में चुनाव जीतना अब संगठनात्मक पद पाने की शर्त नहीं रह गया?

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युवा कांग्रेस भी सक्रिय

प्रदेश युवा कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष यश घनघोरिया पद संभालने से पहले बड़ा शक्ति प्रदर्शन करेंगे। 27 नवंबर को वे SIR प्रक्रिया को लेकर भोपाल में निर्वाचन आयोग का घेराव करेंगे। इस प्रदर्शन में राष्ट्रीय नेतृत्व भी शामिल होगा।

यश संभालेंगे कार्यभार 

27 और 28 नवंबर को बड़ा सियासी शो-विधायकों से शुरू होगी। शीतकालीन सत्र की रणनीति इस प्रदर्शन में प्रदेशभर के युवा कांग्रेस कार्यकर्ता, नवनिर्वाचित जिलाध्यक्ष और पदाधिकारी शामिल होंगे। हरीश चौधरी, जीतू पटवारी और उमंग सिंघार जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी इसे और बड़ा बना सकती है। संभावना है कि 28 नवंबर को यश आधिकारिक रूप से कार्यभार संभालेंगे। अगले दिन प्रदेश युवा कांग्रेस की अहम बैठक में आगामी एक वर्ष का रोडमैप तय होगा।

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