विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार चाहते है पुलिस सैल्यूट, PCC चीफ जीतू पटवारी विरोध में
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर सांसदों और विधायकों को पुलिस द्वारा सलामी देने के हालिया आदेश को वापस लेने की मांग की है।
कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता एक बार फिर पुलिस के सैल्यूट वाले सरकारी आदेश पर एक-दूसरे के आमने-सामने हो गए हैं। दोनों के बयान विरोधाभासी हैं। मप्र कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने जहां सैल्यूट को प्रोटोकॉल बताया है तो मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसको लेकर ट्वीट किया है कि गंभीर अपराधी जनप्रतिनिधियों को पुलिस सैल्यूट करेगी तो वह दबाव में आ जाएगी और निष्पक्ष होकर कार्रवाई नहीं कर पाएगी। बता दें कि उमंग और जीतू के बीच की यह तनातनी नई नहीं है। दोनों इसके पूर्व भी एक-दूसरे के बयानों को काटते नजर आते रहते हैं। दोनों नेताओं के पुलिस मुख्यालय के जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने के आदेश पर दिए गए अलग-अलग बयानों से कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह सामने आ गई है। असल में जीतू पटवारी ने सैल्यूट को लेकर इसके पूर्व में भी बयानबाजी की थी, लेकिन जब सिंघार ने शनिवार को इंदौर में बयान दिया तो रविवार को एक बार फिर उन्होंने ट्वीट किया है। जीतू पटवारी विधायक नहीं है और सैल्यूट करने का आदेश सांसद और विधायकों के लिए जारी किया है। जीतू पटवारी इस बार चुनाव 30 हजार से अधिक वोटों से राऊ से हार चुके हैं।
पुलिस की जिम्मेदारी होगी कमजोर
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर सांसदों और विधायकों को पुलिस द्वारा सलामी देने के हालिया आदेश को वापस लेने की मांग की है। पटवारी ने अपने पत्र में कहा कि यह आदेश न केवल पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी को कमजोर करता है, बल्कि समाज में अपराध के प्रति गलत संदेश भी भेजता है।
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बीजेपी नेताओं पर दर्ज प्रकरण भी बताए
पटवारी ने पत्र में कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े भी प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 29 सांसदों में से 9 (31%) सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, प्रदेश के 163 विधायकों में से 51 (31%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 16 (10%) पर गंभीर अपराधों के केस भी लंबित हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के 31 मंत्रियों में से 12 (39%) पर आपराधिक मामले और उनमें से 3 (10%) पर गंभीर अपराध के केस दर्ज हैं।
पटवारी ने पत्र में लिखा है कि जिन जनप्रतिनिधियों पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं, उन्हें पुलिस द्वारा सलामी देना पुलिस की कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि पुलिस का प्राथमिक दायित्व कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, अपराधियों की जांच करना और उनकी जवाबदेही तय करना है, न कि उन्हें सलामी देना। ऐसे आदेश से पुलिसकर्मियों पर अनावश्यक दबाव बनेगा और निष्पक्ष कार्रवाई प्रभावित हो सकती है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इस आदेश से पुलिसकर्मियों का मनोबल गिर सकता है और जनता में कानून के प्रति विश्वास भी कमजोर हो सकता है। उन्होंने आग्रह किया कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए और भविष्य में भी ऐसे निर्णयों से बचा जाए, जो कानून की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हों। अंत में, पटवारी ने अनुरोध किया कि प्रदेश में कानून के प्रति विश्वास बनाए रखने के लिए इस आदेश को वापस लेने और उचित कार्यवाही करने की दिशा में त्वरित कदम उठाए जाएं।
इंदौर में शनिवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सैल्यूट के आदेश पर कथा था कि यह प्रोटोकॉल है। क्या एसपी को सिपाही सैल्यूट नहीं करता है? कलेक्टर क्या अपने प्रमुख सचिव को नमस्ते या सैल्यूट नहीं करता है क्या? इसमें कौन सी बात है। विधायक और सांसद जनता के चुने हुए लोग हैं, उनका भी सम्मान होना चाहिए।
जीतू पटवारी के पत्र के बाद बीजेपी नेता भी एक्टिव हो गए हैं। बीजेपी नेता नरेंद्र सलूजा ने तंज कसते हुए ट्वीट किया है कि जीतू का उमंग सिंघार पर निशाना। पुलिस मुख्यालय के जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने के आदेश पर कांग्रेस में जमकर अंतर्कलह। जीतू पटवारी के इस आदेश के विरोध करने के बाद, कल इंदौर में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे प्रोटोकॉल बताते हुए इस आदेश का समर्थन कर , पटवारी जी को आईना दिखाया था। इसके बाद आज पटवारी जी ने जवाबी हमला करते हुए पत्र ही जारी कर दिया कि आपराधिक मामलों वाले जनप्रतिनिधि को सलामी नहीं दी जाए। सलूजा ने यह भी लिखा है कि अब सभी को पता है कि आपराधिक मामलों के माध्यम से उनका निशाना सिंघार जी पर ही है। सही कहते हैं पटवारी जी कांग्रेस में गुटबाजी कैंसर है।